हरियाणा में भूमि अधिग्रहण पर मिलेगा 4 गुना मुआवजा, सैनी सरकार ने चार साल पुरानी नीति में किया बदलाव Land Rate Hike

Land Rate Hike: हरियाणा सरकार ने किसानों और जमीन मालिकों के हित में भूमि अधिग्रहण नीति में बड़ा बदलाव किया है. अब भूमि अधिग्रहण पर कलेक्टर रेट से चार गुना मुआवजा मिलेगा. पहले तक यह मुआवजा सिर्फ दोगुना होता था, जिससे विवाद और कानूनी अड़चनें खड़ी हो रही थीं. लेकिन अब इस नई नीति के लागू होने से जमीन मालिकों को अधिक कीमत मिलेगी और सरकारी परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण आसान और विवाद रहित होगा.

राजस्व विभाग ने अधिसूचना जारी कर दी

राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुमिता मिश्रा ने 25 नवंबर 2021 को अधिसूचना जारी कर नई नीति को मंजूरी दे दी है.

इससे पहले 18 अक्टूबर 2013 में भी सरकारी विभागों, बोर्ड-निगमों, पंचायती राज संस्थाओं और शहरी निकायों के लिए भूमि की बाजार दर तय करने की नीति में संशोधन हुआ था. लेकिन वर्तमान नीति परिवर्तन अधिक व्यापक और व्यावहारिक माना जा रहा है.

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अब सभी विभागों के लिए एकसमान दर से होगा मुआवजा तय

इस नीति का मुख्य उद्देश्य यह है कि विभिन्न विभाग और संस्थाएं भूमि अधिग्रहण में अलग-अलग मापदंड अपनाकर कानूनी उलझनों में न फंसे. अब सभी विभागों और सरकारी एजेंसियों को कलेक्टर रेट की चार गुनी राशि पर मुआवजा देना होगा.

इससे भूमि मालिकों को बेहतर भुगतान मिलेगा और भूमि अधिग्रहण से जुड़े विवाद कम होंगे.

केंद्रीय अधिनियम के तहत तय होगी मुआवजे की गणना

नई नीति के अनुसार, भूमि अधिग्रहण, पुनर्वासन और पुनर्स्थापन से जुड़े मामलों में मुआवजा केंद्र सरकार के अधिनियम के तहत तय मानकों के अनुसार मिलेगा.

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बिल्डर और निजी संस्थाओं द्वारा खरीदी गई भूमि को इच्छित उपयोग में लाने से पहले उन्हें प्रभावित भूमि की चार गुना कीमत पर शुल्क और प्रभार चुकाना होगा. इससे सरकारी और निजी परियोजनाओं में एकसमान व्यवहार सुनिश्चित होगा.

कृषि दर को बनेगा बेंचमार्क

नई व्यवस्था के तहत कलेक्टर रेट (जो सामान्यतः कृषि प्रयोजन के लिए तय होता है) को ही बेंचमार्क मानकर चार गुना मुआवजा तय किया जाएगा.

भले ही जमीन का भविष्य में औद्योगिक या आवासीय उपयोग होना हो, लेकिन मुआवजा कृषि रेट के आधार पर ही गणना कर दिया जाएगा. इससे मूल्यांकन प्रक्रिया में पारदर्शिता और समानता आएगी.

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भूमि अधिग्रहण में सरलता लाने को खंड 5(सी) में संशोधन

पुरानी नीति के खंड 5(सी) को संशोधित किया गया है ताकि भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया और अधिक सुगम हो सके.

यदि कोई बिल्डर या निजी संस्था पंजीकरण के समय चार गुना कलेक्टर रेट या पिछले साल के सबसे अधिक दो बिक्री विलेखों के औसत मूल्य में से जो अधिक हो, वह कीमत देने को तैयार है, तो विभाग मुख्यमंत्री की स्वीकृति से उचित निर्णय ले सकता है.

बिल्डर और निजी संस्थाओं को देनी होगी 25% अग्रिम राशि

  • यदि कोई बिल्डर या निजी इकाई जमीन अधिग्रहण में भाग लेती है, तो उसे देय राशि का 25% अग्रिम रूप से विभाग प्रमुख के पास जमा करना होगा.
  • इसके साथ ही उसे एक आवेदन प्रस्तुत कर सरकार से स्वीकृति लेनी होगी. यह नियम केवल सरकारी या स्वायत्त संस्थाओं द्वारा की गई बिक्री पर लागू होगा.

निजी खरीदारों पर भी लागू होंगे तय शुल्क और प्रभार

  • नीति के अनुसार, भूमि के इच्छित उपयोग के अनुरूप प्रभार और शुल्क वसूलना अनिवार्य रहेगा. इससे यह सुनिश्चित होगा कि निजी संस्थाएं भी भूमि अधिग्रहण में सरकारी मानकों का पालन करें.
  • यह बदलाव सरकारी और निजी क्षेत्र के लिए समान अवसर और जिम्मेदारी की भावना को मजबूती देगा.

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