Public Holiday: उत्तर प्रदेश सरकार ने 7 जून 2025 को पूरे राज्य में सार्वजनिक अवकाश घोषित कर दिया है. यह अवकाश बकरीद (ईद-उल-अजहा) के अवसर पर दिया गया है. इस दिन सभी सरकारी कार्यालय, बैंक, कॉलेज और अन्य शासकीय संस्थान बंद रहेंगे. यह जून महीने का एकमात्र घोषित सार्वजनिक अवकाश है, जिसे लेकर प्रदेशभर में तैयारियां जोरों पर हैं.
धार्मिक सौहार्द के लिए प्रशासन सक्रिय
बकरीद को लेकर प्रदेश में सुरक्षा और शांति बनाए रखने के लिए जिला प्रशासन पूरी तरह सक्रिय हो गया है. उन्नाव समेत राज्य के विभिन्न जिलों में धर्म गुरुओं और समाज के प्रतिनिधियों के साथ लगातार बैठकों का आयोजन किया जा रहा है. इन बैठकों में प्रशासन द्वारा सभी धर्मों के लोगों से त्योहार को शांतिपूर्वक और सौहार्दपूर्ण तरीके से मनाने की अपील की जा रही है.
उन्नाव में छुट्टी की आधिकारिक घोषणा
उन्नाव जिले में 7 जून को बकरीद की छुट्टी को लेकर कलेक्टर कार्यालय, विकास भवन, LIC शाखाएं और बैंक यूनियनों ने अवकाश की सूचना जारी कर दी है. इसके साथ ही जिले के सभी कॉलेजों में भी छुट्टी की घोषणा की गई है. प्रशासन की ओर से सभी शासकीय और अर्धशासकीय संस्थानों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं.
पुलिस और प्रशासन ने शुरू की पीस कमेटी बैठकें
ईद-उल-अजहा के शांतिपूर्ण आयोजन के लिए पुलिस विभाग ने भी कमर कस ली है.
बीघापुर उप जिलाधिकारी और क्षेत्राधिकारी के नेतृत्व में बिहार थाना परिसर में धर्मगुरुओं और विशेष व्यक्तियों की उपस्थिति में पीस कमेटी की बैठक आयोजित की गई.
इसी तरह की बैठक सदर कोतवाली में अपर जिलाधिकारी सुशील कुमार और अपर पुलिस अधीक्षक अखिलेश सिंह की अगुवाई में आयोजित की गई.
इन बैठकों में धर्मगुरुओं को शासन की मंशा और प्रशासन की गाइडलाइन से अवगत कराया गया.
जिले के सभी थानों में चल रही बैठकें
उन्नाव ही नहीं, बल्कि प्रदेश के सभी थाना क्षेत्रों में ऐसे संवाद स्थापित किए जा रहे हैं, ताकि त्योहार के दौरान कोई असामाजिक गतिविधि न हो. प्रशासन की इस पहल से आम जनता में सुरक्षा और संयम का विश्वास बढ़ा है. अधिकारियों का कहना है कि सभी समुदायों की भागीदारी से त्योहार को सौहार्दपूर्ण ढंग से मनाया जाएगा.
कुर्बानी को लेकर प्रशासन की विशेष नजर
त्योहार के दौरान कुर्बानी को लेकर प्रशासन ने विशेष सतर्कता बरती है. धर्म गुरुओं से संवाद कर यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि सभी नियमों और दिशा-निर्देशों का पालन हो. प्रशासन का जोर इस बात पर है कि सार्वजनिक स्थानों पर कुर्बानी न हो और इससे किसी समुदाय की भावना आहत न हो.