Haryana Roadways Strike: हरियाणा रोडवेज कर्मचारियों की लंबे समय से लंबित मांगें अब आंदोलन का रूप लेने जा रही हैं. राज्य सरकार और रोडवेज प्रशासन से कई दौर की वार्ता विफल होने के बाद कर्मचारियों ने 9 जुलाई 2025 को पूरे प्रदेश में चक्का जाम करने की घोषणा की है.
रोडवेज यूनियन का आरोप है कि सरकार की अनदेखी और वादाखिलाफी के कारण कर्मचारियों का विश्वास टूट रहा है. इस बार आंदोलन की कमान हरियाणा रोडवेज वर्कर्स यूनियन मुख्यालय ने संभाली है और इसकी अगुवाई राज्य प्रधान नरेंद्र दिनोद और महासचिव सुमेर सिवाच कर रहे हैं.
ऑनलाइन स्थानांतरण पॉलिसी बनी वेतन अटकने की वजह
- यूनियन नेताओं के अनुसार, रोडवेज विभाग में ऑनलाइन ट्रांसफर पॉलिसी के तहत हुए स्थानांतरण के बाद 1044 कर्मचारियों को अब तक वेतन नहीं मिला है.
- ये कर्मचारी नए कार्यस्थलों पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन वेतन भुगतान लंबित है.
- कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें परिवार का पालन-पोषण, बच्चों की फीस, दूध-दही, परचून, और अन्य जरूरी खर्चों के लिए मासिक किस्तें भरनी पड़ती हैं, लेकिन वेतन न मिलने से उनका जीवन संकट में आ गया है.
- यूनियन का दावा है कि कर्मचारियों को मानसिक व आर्थिक दोनों स्तर पर परेशानी झेलनी पड़ रही है.
बार-बार वार्ता, लेकिन नहीं निकला समाधान
- रोडवेज कर्मचारी नेताओं का कहना है कि सरकार व विभागीय अधिकारियों के साथ कई बार बातचीत हुई, लेकिन कई मांगों पर सहमति बनने के बावजूद आदेश जारी नहीं किए गए.
- वरिष्ठ उपप्रधान शिवकुमार और राज्य उपप्रधान जयकुंवार दहिया ने कहा कि ये केवल भ्रम और टालमटोल की नीति है.
- बार-बार आश्वासन देकर केवल आंदोलन को रोका जाता है, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई बदलाव नहीं होता.
इससे कर्मचारियों में गहरी नाराजगी और असंतोष है.
- 9 जुलाई को पूरे हरियाणा में रहेगा चक्का जाम
- यूनियन ने स्पष्ट कर दिया है कि 9 जुलाई को पूरे प्रदेश में रोडवेज सेवा ठप रहेगी.
- हर जिले, हर बस डिपो और हर रूट पर बसें नहीं चलेंगी.
- इसका सीधा असर लाखों यात्रियों की आवाजाही पर पड़ेगा.
- चक्का जाम के जरिए सरकार को कड़ा संदेश देने की तैयारी है.
- अन्य ट्रेड यूनियनों और साझा मोर्चा का भी समर्थन इस आंदोलन को मिल सकता है.
सरकार से क्या है कर्मचारियों की मुख्य मांगें?
रोडवेज कर्मचारियों की प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं:
- ऑनलाइन ट्रांसफर के तहत स्थानांतरित कर्मचारियों को तत्काल वेतन भुगतान किया जाए.
- जिन मांगों पर पहले सहमति बनी है, उन पर आदेश जल्द से जल्द जारी किए जाएं.
- प्रदेश में 10 हजार नई बसें बेड़े में शामिल की जाएं, ताकि सेवा में सुधार हो और
- 6 हजार बेरोजगार युवाओं को पक्का रोजगार दिया जा सके.
- इन मांगों को लेकर कर्मचारियों का कहना है कि यदि जल्द समाधान नहीं हुआ, तो आंदोलन को और व्यापक किया जाएगा.
सरकार की चुप्पी पर उठ रहे सवाल
- कर्मचारियों का कहना है कि सरकार की ओर से संवेदनशीलता की कमी साफ दिखाई दे रही है.
- जहां कर्मचारी वेतन के लिए जूझ रहे हैं, वहीं सरकार इस मुद्दे पर मौन साधे बैठी है.
- कर्मचारियों का आरोप है कि यह रवैया जनता की परिवहन सेवा को भी प्रभावित करेगा.
- अगर जल्द कोई फैसला नहीं हुआ, तो जन असुविधा के लिए सरकार जिम्मेदार होगी.
- यूनियन ने जताई जनहित में चिंता, लेकिन सरकार को ठहराया जिम्मेदार
- हड़ताल की घोषणा करते हुए यूनियन नेताओं ने यह भी कहा कि चक्का जाम से उन्हें जनता की परेशानी का पूरा अंदाजा है.
- लेकिन जब सरकार संवेदनशील और जरूरी मुद्दों पर ही समाधान नहीं देती, तो आंदोलन ही एकमात्र रास्ता रह जाता है.
- यदि सरकार चर्चा के जरिए समाधान निकालना चाहती है, तो यूनियन इसके लिए तैयार है, लेकिन अब केवल बातों से काम नहीं चलेगा.
क्या होंगे चक्का जाम के असर?
- यात्रियों को बस सेवा के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करनी पड़ सकती है.
- दूरदराज के इलाकों और ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा असर देखने को मिल सकता है.
- स्कूल-कॉलेज और दफ्तर जाने वाले लोग प्राइवेट वाहनों या ट्रेनों पर निर्भर रहेंगे.
- इस दौरान अस्थायी ड्राइवर या प्राइवेट ऑपरेटरों से सेवाएं लेने की कोशिश हो सकती है, लेकिन इसका असर सीमित होगा.