इस गांव में कोई नही खरीदत फल और सब्जी, बहुत खास है असली कारण Kitchen Garden Village

Kitchen Garden Village: सिकंदरपुर गांव में पहले नालियों से बहता पानी एक बड़ी समस्या था. गंदगी और बीमारियों के चलते ग्रामीणों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था. अक्सर नाली के पानी को लेकर विवाद भी हो जाते थे, जिससे गांव का माहौल खराब होता था.

पंचायत में लिया गया ऐतिहासिक फैसला

समस्या के समाधान के लिए गांव में एक विशेष पंचायत बुलाई गई, जिसमें यह सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि नालियों का पानी अब सड़कों पर नहीं बहेगा. इसके बजाय, हर घर में किचन गार्डन बनाया जाएगा, जिसमें यह पानी उपयोग किया जाएगा.

रसोई और स्नान का पानी बना उपयोगी

गांव के लोगों ने नालियों को पूरी तरह हटा दिया है और अब रसोई तथा नहाने के पानी को किचन गार्डन में प्रयोग किया जाता है. इससे दो फायदे हुए – एक तो नालियों की गंदगी से मुक्ति मिली और दूसरा, सब्जियों की अपनी खेती शुरू हो गई.

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गांव बना आत्मनिर्भर

सिकंदरपुर अब एक ऐसा गांव बन चुका है, जहां न तो कोई फल-सब्जी खरीदने बाजार जाता है, और न ही बाहर से सब्जियां आती हैं. हर घर में सब्जियां उगती हैं और लोग उसी का सेवन करते हैं. इस तरह गांव आत्मनिर्भर बन गया है.

सेहत में हुआ बड़ा सुधार

ऑर्गेनिक सब्जियां और फल खाने का सीधा असर गांव वालों की सेहत पर भी पड़ा है. गांव के कई लोग 100 वर्ष की उम्र तक स्वस्थ जीवन जी रहे हैं. बीमारियां कम हुई हैं और लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा हुआ है.

गांव में दिखती है हरियाली और स्वच्छता

अब गांव में जहां देखो, वहां हरियाली और स्वच्छता नजर आती है. किचन गार्डन की वजह से माहौल ठंडा और शांत रहता है. नाली के पानी की बदबू और मच्छरों से भी पूरी तरह मुक्ति मिल गई है.

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ऑर्गेनिक खेती से बना नया मॉडल

सिकंदरपुर गांव ने ऑर्गेनिक खेती को एक जीवनशैली में बदल दिया है. गांववाले किसी रासायनिक खाद या कीटनाशक का इस्तेमाल नहीं करते. सब्जियों में प्राकृतिक खाद और गोबर खाद का उपयोग होता है, जिससे उपज भी अधिक और गुणवत्ता बेहतर होती है.

राज्य में फैल रहा यह मॉडल

अब यह सिकंदरपुर मॉडल अन्य गांवों के लिए उदाहरण बन चुका है. जिला प्रशासन भी इस मॉडल को दूसरे गांवों में लागू करने पर विचार कर रहा है. अधिकारियों का कहना है कि यह मॉडल स्वच्छता, पोषण और आत्मनिर्भरता का संगम है.

किचन गार्डन से पर्यावरण को भी फायदा

गांव के किचन गार्डन से केवल लोग ही नहीं, पर्यावरण को भी लाभ हो रहा है. हरियाली बढ़ने से गांव में प्रदूषण का स्तर घटा है और मौसमी बदलावों का असर कम हो गया है. यह पहल क्लाइमेट चेंज की लड़ाई में भी अहम भूमिका निभा सकती है.

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नई तकनीक की मिसाल बना गांव

सिकंदरपुर गांव ने यह साबित कर दिया है कि इच्छाशक्ति और सामूहिक प्रयासों से कोई भी बदलाव संभव है. बिना सरकारी सहायता के गांव ने अपनी समस्याओं को अवसर में बदला और पूरे देश को जीवन जीने का नया तरीका दिखाया.

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