Unusual Wedding: अक्सर हमारे समाज में यह सुनने को मिलता है कि लड़कों को शादी के लिए लड़कियां नहीं मिल रहीं, लेकिन ब्राज़ील में एक ऐसा गांव है जहां सैकड़ों कुंवारी लड़कियां हैं, पर उन्हें दूल्हे नहीं मिलते. यह गांव है नोवा डो कोर्डेइरो (Nova do Cordeiro), जिसकी कहानी जितनी अनोखी है, उतनी ही दिलचस्प भी.
गांव में सैकड़ों कुंवारी लड़कियां, फिर भी अधूरी हैं शादियां
रिश्तेदारों से शादी नहीं कर सकतीं गांव की महिलाएं सोशल मीडिया पर वायरल हो रही एक पोस्ट के अनुसार, इस गांव में करीब 600 लड़कियां ऐसी हैं जिनकी उम्र 20 से 35 वर्ष के बीच है और जो अब तक अविवाहित हैं. इस समस्या की एक वजह यह है कि गांव में रहने वाले पुरुष या तो पहले से विवाहित हैं या उन्हीं लड़कियों के रिश्तेदार हैं, जिससे शादी संभव नहीं होती.
क्यों नहीं होते इन लड़कियों की शादियां?
शादी के बाद लड़कियां ससुराल नहीं जाना चाहतीं इस गांव की महिलाएं शादी के बाद ससुराल नहीं जाना चाहतीं. वे चाहती हैं कि दूल्हा उनके घर में आकर रहे और गांव के बनाए गए नियमों का पालन करे. यह नियम आज से नहीं बल्कि 1995 से लागू हैं, जब यहां की महिलाओं ने मिलकर स्वतंत्रता आधारित समाज की नींव रखी थी.
महिला-प्रधान समाज और आत्मनिर्भरता
गांव में पुरुषों के लिए नियम अपनाना नहीं आसान नोवा डो कोर्डेइरो एक ऐसा गांव है जहां महिलाएं हर निर्णय खुद लेती हैं और समाज की रीढ़ हैं. यहां की महिलाएं आर्थिक, सामाजिक और घरेलू रूप से पूरी तरह आत्मनिर्भर हैं. ऐसे में बाहर से आने वाले लड़कों को इनकी जीवनशैली में ढलना मुश्किल होता है और यही वजह है कि शादी के प्रस्ताव ठुकरा दिए जाते हैं.
क्या यह सच है या सिर्फ सोशल मीडिया अफवाह?
BBC ब्राज़ील और फैक्ट चेक वेबसाइटों ने किया खुलासा हालांकि सोशल मीडिया पर यह दावा तेजी से वायरल हुआ कि नोवा डो कोर्डेइरो की लड़कियों को पति नहीं मिलते, लेकिन BBC ब्राज़ील की रिपोर्ट और अन्य फैक्ट चेकिंग वेबसाइट्स ने इन दावों को झूठा बताया है. उन्होंने गांव के लोगों से बात की और पाया कि ऐसी कोई समस्या नहीं है. असल में यह 2014 में एक मीडिया रिपोर्ट के जरिए सामने आया था, जिसके आधार पर आज भी यह अफवाह चल रही है.
सोशल मीडिया में कैसे फैलती हैं ऐसी कहानियां?
पुरानी खबरें बनती हैं नए मीम्स और दावे आज के दौर में सोशल मीडिया पर किसी भी पुराने या अधूरे तथ्यों को नया रंग देकर वायरल किया जा सकता है. नोवा डो कोर्डेइरो की महिलाओं की कहानी भी इसी का एक उदाहरण है. महिला सशक्तिकरण और सामाजिक संरचना के कारण यह गांव चर्चा में जरूर है, लेकिन दूल्हों की कमी की बात एक भ्रम मात्र है.