Electricity Surcharge Hike: छत्तीसगढ़ के 65 लाख बिजली उपभोक्ताओं को इस बार नए टैरिफ लागू होने से पहले ही बिजली महंगी हो गई है. अप्रैल के बिजली बिल में पहली बार एफपीपीएएस (Fuel and Power Purchase Adjustment Surcharge) माइनस में गया था, जिससे उपभोक्ताओं को राहत मिली थी. लेकिन जून में जब मई की खपत का बिल आया, तो उसमें फिर से 7.32% एफपीपीएएस शुल्क जोड़ दिया गया.
एफपीपीएएस की वसूली का नया फॉर्मूला
बिजली कंपनी ने वीसीए (VCA) शुल्क के स्थान पर एफपीपीएएस फार्मूला लागू किया है, जिसके तहत बिजली की उत्पादन लागत में अंतर होने पर उपभोक्ताओं से अतिरिक्त राशि वसूली जाती है. यह फार्मूला अप्रैल 2023 से लागू है और तब से हर महीने उपभोक्ताओं को इस अतिरिक्त शुल्क का सामना करना पड़ रहा है.
अप्रैल में क्यों नहीं लगा FPPAS शुल्क?
अप्रैल महीने के बिल में यह शुल्क नहीं जोड़ा गया था, क्योंकि उस समय एनटीपीसी लारा से खरीदी गई बिजली की 1,500 करोड़ रुपये की अतिरिक्त लागत उपभोक्ताओं से पहले ही वसूली जा चुकी थी. जैसे ही यह अंतर पूरा हुआ, उपभोक्ताओं को एक महीने की राहत मिली, लेकिन अब मई की खपत पर फिर से शुल्क वसूला जा रहा है.
बिजली की दरें फिर से बढ़ने की आशंका
जून के बिल में यह शुल्क और अधिक बढ़ने की संभावना जताई जा रही है. जब तक उत्पादन लागत में अंतर बना रहेगा, तब तक एफपीपीएएस शुल्क उपभोक्ताओं पर लागू रहेगा.
पावर कंपनी ने भेजा नया टैरिफ प्रस्ताव
छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी ने 2025-26 के लिए बिजली नियामक आयोग को नया प्रस्ताव भेजा है. इस प्रस्ताव में कहा गया है कि कंपनी इस वर्ष 24,652 करोड़ रुपये की बिजली बेचेगी, जबकि उसकी लागत 23,082 करोड़ रुपये है. यानी उसे 1,570 करोड़ का अनुमानित लाभ होगा.
पुराने घाटे को पूरा करने की तैयारी
हालांकि, 2023-24 में कंपनी को अनुमान से 6,130 करोड़ रुपये की कमी हुई थी. अब कंपनी इस घाटे की भरपाई के लिए नया टैरिफ बढ़ाने की मांग कर रही है. लाभ की राशि को घटाने के बाद भी 4,560 करोड़ रुपये का घाटा शेष रहता है, जिसे कवर करने के लिए दरें बढ़ाने की योजना है.
नियामक आयोग लेगा अंतिम निर्णय
हालांकि, बिजली की दरें तभी बढ़ेंगी जब नियामक आयोग इस प्रस्ताव को मंजूरी देगा और यह तय करेगा कि पावर कंपनी को वास्तव में कितनी राशि की आवश्यकता है. उस अनुसार 2025-26 का नया टैरिफ निर्धारित किया जाएगा.
हर महीने बिजली बिल में बढ़ोतरी की चिंता
एफपीपीएएस शुल्क के कारण हर महीने उपभोक्ताओं को बिजली बिल में बढ़ोतरी का सामना करना पड़ रहा है. यह शुल्क स्थायी नहीं है, बल्कि यह उत्पादन लागत में अंतर के आधार पर बदलता रहता है, जिससे बजट पर सीधा असर पड़ता है.
उपभोक्ताओं को सलाह – करें सतर्कता से उपयोग
बिजली की कीमतों में बार-बार बदलाव से निपटने के लिए उपभोक्ताओं को ऊर्जा की खपत में सावधानी बरतने, अनावश्यक बिजली उपकरणों को बंद रखने और ऊर्जा दक्ष उपकरणों का प्रयोग करने की सलाह दी गई है.