Teacher Dress Code: चंडीगढ़ के सरकारी स्कूलों में अब केवल छात्र ही नहीं, शिक्षक और हेडमास्टर भी यूनिफॉर्म में नजर आएंगे. शिक्षा विभाग ने इस संबंध में आधिकारिक सर्कुलर 30 जून को जारी कर दिया है, जिसमें सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले सभी टीचर्स और प्रिंसिपल्स के लिए ड्रेस कोड अनिवार्य कर दिया गया है. इस नए फैसले के बाद चंडीगढ़ देश का पहला ऐसा केंद्रशासित प्रदेश (UT) बन गया है जहां शिक्षकों के लिए यूनिफॉर्म की व्यवस्था की गई है.
हर सप्ताह सोमवार को पहननी होगी यूनिफॉर्म
शिक्षा विभाग के सर्कुलर के मुताबिक, सभी शिक्षक सप्ताह में कम से कम एक दिन यूनिफॉर्म पहनेंगे. रिपोर्ट्स के अनुसार, यह दिन सोमवार तय किया गया है, ताकि सप्ताह की शुरुआत एक अनुशासित और एकरूप माहौल के साथ हो सके. इसके अलावा विशेष आयोजनों और उत्सवों के दौरान भी ड्रेस कोड का पालन अनिवार्य रहेगा. यह फैसला UT एडमिनिस्ट्रेटर और पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया की सलाह के आधार पर लिया गया है.
क्या है इस ड्रेस कोड नीति का उद्देश्य?
इस नीति के पीछे प्रशासन का उद्देश्य स्कूलों में अनुशासन, एकरूपता और पेशेवर माहौल को बढ़ावा देना है. सरकारी स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों के लिए ड्रेस कोड लागू कर संस्थानों में एक जैसा दृष्टिकोण और टीम भावना विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है.
शिक्षकों की राय बंटी
जहां कुछ शिक्षक इस फैसले का स्वागत कर रहे हैं, वहीं कई इस नीति को लेकर नाराज़ भी हैं. कुछ शिक्षकों का कहना है कि हफ्ते में एक दिन यूनिफॉर्म पहनना तो ठीक है, लेकिन यदि रंग और डिजाइन भी निर्धारित किया गया, तो यह स्वतंत्रता का उल्लंघन होगा. साथ ही उन्होंने यह भी सवाल उठाया है कि अगर सरकार ड्रेस कोड लागू कर रही है तो उसे यूनिफॉर्म खरीदने के लिए कुछ आर्थिक सहायता (अलॉवेंस) भी देनी चाहिए.
क्या शिक्षकों को मिलनी चाहिए यूनिफॉर्म की सहायता?
ड्रेस कोड को लेकर सबसे बड़ा सवाल यही उठ रहा है कि शिक्षकों को इसकी भरपाई कैसे करनी होगी? जिन शिक्षकों की वेतन राशि सीमित है, उनके लिए यह आर्थिक बोझ बन सकता है. शिक्षकों का कहना है कि यदि सरकार यह कदम उठा रही है, तो प्रति वर्ष या प्रति सत्र यूनिफॉर्म अलॉवेंस दिया जाना जरूरी है.
छात्रों से मिलती है प्रेरणा या होती है असहजता?
कुछ शिक्षक मानते हैं कि यूनिफॉर्म से छात्रों और शिक्षकों के बीच समानता का भाव बढ़ता है और इससे विद्यार्थियों में भी अनुशासन और प्रेरणा आती है. वहीं कुछ का यह भी कहना है कि शिक्षक एक प्रोफेशनल वर्ग हैं और उन्हें अपनी वेशभूषा चुनने का अधिकार होना चाहिए. ज़रूरत से ज़्यादा नियम लागू करने से प्रेरणा की बजाय असंतोष बढ़ सकता है.
नीति के क्रियान्वयन पर अभी भी कई सवाल
हालांकि ड्रेस कोड लागू कर दिया गया है, लेकिन अभी यह स्पष्ट नहीं है कि यूनिफॉर्म का रंग, डिज़ाइन और प्रकार क्या होगा, और यह सभी शिक्षकों के लिए अनिवार्य कैसे होगा? साथ ही, यदि कोई शिक्षक इसका पालन नहीं करता है, तो उस पर क्या कार्रवाई की जाएगी, इस पर भी शिक्षा विभाग की ओर से कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है.
चंडीगढ़ से शुरू हुई पहल
चंडीगढ़ में शुरू हुई यह पहल आने वाले समय में अन्य राज्यों के लिए भी एक मॉडल बन सकती है. अगर इसे सकारात्मक फीडबैक मिलता है, तो हो सकता है कि देश के अन्य हिस्सों में भी शिक्षक ड्रेस कोड अनिवार्य किया जाए. हालांकि तब भी यह आवश्यक होगा कि सरकार शिक्षकों की राय और उनकी जरूरतों को ध्यान में रखे.