Unmarried Women: बांग्लादेश में आज भी बाल विवाह की परंपरा गहराई से जड़ें जमाए हुए है. आंकड़े बताते हैं कि यहां 18 साल से पहले 51 प्रतिशत लड़कियों की शादी कर दी जाती है, जबकि 15 साल से पहले 16 प्रतिशत लड़कियां विवाह के बंधन में बंध जाती हैं. मुस्लिम बहुल इस देश में महिलाओं की सामाजिक स्थिति और पारिवारिक दबाव के कारण लड़कियों की ज़िंदगी कई तरह की पाबंदियों से बंधी होती है.
समाज में आधुनिकता की धीमी रफ्तार
हालांकि दुनिया तेजी से बदल रही है, लेकिन बांग्लादेश अभी भी आधुनिक सोच और महिला स्वतंत्रता के मामले में पिछड़ा हुआ माना जाता है. यहां की महिलाएं आज भी पुरुषों पर निर्भर रहने को मजबूर हैं. पढ़ी-लिखी और कामकाजी महिलाएं भी समाज के इस रवैये से अछूती नहीं हैं.
कुंवारी महिलाओं के लिए स्वतंत्र रहना मुश्किल
कुंवारी महिलाओं के लिए बांग्लादेश के शहरी इलाकों जैसे ढाका में अकेले घर लेकर रहना बेहद कठिन है. सामाजिक रूप से उन्हें स्वीकृति नहीं मिलती, और सुरक्षा की भी कोई गारंटी नहीं होती. यदि कोई युवती अकेले रहना चाहती है, तो उसे समाज की कड़ी निगाहों और आलोचनाओं का सामना करना पड़ता है.
आधिकारिक आंकड़ों की कमी, पर संकेत स्पष्ट
यह जानना मुश्किल है कि हर साल कितनी लड़कियां बांग्लादेश में कुंवारी रह जाती हैं, क्योंकि ऐसे आंकड़े सरकारी रिकॉर्ड में उपलब्ध नहीं हैं. लेकिन विभिन्न रिपोर्टों और सामाजिक स्थितियों से यह साफ होता है कि कुंवारी रहने वाली महिलाओं की संख्या बेहद कम है.
2020 की रिपोर्ट में सामने आए आंकड़े
साल 2020 की एक रिपोर्ट के अनुसार:
- 10 साल से ऊपर की 25.4 प्रतिशत महिलाएं कुंवारी थीं.
- वहीं पुरुषों में यह आंकड़ा 38.3 प्रतिशत था.
- 25 से 29 साल की उम्र में केवल 10 प्रतिशत महिलाएं ही सिंगल थीं.
- जबकि 30 से 34 साल की उम्र में यह आंकड़ा और घटकर 5 प्रतिशत रह गया.
घर की सीमाओं में सिमटी महिलाएं
बांग्लादेश में महिलाओं को परिवार से अलग होकर अपनी पहचान बनाना अब भी एक चुनौती है. सामाजिक रिवाज और धार्मिक प्रभाव के कारण वे अकेले जीवन जीने या स्वतंत्र निर्णय लेने से वंचित रहती हैं.
घरेलू हिंसा की भयावह तस्वीर
UN Women Asia-Pacific की एक रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 70 प्रतिशत महिलाओं ने कभी न कभी पति द्वारा शारीरिक, मानसिक, यौन या आर्थिक हिंसा झेली है. इससे उनकी स्वतंत्रता और आत्मसम्मान पर सीधा प्रभाव पड़ता है.
कानूनों और अधिकारों में महिलाओं के प्रति भेदभाव
रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि परंपरागत व्यक्तिगत कानून, जैसे विवाह, तलाक और संपत्ति संबंधी नियम, महिलाओं के खिलाफ पक्षपातपूर्ण हैं. बांग्लादेश में लैंगिक समानता के अधिकारों को लेकर अब भी कई सुधार बाकी हैं.
Gender Gap Index में मामूली सुधार
हालांकि बांग्लादेश सरकार ने लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए कुछ पहलें शुरू की हैं और Gender Gap Index में प्रगति के संकेत भी मिले हैं, लेकिन ग्रामीण और निम्न वर्ग की महिलाओं के लिए ये सुधार अभी ज़मीन पर पूरी तरह नहीं उतरे हैं.
शादी को लेकर लड़कियों का नजरिया बदल रहा है
अब बांग्लादेश में धीरे-धीरे कुछ युवा महिलाएं शादी को लेकर पारंपरिक सोच से अलग हो रही हैं. वे अपनी शिक्षा, करियर और स्वतंत्रता को प्राथमिकता दे रही हैं, लेकिन यह तबका अभी बहुत सीमित है. समाज का बड़ा हिस्सा अब भी लड़कियों को शादी के लिए तैयार करने में ही लगा हुआ है.
महिलाओं की स्थिति में बदलाव की जरूरत
बांग्लादेश को यदि सच में विकास और समानता की ओर बढ़ना है, तो उसे महिलाओं को शिक्षा, स्वतंत्रता और सुरक्षा जैसे मूलभूत अधिकारों के प्रति अधिक सजग और सक्रिय होना होगा. तभी जाकर वहां की लड़कियां कुंवारी रहने या देर से शादी करने जैसे निर्णय खुद ले सकेंगी.