Slowest Train: जहां एक ओर भारत में बुलेट ट्रेन की तैयारी जोरों पर है, वहीं दूसरी ओर देश में एक ऐसी ट्रेन भी है जो 5 घंटे में महज 46 किमी का सफर तय करती है. यह है नीलगिरि माउंटेन रेलवे, जिसे भारत की सबसे धीमी ट्रेन माना जाता है. इसकी टॉय ट्रेन की रफ्तार महज 9 किमी प्रति घंटा है. मगर रफ्तार की कमी को यह ट्रेन प्राकृतिक सौंदर्य, रोमांच और विरासत के अनुभव से पूरा करती है.
कहां चलती है यह ऐतिहासिक ट्रेन?
नीलगिरि माउंटेन रेलवे तमिलनाडु के नीलगिरि पर्वत क्षेत्र में चलती है. यह ट्रेन मेट्टूपलयम से शुरू होती है और प्रसिद्ध हिल स्टेशन ऊटी तक जाती है. इस सफर में यह ट्रेन घने जंगलों, पहाड़ी ढलानों और कई मोड़ों से होकर गुजरती है. पहाड़ की ढलान चढ़ने के कारण इसे समय अधिक लगता है, लेकिन जब यह नीचे लौटती है, तो एक घंटा कम समय लेती है.
यात्रा में क्यों लगता है ज्यादा समय?
इस ट्रेन के धीमे चलने के पीछे केवल तकनीकी नहीं, बल्कि भूगोलिक कारण भी हैं.
- यह सफर 16 सुरंगों,
- 250 पुलों और
208 तीव्र मोड़ों से होकर गुजरता है.
इसकी रफ्तार कम भले हो, लेकिन इसका प्राकृतिक सौंदर्य और विरासत इसे खास बनाता है. यही कारण है कि इसे UNESCO World Heritage Site का दर्जा मिला हुआ है. पश्चिमी घाट की हरियाली, झरने और घाटियां इस यात्रा को जिंदगी भर का अनुभव बना देते हैं.
नीलगिरि माउंटेन रेलवे की टाइमिंग क्या है?
इस ऐतिहासिक ट्रेन की दैनिक समय-सारणी इस प्रकार है:
- सुबह 7:10 बजे मेट्टूपलयम से प्रस्थान
- दोपहर 12 बजे ऊटी पहुंच
- वापसी में 2 बजे ऊटी से प्रस्थान
- शाम 5:35 बजे मेट्टूपलयम वापसी
रास्ते में यह ट्रेन कुनूर, वेलिंगटन, अरावनकाडू, केट्टी और लवडेल जैसे स्टेशनों से होकर गुजरती है. यह 2203 मीटर की ऊंचाई तक चढ़ाई करती है, जो इस यात्रा को और रोमांचक बना देता है.
इस ट्रेन की शुरुआत कब हुई थी?
UNESCO की रिपोर्ट के अनुसार, इस ट्रेन का प्रस्ताव 1854 में रखा गया था. लेकिन कठिन पहाड़ी परिस्थितियों के चलते इसका निर्माण 1891 में शुरू हो पाया और अंततः 1908 में यह मीटर गेज सिंगल ट्रैक लाइन बनकर तैयार हुई.
इस ट्रेन में यात्रियों की सुविधा के लिए दो श्रेणियां हैं:
- फर्स्ट क्लास में कुल 16 सीटें,
- जबकि सेकेंड सीटिंग में 214 सीटें उपलब्ध हैं.
पैसा वसूल क्यों है यह यात्रा?
भले ही यह ट्रेन धीमी हो, लेकिन इसकी सुविधा, सुंदरता और अनुभव इसे पूरी तरह पैसा वसूल बनाते हैं. प्राकृतिक दृश्य, पुरातन इंजन, और हिल स्टेशन की ठंडी हवा इसे एक आदर्श टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनाती है. हर साल हजारों पर्यटक केवल इसी ट्रेन की सवारी का लुत्फ उठाने के लिए आते हैं.