यूपी में इस दिन होगी मानसून की एंट्री, मौसम विभाग ने जारी किया पूर्वानुमान UP Weather Update

UP Weather Update: उत्तर प्रदेश में जून की शुरुआत के साथ ही मौसम में बदलाव साफ नजर आने लगा है. मौसम विभाग के मुताबिक 10 से 12 जून के बीच राज्य में मानसून की दस्तक हो सकती है. हालांकि गर्मी के लिए कुख्यात ‘नौतपा’ इस बार ज्यादा असर नहीं दिखा सका, क्योंकि बारिश ने पहले ही कई इलाकों में दस्तक दे दी है.

उत्तर भारत में भी जल्द दस्तक देगा मानसून

भारत में मानसून की शुरुआत हमेशा केरल से होती है. इस बार केरल में मानसून आठ दिन पहले ही पहुंच गया, जिससे मौसम विशेषज्ञ मान रहे हैं कि उत्तर भारत में भी मानसून इस साल समय से पहले आ सकता है.

यूपी में बन चुका है प्री-मानसून का माहौल

उत्तर प्रदेश और पूर्वी बिहार के कई इलाकों में प्री-मानसून की स्थिति बन चुकी है. ऊपरी वायुमंडल में, खासतौर पर 5000 फीट की ऊंचाई पर चक्रवाती हवाएं चल रही हैं, जिससे अगले कुछ दिनों में हल्की फुहारें और स्थानीय बारिश हो सकती हैं.

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यूपी में मानसून की एंट्री कब और कहां से होगी?

मौसम विभाग के अनुमान के अनुसार, मानसून की एंट्री 10 जून के बाद हो सकती है, और हर बार की तरह इस बार भी गोरखपुर से मानसून यूपी में प्रवेश करेगा. आमतौर पर 15 से 20 जून के बीच मानसून यूपी पहुंचता है, लेकिन इस बार यह थोड़ा जल्दी आ सकता है.

क्यों सबसे पहले गोरखपुर पहुंचता है मानसून?

मौसम विज्ञानी बताते हैं कि पूर्वी उत्तर प्रदेश का गोरखपुर क्षेत्र भौगोलिक दृष्टि से मानसून के रास्ते में सबसे पहले आता है, इसलिए हर साल मानसून यही से यूपी में प्रवेश करता है. यही वजह है कि यहां पहली बारिश सबसे पहले दर्ज होती है.

किसे कहते हैं असली मानसूनी वर्षा?

बीते कुछ दिनों से हुई बारिश को प्री-मानसून का हिस्सा माना जा रहा है, असली मानसूनी वर्षा तब मानी जाती है जब लगातार तीन दिन तक प्रतिदिन कम से कम 2.5 मिलीमीटर वर्षा हो. मौसम विभाग इसी आधार पर मानसून की घोषणा करता है.

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यूपी में सबसे ज्यादा बारिश कहां होती है?

गोरखपुर ही वो जिला है जहां यूपी में सबसे ज्यादा वर्षा होती है. मौसम विभाग के पुराने रिकॉर्ड के मुताबिक, गोरखपुर में औसतन 184.7 सेंटीमीटर वर्षा दर्ज की जाती है, जो राज्य के अन्य जिलों से कहीं ज्यादा है.

गोरखपुर में इस बार औसत से ज्यादा बारिश का अनुमान

मौसम विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार गोरखपुर में औसत से ज्यादा मानसूनी बारिश हो सकती है. चूंकि मानसून की शुरुआत भी यहीं से होती है, इसलिए यह इलाका बारिश के लिहाज से सबसे ज्यादा संवेदनशील और अहम माना जाता है.

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