भारत में Long-Nose ट्रक की हो सकती है वापसी, जानिए क्या है सरकार की योजना Long-Nose Truck Comeback

Long-Nose Truck Comeback: आपने कभी न कभी उन पुराने ट्रकों को जरूर देखा होगा. जिनमें सामने की ओर इंजन निकला हुआ होता था. इन्हें आमतौर पर Long-Nose ट्रक कहा जाता है. क्योंकि इनके आगे एक लंबी ‘नाक’ जैसी हुड होती है. यह ट्रक 90 के दशक में भारतीय सड़कों पर आम थे. लेकिन तकनीकी बदलावों और आधुनिक डिज़ाइन के चलते धीरे-धीरे गायब हो गए. अब खबर है कि ये ट्रक एक बार फिर भारतीय सड़कों पर लौट सकते हैं.

शहरी मोबिलिटी सम्मेलन में हुआ जिक्र

हाल ही में दिल्ली में आयोजित Urban Adda 2025 नामक शहरी मोबिलिटी सम्मेलन में यह मुद्दा सामने आया. केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग सचिव वी उमाशंकर ने सम्मेलन के दौरान इशारा दिया कि सरकार Long-Nose ट्रक डिज़ाइन को पुनः शुरू करने पर विचार कर रही है. यह विचार सड़क सुरक्षा और ड्राइवर अनुभव के मद्देनज़र लाया जा रहा है.

क्या होते हैं Long-Nose ट्रक?

Long-Nose ट्रक वे भारी वाहन होते हैं, जिनमें इंजन ड्राइवर सीट के आगे हुड में स्थित होता है. ठीक वैसे ही जैसे आम कारों में होता है. ड्राइवर इंजन के पीछे बैठता है. जिससे उसे सामने की सड़क को थोड़ा बेहतर एंगल से देखने का मौका मिलता है और निर्णय लेने के लिए कुछ अतिरिक्त समय भी. इस डिज़ाइन की खासियत है कि यह सेफ्टी को बढ़ावा देती है. जब ड्राइवर इंजन के ऊपर की बजाय उसके पीछे बैठता है, तो वह ट्रैफिक की गति और स्थिति को ज्यादा सहजता से समझ पाता है.

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Long-Nose ट्रक की वापसी क्यों मानी जा रही है जरूरी?

वी उमाशंकर के अनुसार ड्राइविंग केवल तकनीकी कार्य नहीं. बल्कि एक संवेदी अनुभव (sensory perception) है. जब ड्राइवर इंजन के पीछे बैठता है, तो उसकी आंखों को सामने का ट्रैफिक स्पष्ट और विस्तृत रूप में दिखता है. इससे वह अचानक सामने आने वाली परिस्थितियों पर जल्दी और सही निर्णय ले सकता है. जिससे दुर्घटनाओं की आशंका में कमी आती है. सरकार का मानना है कि ट्रकिंग इंडस्ट्री में सुरक्षा मानकों को बढ़ाने के लिए यह एक जरूरी बदलाव हो सकता है. ऐसे में मौजूदा ट्रक निर्माताओं और इंडस्ट्री के अन्य हितधारकों से जल्द बातचीत शुरू की जाएगी.

बदलाव की प्रक्रिया में लगेगा समय

हालांकि यह विचार अभी प्रारंभिक चरण में है. लेकिन अगर इसे मंजूरी मिलती है, तो भी सड़कों पर इन ट्रकों को फिर से देखने में दो साल तक का समय लग सकता है. इसका कारण यह है कि मौजूदा मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स को दोबारा डिज़ाइन और मॉडिफाई करना पड़ेगा. इस बदलाव से पहले सरकार तकनीकी विश्लेषण, सुरक्षा मानकों और उद्योग से प्रतिक्रिया लेगी, ताकि निर्णय व्यावहारिक और लाभकारी सिद्ध हो सके.

Flat-Nose बनाम Long-Nose ट्रक: क्या है अंतर?

वर्तमान में भारतीय सड़कों पर जो ट्रक चल रहे हैं, वे अधिकतर Flat-Nose डिज़ाइन वाले हैं. इसमें ड्राइवर इंजन के ठीक ऊपर बैठता है. जबकि Long-Nose ट्रक में ड्राइवर इंजन के पीछे होता है. Flat-Nose ट्रक में केबिन स्पेस अधिक होता है और फ्रंट रोड व्यू भी अच्छा मिलता है. जिससे चालक को थोड़ा आरामदायक अनुभव होता है. लेकिन Long-Nose ट्रक में निर्णय लेने का समय थोड़ा ज्यादा होता है, जो सुरक्षा के लिहाज से अहम है.

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Flat-Nose डिज़ाइन क्यों हुआ लोकप्रिय?

Flat-Nose ट्रक डिज़ाइन को दुनिया भर में इसलिए अपनाया गया क्योंकि यह कम जगह में फिट हो जाता है, जिससे शहरी और संकरी सड़कों पर इसे चलाना आसान हो जाता है. साथ ही इसमें केबिन के अंदर बेहतर स्पेस और आरामदायक सीटिंग अरेंजमेंट भी संभव होता है. लेकिन इसकी कमियों में यह शामिल है कि ड्राइवर को निर्णय लेने का समय कम मिलता है और फ्रंट इम्पैक्ट के दौरान सुरक्षा खतरे में रहती है.

क्या Long-Nose ट्रक बन सकते हैं भविष्य का विकल्प?

अगर सरकार का यह विचार सफलतापूर्वक लागू होता है, तो आने वाले वर्षों में हम नए डिजाइन के Long-Nose ट्रक सड़कों पर देख सकते हैं. यह डिज़ाइन सिर्फ नॉस्टैल्जिया भर नहीं लाएगा. बल्कि ट्रकिंग सिस्टम में नई सुरक्षा और कार्यकुशलता के मानक भी स्थापित कर सकता है. सरकार चाहती है कि ट्रक चालकों के लिए वातावरण सुरक्षित और उत्तरदायी बनाया जाए और Long-Nose डिज़ाइन इस दिशा में एक उपयुक्त विकल्प माना जा रहा है.

ट्रक निर्माताओं की भूमिका होगी अहम

अगर यह बदलाव होता है, तो सबसे बड़ी जिम्मेदारी ट्रक निर्माताओं की होगी. उन्हें नई मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स और डिजाइन पद्धतियों को अपनाना होगा. साथ ही यह सुनिश्चित करना होगा कि नए ट्रक भारतीय सड़कों, लॉजिस्टिक्स जरूरतों और कानूनी मानकों के अनुसार हों.

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