IMD Cloud Rain Test: दिल्ली की बढ़ती वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए सरकार ने एक ऐतिहासिक और तकनीकी प्रयोग की शुरुआत की है. राजधानी में पहली बार कृत्रिम बारिश (Artificial Rain) कराने की योजना तैयार की गई है. इस प्रयोग का उद्देश्य है कि प्रदूषण के स्तर को कम कर नागरिकों को साफ हवा उपलब्ध कराई जा सके.
4 से 11 जुलाई के बीच रसायनों का होगा छिड़काव
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने शनिवार को जानकारी दी कि कृत्रिम वर्षा के लिए 4 से 11 जुलाई 2025 के बीच मौसम अनुकूल रहने की स्थिति में रसायनों का छिड़काव किया जाएगा.
- 3 जुलाई तक मौसम अनुकूल नहीं माना जा रहा है
- इसलिए 4 जुलाई से आगे की तारीखों को प्राथमिक समयावधि माना गया है
- आईआईटी कानपुर और भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) मिलकर तकनीकी संचालन करेंगे
डीजीसीए को भेजा गया प्रस्ताव
मंत्री सिरसा ने बताया कि नागरिक विमानन महानिदेशालय (DGCA) को एक प्रस्ताव भेजा गया है. इसमें मांग की गई है कि यदि मौसम प्रतिकूल होता है, तो वैकल्पिक तिथि उपलब्ध कराई जाए ताकि बाद में इस योजना को सफलतापूर्वक अंजाम दिया जा सके.
प्रदूषण नियंत्रण में बड़ा कदम
सिरसा ने कहा कि यह दिल्ली में शहरी प्रदूषण नियंत्रण के लिए अब तक की सबसे अग्रगामी पहल है. यह पूरी योजना मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में लागू की जा रही है.
उन्होंने कहा, “हर नागरिक को स्वच्छ हवा मिलना उसका मौलिक अधिकार है. हम कृत्रिम बारिश के ज़रिए इस दिशा में सार्थक प्रयास कर रहे हैं.”
विपक्ष के आरोपों पर जवाब
पूर्ववर्ती सरकार में मंत्री रहे आप नेता सौरभ भारद्वाज ने आरोप लगाया था कि भाजपा और केंद्र सरकार ने कृत्रिम बारिश के प्रस्ताव को नजरअंदाज किया और उसका मजाक उड़ाया.
इसके जवाब में सिरसा ने कहा, “हमने न केवल MoU पर हस्ताक्षर किए बल्कि IIT कानपुर को भुगतान भी किया और सभी जरूरी अनुमोदन प्राप्त किए. केवल बात नहीं, हमने काम किया.”
प्रौद्योगिकी और तकनीकी प्रक्रिया
इस परियोजना को शीर्षक दिया गया है – “दिल्ली-एनसीआर प्रदूषण न्यूनीकरण के लिए एक विकल्प के रूप में कृत्रिम बारिश की प्रौद्योगिकी प्रदर्शन और मूल्यांकन”.
- उत्तर-पश्चिम और बाहरी दिल्ली के क्षेत्रों में 5 विमान उड़ाए जाएंगे
- हर उड़ान 90 मिनट की होगी और 100 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में होगी बारिश
- इस तकनीक को आईआईटी कानपुर ने विकसित किया है
रसायनों का संयोजन और बारिश की प्रक्रिया
आईआईटी कानपुर ने जो रासायनिक फॉर्मूला तैयार किया है, उसमें शामिल हैं:
- सिल्वर आयोडाइड नैनोकण
- आयोडीन युक्त नमक
- सेंधा नमक (rock salt)
- इन रसायनों का छिड़काव नमी युक्त बादलों में किया जाएगा, जिससे बूंदों का निर्माण तेज होगा और कृत्रिम वर्षा को प्रेरित किया जा सकेगा.
स्वच्छ हवा की दिशा में एक बड़ा कदम
- सरकार को उम्मीद है कि यह प्रयोग सिर्फ दिल्ली के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के प्रदूषण प्रभावित इलाकों के लिए एक मॉडल साबित हो सकता है.
- यह पहल दिखाती है कि सरकार प्रदूषण को केवल घोषणाओं से नहीं, टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से भी काबू करना चाहती है.
- अगर यह सफल रहा, तो आने वाले समय में अन्य शहरों में भी इसे लागू किया जा सकता है.