New Railway Line: पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के मालेगांव मंडल में अररिया-गलगलिया नई रेललाइन पर सोमवार को ट्रेन का ट्रायल सफलतापूर्वक पूरा किया गया. इस ट्रायल का उद्देश्य ट्रैक की तकनीकी जांच करना था, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह यात्री ट्रेन संचालन के लिए पूरी तरह सुरक्षित और सही है. ट्रायल के दौरान रेलवे प्रशासन ने बेहद सावधानी और सतर्कता के साथ पूरी प्रक्रिया को अंजाम दिया.
जीएम ने लिया स्टेशन तैयारियों का जायजा
सुबह करीब 11:15 बजे पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के जीएम अरुण कुमार चौधरी ठाकुरगंज स्टेशन पहुंचे. वहां उन्होंने स्टेशन इंफ्रास्ट्रक्चर और यात्री सुविधाओं का निरीक्षण किया. उनके साथ अररिया के सांसद प्रदीप कुमार सिंह भी मौजूद थे. इसके बाद जब वे गलगलिया स्टेशन पहुंचे, तो स्थानीय लोगों ने गर्मजोशी से स्वागत किया, क्योंकि वे इस रेललाइन के शुरू होने का सालों से इंतजार कर रहे थे.
सिग्नल और ट्रैक की बारीकी से जांच
ट्रायल रन के दौरान ट्रेन को तेज गति से चलाकर ट्रैक की मजबूती, सिग्नल सिस्टम और जॉइंट्स की गुणवत्ता की गहराई से जांच की गई. टेक्निकल स्टाफ, ठेकेदार और मज़दूर ट्रैक से सुरक्षित दूरी पर खड़े रहे. जीएम ने बताया कि यह रेललाइन लगभग 110 किमी लंबी है और यह उत्तर बंगाल व पूर्वोत्तर भारत को एक वैकल्पिक मार्ग से जोड़ेगी, जिससे क्षेत्र के आर्थिक व सामाजिक विकास को बल मिलेगा.
चुनाव से पहले ट्रेन सेवा शुरू होने की उम्मीद
भाजपा सांसद प्रदीप कुमार सिंह ने जानकारी दी कि विधानसभा चुनाव से पहले इस रूट पर ट्रेनें शुरू हो जाएंगी. उन्होंने कहा कि यह रेललाइन पूर्णिया, कटिहार और अररिया के लाखों लोगों के लिए यात्रा में बड़ी राहत लेकर आएगी. इस रूट पर 15 स्टेशन और एक हॉल्ट स्टेशन बनाए गए हैं, जिनमें प्रमुख स्टेशन गलगलिया, ठाकुरगंज, बीबीगंज, टेढ़ागाछ, अररिया कोर्ट, अररिया आदि शामिल हैं.
दो दशकों का इंतजार, अब सपना होगा पूरा
यह परियोजना वर्ष 2004-05 में मंजूर की गई थी. 2006 में तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव और सांसद मु तस्लीमुद्दीन ने ठाकुरगंज में इसका शिलान्यास किया था. उस समय इसकी अनुमानित लागत 540 करोड़ रुपये थी.
लेकिन परियोजना में देरी के कारण यह सालों तक अधर में लटकी रही. फिर 2014 में मोदी सरकार ने इसे गति दी और पहले रेल बजट में इसके लिए राशि आवंटित की. इसके बाद 2017 में राज्य सरकार ने भूमि अधिग्रहण का नोटिफिकेशन जारी किया, जबकि काम 2019 में शुरू हुआ.
2132 करोड़ की लागत और 1632 एकड़ भूमि अधिग्रहित
इस पूरी परियोजना की कुल लागत करीब 2132 करोड़ रुपये है और इसके लिए 1632 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया है. यह रेललाइन पूर्वोत्तर बिहार को उत्तर बंगाल और पूर्वोत्तर राज्यों से सीधे जोड़ने वाली बनेगी, जिससे क्षेत्र में पर्यटन, व्यापार और लोगों की आवाजाही को बहुत बढ़ावा मिलेगा.
नया रेल कॉरिडोर, नई उम्मीदें
अररिया-गलगलिया रेललाइन का ट्रायल रन सफल होने के साथ ही क्षेत्र के लोगों को एक बड़ी सौगात मिलने जा रही है. यह रूट न केवल भौगोलिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सामाजिक और आर्थिक गतिविधियों के लिए भी एक नई जीवन रेखा सिद्ध होगा. अब इंतजार है इस रूट पर यात्रियों के लिए ट्रेन संचालन शुरू होने का.