Ration Card News: हिमाचल प्रदेश के राशन कार्ड धारकों के लिए एक बड़ी राहत की खबर है. सात महीने बाद राज्य के सभी डिपो में रिफाइंड तेल की आपूर्ति शुरू होने जा रही है. इससे पहले अक्टूबर 2024 के बाद से डिपो में रिफाइंड तेल नहीं मिल रहा था, जिससे लाखों लाभार्थी प्रभावित थे.
19.30 लाख कार्ड धारकों को मिलेगा सस्ता रिफाइंड तेल
राज्य के लगभग 19.30 लाख राशन कार्ड धारकों को अब फिर से 134 रुपए प्रति लीटर की दर से रिफाइंड तेल मिलेगा.
BPL और APL कार्डधारकों को यह दर लागू होगी.
वहीं आयकर दाताओं को यह तेल 140 रुपए प्रति लीटर की कीमत पर मिलेगा.
सप्लाई का पहला स्टॉक गोदामों तक पहुंच चुका है, और जल्द ही यह राज्यभर के पांच हजार राशन डिपो में उपलब्ध होगा.
गोकुल एग्रो को मिला सप्लाई का ऑर्डर
राज्य सरकार ने गोकुल एग्रो कंपनी को 9 लाख लीटर रिफाइंड तेल की आपूर्ति का ऑर्डर दिया था.
- इसमें से 1 लाख लीटर आंगनबाड़ी केंद्रों को भेजा जाएगा.
- शेष तेल डिपो में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के माध्यम से वितरित किया जाएगा.
- यह स्टॉक अक्टूबर के बाद पहली बार डिपो तक पहुंचा है, जिससे राज्यभर में तेल की कमी दूर हो सकेगी.
- सरसों के तेल की सप्लाई अंतिम चरण में, टेंडर अटका
- वहीं दूसरी ओर, सरसों के तेल की पुरानी सप्लाई अब समाप्ति के करीब है.
- जून के दूसरे सप्ताह में पुराना स्टॉक खत्म हो सकता है.
- अब तक सरकार ने नई निविदा को मंजूरी नहीं दी है, जिससे नई सप्लाई आने में समय लग सकता है.
- इस स्थिति को देखते हुए, सरकार अस्थायी रूप से दो-दो लीटर रिफाइंड तेल देने की तैयारी कर रही है, ताकि सरसों के तेल की अनुपलब्धता की भरपाई की जा सके.
तेल की कुल जरूरत
हिमाचल प्रदेश में हर महीने करीब 32 लाख लीटर तेल की जरूरत होती है, जिसे बाजार दर से कम कीमत पर उपलब्ध कराया जाता है.
इसमें शामिल हैं:
- गरीबी रेखा से नीचे (BPL)
- एपीएल श्रेणी
- आयकरदाता कार्डधारक
- फिलहाल राज्य के डिपो में दो-दो लीटर सरसों का तेल दिया जा रहा है:
- BPL/APL को 146 रुपये प्रति लीटर
- आयकरदाताओं को 153 रुपये प्रति लीटर
तेल आपूर्ति की स्थिरता पर टिकी है योजना की सफलता
- तेल वितरण की निरंतरता बनाए रखने के लिए जरूरी है कि सरकार जल्द से जल्द सरसों के तेल की नई निविदाओं को स्वीकृति दे.
अन्यथा, राशन कार्ड धारकों को बार-बार सप्लाई बाधित होने का सामना करना पड़ेगा. - रिफाइंड तेल की मौजूदा सप्लाई फिलहाल राहत जरूर देती है, लेकिन दीर्घकालिक समाधान के लिए टेंडर प्रक्रिया में पारदर्शिता और गति जरूरी है.