Sc Employee: हरियाणा सरकार ने अनुसूचित जाति (SC) से संबंधित कर्मचारियों की शिकायतों को समयबद्ध तरीके से निपटाने के उद्देश्य से एक आंतरिक शिकायत निवारण समिति का गठन किया है. इस पहल को राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग की सिफारिशों के अनुरूप लागू किया गया है, ताकि एससी कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित की जा सके.
IAS विजयेन्द्र कुमार होंगे समिति के अध्यक्ष
यह समिति हरियाणा सिविल सचिवालय में कार्यरत होगी और इसकी अध्यक्षता IAS अधिकारी श्री विजयेन्द्र कुमार करेंगे. उनके नेतृत्व में यह समिति राज्य सरकार के विभिन्न विभागों और कार्यालयों में कार्यरत एससी कर्मचारियों की शिकायतों की जांच और समाधान सुनिश्चित करेगी.
समिति में 4 अन्य अधिकारी होंगे सदस्य
इस समिति में IAS विजय सिंह दहिया, सुशील सारवान, प्रदीप दहिया और HCS अधिकारी वर्षा खंगवाल को सदस्य नियुक्त किया गया है. ये सभी अधिकारी तीन वर्षों के लिए समिति में अपनी सेवाएं देंगे.
किसी भी सदस्य को इस कार्य के लिए कोई विशेष भत्ता या शुल्क नहीं मिलेगा. यह समिति स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से कार्य करेगी.
इन शिकायतों पर होगी सुनवाई?
समिति अनुसूचित जाति कर्मचारियों की निम्नलिखित प्रमुख शिकायतों पर सुनवाई करेगी:
- आरक्षण रोस्टर का उल्लंघन
- पदोन्नति में भेदभाव
- नियुक्ति प्रक्रिया में अनियमितता
- सेवा से अनुचित बर्खास्तगी या निलंबन
- स्थानांतरण में पक्षपात
- पेंशन और सेवा लाभों से इंकार
- वेतन भुगतान में देरी या बकाया
यह समिति इन शिकायतों की सत्यता की जांच कर एक महीने के भीतर रिपोर्ट संबंधित विभाग प्रमुख को सौंपेगी, ताकि समयबद्ध कार्रवाई सुनिश्चित हो सके.
शिकायतों के समाधान के लिए स्पष्ट प्रक्रिया
हरियाणा सरकार ने यह भी तय किया है कि समिति को सौंपी गई शिकायतों की निष्पक्ष जांच कर एक माह के भीतर रिपोर्ट पेश करना अनिवार्य होगा.
इसके बाद संबंधित विभाग या संगठन को अनुशंसाओं के आधार पर जरूरी कार्रवाई करनी होगी. इस व्यवस्था से एससी कर्मचारियों को एक सुरक्षित, संरक्षित और न्यायिक कार्य वातावरण प्राप्त होगा.
राष्ट्रीय आयोग की सिफारिशों पर आधारित है यह पहल
सरकार की यह पहल राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग द्वारा की गई सिफारिशों के अनुरूप है. आयोग ने सुझाव दिया था कि राज्य सरकारों को एससी कर्मचारियों की शिकायतों के लिए एक विशेष तंत्र विकसित करना चाहिए, जिससे भेदभाव और शोषण के मामलों को प्रभावी तरीके से रोका जा सके.
हरियाणा सरकार का यह कदम निश्चित रूप से अनुसूचित जाति समुदाय के लिए सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है.