ट्रेन के एक पहिए की कितनी होती है कीमत, असली रेट सुनकर तो नही आएगी नींद Train Wheel Cost

Train Wheel Cost: भारतीय रेलवे विश्व के सबसे बड़े रेल नेटवर्कों में से एक है, जो न केवल यात्रियों की सुविधा के लिए जाना जाता है बल्कि अपनी तकनीकी मजबूती और स्वदेशी निर्माण क्षमता के लिए भी सराहा जाता है. ट्रेनें आज देश के हर कोने को जोड़ने का सशक्त माध्यम बन चुकी हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इन ट्रेनों के पहिए कितने महंगे होते हैं?

ट्रेन यात्रा क्यों है सस्ती और आसान

जहां हवाई यात्रा तेज जरूर है, लेकिन आम आदमी के बजट से बाहर होती है, वहीं रेल यात्रा किफायती और सुलभ विकल्प है. ट्रेनें लाखों लोगों के रोज़ाना सफर का हिस्सा हैं. इन्हें चलाने में कई अहम उपकरणों की भूमिका होती है, जिनमें ट्रेन के पहिए सबसे महत्वपूर्ण माने जाते हैं.

ट्रेन के एक पहिए की कीमत क्या है?

रेलवे अधिकारियों के अनुसार, एक ट्रेन के पहिए की कीमत लगभग ₹70,000 होती है. यह लागत हर उस कोच के लिए होती है, जो भारतीय ट्रेनों में दौड़ते हैं. यदि एक ट्रेन में दर्जनों कोच हैं, तो आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि केवल पहियों पर ही रेलवे का कितना खर्च आता है.

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स्वदेशी बनाम आयातित पहिए

रेलवे के अधिकारी बताते हैं कि कुछ पहिए आयात किए जाते हैं, जबकि कई भारत में ही बनाए जाते हैं. जब भारत में पहिए बनाए जाते हैं तो इससे रेलवे को काफी लागत में बचत होती है. इससे आत्मनिर्भर भारत अभियान को भी बल मिलता है.

आत्मनिर्भर भारत की दिशा में रेलवे का बड़ा कदम

मई 2022 में वंदे भारत ट्रेनों के लिए भारत में ही तैयार किए गए 39,000 पहियों की सप्लाई की गई थी. यह कदम रेलवे के लिए एक मील का पत्थर साबित हुआ, जिससे ना केवल आयात पर निर्भरता कम हुई बल्कि स्थानीय निर्माण इकाइयों को बढ़ावा मिला.

ट्रेन के पहिए कैसे बनते हैं?

ट्रेन के पहिए विशेष इस्पात से बनाए जाते हैं, ताकि वे लाखों किलोमीटर तक भारी लोड और तेज गति सह सकें. ये पहिए कई चरणों में जांच और परीक्षण से गुजरते हैं, ताकि उनकी गुणवत्ता और मजबूती सुनिश्चित हो सके.

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रेलवे की लागत में पहियों की भूमिका

एक ट्रेन की संरचना और संचालन में पहियों की लागत महत्वपूर्ण होती है. एक ट्रेन में औसतन 16 से 24 कोच होते हैं और हर कोच में 8 पहिए होते हैं. यानी एक ट्रेन में लगभग 128 से 192 पहिए होते हैं. ऐसे में आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि एक पूरी ट्रेन के पहियों पर ही 1 करोड़ रुपये से अधिक खर्च हो सकता है.

भारतीय रेलवे का आर्थिक दृष्टिकोण

रेलवे विभाग लगातार कोशिश कर रहा है कि ज़्यादा से ज़्यादा चीजें स्वदेशी निर्माण के माध्यम से उपलब्ध कराई जाएं. इससे न केवल विदेशी मुद्रा की बचत होती है, बल्कि देश में रोजगार भी बढ़ता है.

पहिए की कीमत जानना क्यों जरूरी?

यह जानकारी आम जनता के लिए इसीलिए भी अहम है ताकि लोग समझ सकें कि एक ट्रेन को दौड़ाने के लिए केवल इंजन ही नहीं, बल्कि हर छोटी चीज भी बहुमूल्य होती है. पहिए जैसी चीज़ें जिनका उपयोग हम रोज़ाना सफर में देखते हैं, उनकी लागत जानना जन-जागरूकता बढ़ाने का एक प्रयास है.

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