7 School Holiday: मुहर्रम मुस्लिम समुदाय के लिए एक बेहद महत्वपूर्ण दिन होता है. यह दिन पैगंबर मोहम्मद के नवासे हजरत इमाम हुसैन की शहादत की याद में मनाया जाता है. खासकर शिया मुस्लिम समुदाय इस दिन को आत्म बलिदान और श्रद्धांजलि के रूप में जुलूस निकालकर मनाता है, वहीं सुन्नी मुसलमान कुरान की तिलावत और रोजा रखकर इस दिन को अदा करते हैं.
हर साल की तरह इस बार भी मुहर्रम की तारीख को लेकर असमंजस बना हुआ है, क्योंकि यह दिन चांद दिखने पर तय होता है. ऐसे में लोगों में छुट्टी को लेकर कंफ्यूजन है कि क्या 6 जुलाई को छुट्टी मिलेगी या 7 जुलाई को?
चांद के दीदार पर तय होगी मुहर्रम की तारीख
इस्लामिक कैलेंडर चंद्र आधारित होता है, यानी महीने की शुरुआत चांद दिखाई देने के बाद होती है. इस साल उत्तर प्रदेश सरकार के अवकाश कैलेंडर में मुहर्रम की संभावित छुट्टी 6 जुलाई को दी गई है, लेकिन यह तिथि अंतिम नहीं है.
- अगर 5 जुलाई की रात चांद दिखता है, तो 6 जुलाई को मुहर्रम मनाई जाएगी, और उसी दिन सरकारी छुट्टी भी होगी.
- अगर 6 जुलाई की रात चांद दिखाई देता है, तो 7 जुलाई को मुहर्रम की छुट्टी घोषित की जाएगी.
- यानी, अंतिम फैसला 5 और 6 जुलाई की रात को चांद दिखने पर ही लिया जा सकेगा.
किन-किन जगहों पर रहेगी छुट्टी?
मुहर्रम के दिन उत्तर प्रदेश सहित देश के कई हिस्सों में छुट्टी रखी जाती है. इस दिन शासकीय और अर्ध-शासकीय संस्थान बंद रहते हैं.
- सरकारी और गैर-सरकारी स्कूल-कॉलेज
- राज्य और केंद्र सरकार के कार्यालय
- बैंक और डाकघर
- कुछ निजी क्षेत्र की कंपनियां और संस्थान
- जो तारीख तय होगी, उसी दिन ये सभी संस्थान बंद रहेंगे.
धार्मिक रूप से क्यों खास होता है मुहर्रम?
मुहर्रम इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना होता है और इसे इस्लामिक नया साल भी माना जाता है. इस महीने की 10वीं तारीख को आशूरा कहा जाता है, जो हजरत इमाम हुसैन की शहादत का दिन होता है.
- शिया मुसलमान इस दिन मातम करते हैं, जुलूस निकालते हैं और ताजिए दफनाते हैं.
- सुन्नी मुसलमान इस दिन रोजा रखते हैं, कुरान पढ़ते हैं और दुआएं करते हैं.
- दान देना, जरूरतमंदों की मदद करना और इबादत करना इस दिन पुण्यकारी माना जाता है.
- जुलूस, ताजिया और मातम: कैसे मनाते हैं शिया मुसलमान?
- मुहर्रम के दिन शिया समुदाय द्वारा खास आयोजन किए जाते हैं.
- जगह-जगह से अशूरा के जुलूस निकलते हैं.
- लोग ताजिया बनाकर उन्हें कब्रिस्तान में दफनाते हैं, जो इमाम हुसैन की याद का प्रतीक होते हैं.
- मातमी गीत और नारे लगाए जाते हैं, लोग छाती पीटकर शोक प्रकट करते हैं.
- यह दिन बलिदान, ईमान और संघर्ष की भावना को समर्पित होता है.
क्यों होता है हर साल तारीख को लेकर भ्रम?
- हर साल मुहर्रम की तारीख को लेकर एक जैसा भ्रम होता है, क्योंकि इसकी घोषणा चांद दिखने पर निर्भर करती है.
- चूंकि ईद और मुहर्रम दोनों ही चंद्र कैलेंडर पर आधारित होते हैं, इसलिए इनकी तारीखें हर साल बदलती रहती हैं.
- सरकारी कैलेंडर में केवल संभावित तारीख दर्ज की जाती है, जो चांद दिखने पर कन्फर्म होती है.
क्या करें आम लोग?
- अगर आप विद्यार्थी हैं, नौकरीपेशा हैं या फिर अभिभावक हैं, तो आपको यह सलाह दी जाती है कि:
- 5 और 6 जुलाई को रात में आने वाले सरकारी आदेश पर नजर रखें.
- स्थानीय प्रशासन और स्कूल की वेबसाइट या नोटिस बोर्ड चेक करते रहें.
- यात्रा या अन्य योजना इसी अनुसार बनाएं.
- चूंकि यह राष्ट्रीय अवकाश की श्रेणी में नहीं आता, तो छुट्टी राज्यवार अलग हो सकती है.