GST Discount: देश में 8 साल पहले लागू किए गए गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) को अब सरल और पारदर्शी बनाने के लिए केंद्र सरकार एक और बड़ा कदम उठाने की तैयारी में है. इस बदलाव के तहत सरकार 12% टैक्स स्लैब को हटाने और उसमें आने वाले अधिकतर सामानों को 5% टैक्स कैटेगरी में शामिल करने पर विचार कर रही है. इसका सीधा फायदा आम उपभोक्ताओं को हो सकता है.
12% टैक्स स्लैब हटेगा
GST की मौजूदा व्यवस्था में पांच टैक्स स्लैब (0%, 5%, 12%, 18%, और 28%) हैं. सरकार अब इस संख्या को घटाकर केवल तीन स्लैब (5%, 18% और 28%) करने की दिशा में आगे बढ़ रही है. इससे टैक्स स्ट्रक्चर सरल होगा और कन्फ्यूजन की स्थिति खत्म होगी.
12% स्लैब में कौन-कौन से सामान आते हैं?
वर्तमान में 12% टैक्स स्लैब में आने वाले प्रमुख सामानों में शामिल हैं:
- जूते-चप्पल (₹1000 तक)
- 1000 रुपये से ऊपर के कपड़े
- चीज़, पनीर, मक्खन, घी, डेयरी प्रोडक्ट्स
- टॉफी, कैंडी, नमकीन, भुजिया, सॉस, जैम
- डायबिटिक फूड, डिब्बाबंद सब्जियां और फल
- फर्नीचर, मूर्तियां, लकड़ी और बांस के सजावटी सामान
- प्रिजर्व्ड फिश, नट्स, पिस्ता, किशमिश जैसे सूखे मेवे
- कपड़ा, जूट बैग, वॉटर बॉटल, खेल का सामान
- अगर इन्हें 5% टैक्स स्लैब में लाया गया तो यह सामान सस्ते हो सकते हैं.
जरूरी दवाओं पर भी हो सकती है टैक्स में राहत
अभी आवश्यक और जीवन रक्षक दवाएं 5% या GST के दायरे से बाहर हैं, जबकि अन्य दवाएं 12% टैक्स स्लैब में आती हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि इन दवाओं को भी 5% स्लैब में लाया जाए, जिससे इलाज सस्ता हो और जनता को सीधा फायदा मिल सके.
सेस सिस्टम में भी हो सकता है बदलाव
सरकार का दूसरा बड़ा प्लान है सेस (Cess) को सीधे जीएसटी रेट में शामिल करना. वर्तमान में कई महंगे सामान जैसे:
- SUV और कारें
- सिगरेट, तंबाकू
कोल्ड ड्रिंक्स, पान मसाला
इन पर 28% GST के साथ 22% तक सेस लगता है. अब यह सेस सीधे 50% GST के रूप में दिखाया जाएगा. इससे टैक्स सिस्टम अधिक पारदर्शी बनेगा और राज्यों को अधिक राजस्व मिलेगा.
सेस हटेगा तो क्या होगा असर?
सरकार के मुताबिक, सेस हटाने से उपभोक्ताओं पर सीधा असर नहीं पड़ेगा, लेकिन टैक्स स्ट्रक्चर साफ और सरल हो जाएगा. यह सेस अभी तक राज्यों को मुआवजा और कोविड काल के लोन की वसूली के लिए लगाया गया था और मार्च 2026 तक लागू रहेगा.
राज्यों को मिलेगा ज्यादा टैक्स शेयर
जीएसटी के तहत वसूला गया टैक्स दो हिस्सों में बंटता है –
- CGST (Central GST)
- SGST (State GST)
राज्यों को SGST का पूरा हिस्सा और CGST का एक बड़ा हिस्सा मिलता है. जब सेस को भी जीएसटी में मिला दिया जाएगा, तो उसका हिस्सा भी राज्यों को मिलेगा. इससे राज्य ज्यादा मजबूत होंगे.
बदलाव पर कब होगी अंतिम मुहर?
GST काउंसिल की बैठक जुलाई के तीसरे हफ्ते या मानसून सत्र के बाद होने की संभावना है. इसमें:
- 12% स्लैब हटाने
- सेस को जीएसटी में मिलाने
- ऑनलाइन गेमिंग, बीमा और रियल एस्टेट पर नियम स्पष्ट करने
- GST Appellate Tribunal शुरू करने
- नया इनवॉइस सिस्टम लागू करने
- जैसे अहम फैसले लिए जा सकते हैं.
क्या होगा आम जनता को फायदा?
अगर यह प्रस्ताव पास होता है तो आम उपभोक्ताओं को मिलेगा:
- रोजमर्रा के सैकड़ों सामानों पर कम टैक्स
- जीएसटी रेट का सीधा और पारदर्शी फॉर्मेट
- दवाओं के सस्ते होने की संभावना
- क्लासिफिकेशन और बिलिंग में सरलता
- राज्यों को ज्यादा टैक्स हिस्सेदारी, जिससे पब्लिक सुविधाएं बेहतर होंगी
क्यों जरूरी है यह सुधार?
टैक्स विशेषज्ञों का मानना है कि GST में सुधार से न केवल टैक्सदाताओं की सुविधा बढ़ेगी, बल्कि राजस्व में भी स्थिरता आएगी. स्लैब कम करने से उलझनें घटेंगी और विवाद कम होंगे. साथ ही, सरकार टैक्स चोरी को भी कंट्रोल कर सकेगी.