UPI Balance Check Limit: गूगल पे, फोनपे और पेटीएम जैसे यूपीआई एप्स का उपयोग करने वाले करोड़ों यूजर्स के लिए जरूरी खबर है. नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) 1 अगस्त 2025 से UPI सिस्टम में नए तकनीकी बदलाव लागू करने जा रहा है. इन बदलावों का सीधा असर आपकी डेली यूपीआई एक्टिविटी, जैसे कि बैलेंस चेक और ऑटो पेमेंट्स, पर पड़ेगा.
क्यों आ रही है जरूरत नए बदलावों की?
तेजी से बढ़ते डिजिटल पेमेंट के दौर में यूपीआई सिस्टम पर हर महीने लगभग 16 अरब ट्रांजैक्शन हो रहे हैं. इतने भारी ट्रैफिक के चलते सिस्टम पर अत्यधिक लोड और तकनीकी गड़बड़ियां सामने आई हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, बैंकों और पेमेंट ऐप्स की ओर से लगातार API रिक्वेस्ट्स सिस्टम पर बोझ डाल रही थीं, जिससे UPI सर्विस डाउन होने के मामले भी सामने आए.
12 अप्रैल को 5 घंटे तक ठप रही थी UPI सेवा
इस साल 12 अप्रैल को यूपीआई सेवा करीब 5 घंटे तक बाधित रही, जो पिछले तीन सालों में सबसे लंबा आउटेज था. इस घटना ने यह साफ कर दिया कि यूपीआई पर हमारी निर्भरता कितनी ज्यादा हो चुकी है. वॉलेट के इस्तेमाल में भारी गिरावट के बाद, यूपीआई ही अब मुख्य पेमेंट माध्यम बन चुका है.
1 मिनट डाउन मतलब 4 लाख यूजर्स प्रभावित
रिपोर्ट के अनुसार, हर सेकंड करीब 7,000 यूपीआई ट्रांजैक्शन प्रोसेस होते हैं. इसका मतलब है कि अगर सिस्टम 1 मिनट के लिए भी ठप हो जाए, तो करीब 4 लाख लोग इससे प्रभावित होते हैं. 10 मिनट की डाउनटाइम में ये संख्या 40 लाख तक पहुंच जाती है. ऐसे में सिस्टम को मजबूत और टिकाऊ बनाना जरूरी हो गया है.
बार-बार की API रिक्वेस्ट से सिस्टम पर दबाव
UPI सिस्टम में कई बार उपयोगकर्ता द्वारा बार-बार की जाने वाली ‘चेक ट्रांजैक्शन’ API रिक्वेस्ट ने सर्वर पर अतिरिक्त लोड डाला. मार्च और अप्रैल में इसी वजह से कई बार UPI सेवाएं बाधित हुईं. रिपोर्ट के अनुसार, बैंकों को इस संबंध में कुछ API उपयोग लिमिट गाइडलाइन फॉलो करनी थी, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया.
1 अगस्त से लागू होंगे ये बड़े बदलाव
NPCI ने अब बैंकों और PhonePe, Paytm, Google Pay जैसे सभी PSPs (Payment Service Providers) को निर्देश दिया है कि 31 जुलाई तक 10 सबसे ज्यादा यूज की जाने वाली API पर नियंत्रण लागू करें. इसके तहत लागू होंगे ये नियम:
बैलेंस चेक लिमिट
- लिंक्ड अकाउंट चेक लिमिट: मोबाइल नंबर से लिंक्ड अकाउंट्स की जानकारी रोजाना अधिकतम 25 बार ही देखी जा सकेगी.
- ऑटोपेमेंट (SIP, Netflix, आदि) अब सिर्फ Non-Peak Hours में ही होंगे.
क्या हैं Non-Peak Hours?
नए नियमों के अनुसार, ऑटो डेबिट या ऑटोपेमेंट्स अब केवल नॉन पीक टाइमिंग्स में प्रोसेस किए जाएंगे. ये टाइमिंग्स होंगी:
- सुबह 10 बजे से पहले
- दोपहर 1 बजे से शाम 5 बजे तक
- रात 9:30 बजे के बाद
इसका मकसद है सर्वर लोड को कम करना और ट्रांजैक्शंस को सुचारु रूप से चलाना.
किसे होगा सबसे ज्यादा असर?
इन बदलावों का असर उन यूजर्स पर ज्यादा होगा जो फ्रीक्वेंटली बैलेंस चेक, नेटफ्लिक्स जैसी सब्सक्रिप्शन सेवाओं के ऑटो डेबिट, या कई अकाउंट्स को एक साथ हैंडल करते हैं. हालांकि, यह कदम लंबे समय में सिस्टम को स्थिर बनाने और यूजर्स को बेहतर सर्विस देने के लिए उठाया गया है.