इस राज्य में नही होती गर्मियों की छुट्टियां, कारण भी है बेहद खास Summer school holiday

Summer school holiday: जब देशभर के स्कूली बच्चे गर्मी की छुट्टियों का आनंद उठा रहे होते हैं, उस वक्त हिमाचल प्रदेश के बच्चे पढ़ाई में व्यस्त रहते हैं. इसका कारण सिर्फ शैक्षणिक नहीं, बल्कि भौगोलिक और पर्यावरणीय परिस्थितियों से जुड़ा हुआ है. हिमाचल प्रदेश एक पहाड़ी और ठंडा राज्य है, जहां गर्मियों का असर अपेक्षाकृत बहुत कम होता है. ऐसे में यहां पर समर वेकेशन की जगह मानसून वेकेशन यानी बरसात की छुट्टियां दी जाती हैं.

गर्मी नहीं, बरसात बनती है चुनौती

हिमाचल में गर्मियों के दौरान मौसम सुखद रहता है, लेकिन मानसून के मौसम में लैंडस्लाइड, सड़क अवरोध और अन्य आपदाएं आम हो जाती हैं. यही वजह है कि शिक्षा विभाग ने गर्मी की बजाय बारिश के समय छुट्टियां देना ज्यादा व्यावहारिक माना है. इससे बच्चों की सुरक्षा भी सुनिश्चित होती है और पढ़ाई का नुकसान भी नहीं होता.

छुट्टियों का शेड्यूल

हिमाचल प्रदेश में स्कूलों की छुट्टियों की व्यवस्था काफी योजना के अनुसार तय की गई है:

यह भी पढ़े:
ट्रेन से बाइक पार्सल करने का क्या है प्रॉसेस, जाने कितना आता है बाइक पार्सल का खर्चा Railway Bike Parcel
  • 1 अप्रैल से 4 अप्रैल तक रिजल्ट ब्रेक
  • 22 जून से 29 जुलाई तक 38 दिनों का मानसून ब्रेक
  • दिवाली के समय 4 दिन का फेस्टिवल ब्रेक
  • सर्दियों में 6 दिन का विंटर ब्रेक

इस तरह कुल मिलाकर सालाना लगभग 52 दिन की छुट्टियां छात्रों को मिलती हैं. लेकिन ध्यान देने वाली बात ये है कि इनमें गर्मी की कोई छुट्टी शामिल नहीं होती.

मौसम के अनुसार दो तरह के स्कूल

  • हिमाचल में स्कूलों को दो कैटेगरी में बांटा गया है:
  • समर क्लोजिंग स्कूल: ये स्कूल मैदानी इलाकों में होते हैं. यहां जुलाई-अगस्त में छुट्टियां होती हैं और सत्र अप्रैल से मार्च तक चलता है.
  • विंटर क्लोजिंग स्कूल: ये पहाड़ी और अत्यधिक ठंडे इलाकों में होते हैं. यहां दिसंबर-जनवरी में विंटर ब्रेक दिया जाता है और सत्र नवंबर से अक्टूबर तक चलता है.
  • इस तरह स्थानीय जलवायु के अनुसार स्कूलों की छुट्टियों और सत्र का निर्धारण किया जाता है.

विशेषज्ञ क्या कहते हैं?

पालमपुर स्पेक्ट्रम स्कूल के प्रिंसिपल रमन अवस्थी बताते हैं कि हिमाचल की भौगोलिक परिस्थितियां अलग हैं. यहां की जलवायु को देखते हुए गर्मियों में छुट्टी देना जरूरी नहीं होता, लेकिन मानसून में लैंडस्लाइड और रास्ता बंद होने जैसी घटनाएं बच्चों की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन सकती हैं. इसलिए मानसून ब्रेक बच्चों की भलाई के लिए अहम है.

बच्चों की पढ़ाई और सुरक्षा दोनों जरूरी

यह व्यवस्था सिर्फ बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए नहीं, बल्कि उनकी पढ़ाई को व्यवस्थित और निर्बाध रूप से चलाने के लिए भी की जाती है. गर्मियों में पढ़ाई के लिए मौसम अनुकूल होता है, वहीं मानसून में घरों में रहकर बच्चे सुरक्षित भी रहते हैं और स्वस्थ भी.

यह भी पढ़े:
बुधवार शाम को सोना चांदी पहुचा 1 लाख के पार, जाने 22 और 24 कैरेट सोने के ताजा बाजार भाव Sone Ka Bhav

Leave a Comment