शराब की खाली बोतलों पर बढ़ी सख्ताई, आबकारी विभाग की छापेमारी से खुली पोल Liquor Shop Action

Liquor Shop Action: जिले में हाई-प्रोफाइल शराब बारों में अवैध शराब की बिक्री और नकली शराब के धंधे पर शिकंजा कसने के लिए जिला आबकारी विभाग ने बड़ी कार्रवाई की है. शहर की कुछ चर्चित और महंगी बारों पर डिप्टी कमिश्नर आबकारी सुरेंद्र गर्ग और सहायक कमिश्नर महेश गुप्ता के निर्देश पर विशेष जांच अभियान चलाया गया.

हाई-प्रोफाइल बारों में की गई सघन चेकिंग

जिला आबकारी अधिकारी ललित कुमार के मुताबिक, AE.T.O आरएस बाजवा के नेतृत्व में गठित टीम ने अमृतसर के कई प्रमुख बारों जैसे फॉरेस्ट रिजॉर्ट्स, सिग्नेचर हॉस्पिटैलिटी, दी कबीला, बार्बीक्यू नेशन आदि की गहन चेकिंग की. ये बार स्थानीय अमीर वर्ग और विदेशी टूरिस्टों के बीच लोकप्रिय हैं.

स्टॉक और बिक्री रिकॉर्ड की जांच, खाली बोतलों को किया नष्ट

टीम ने बारों में पहुंचकर वहां का शराब स्टॉक और बिक्री रिकॉर्ड जांचा. साथ ही यह देखा गया कि कितनी शराब बेची गई और कितनी बोतलें खाली बची हैं. टीम ने बची हुई बोतलों को मौके पर नष्ट भी किया. इस कार्य में विशेष टीम शामिल की गई, जो सुरक्षित ढंग से कांच की बोतलों को तोड़ने की तकनीक जानती थी, जिससे किसी को चोट न पहुंचे.

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10 से 15 हजार तक की महंगी बोतलें, और उनमें नकली शराब का खेल!

जांच में सामने आया कि इन बारों में चिवास रीगल, ब्लैक लेबल, डबल ब्लैक, ग्लेनफिडिक, मंकी शोल्डर, रॉयल सैल्यूट जैसी महंगी शराब की बिक्री होती है. इन ब्रांड्स की प्रति बोतल कीमत 10,000 से 15,000 रुपये या उससे अधिक तक हो सकती है. उपयोग के बाद खाली बोतलें कबाड़ियों को बेच दी जाती थीं, जिन्हें पेशेवर ठग खरीदकर उनमें सस्ती शराब भरकर दोबारा ऊंचे दामों में बेचते थे.

सस्ती शराब, महंगे ब्रांड की बोतल में

सूत्रों के अनुसार, ये ठग सस्ती अंग्रेजी शराब, जिसकी कीमत 500 से 1000 रुपए प्रति बोतल होती है, को महंगे ब्रांड की खाली बोतलों में भर देते थे. फिर इन रीपैक्ड बोतलों को ग्राहक तक पहुंचा दिया जाता था, जो असली ब्रांड समझकर उसे खरीदते थे.

खास एसेंस से मिलाया जाता था स्वाद

जानकारों की मानें तो कुछ हल्के फ्लेवर वाली महंगी शराब के स्वाद की नक़ल करना आसान होता है. इसीलिए ठग सस्ती व्हिस्की में हल्का एसेंस मिलाकर उसे चिवास या ब्लैक लेबल जैसा स्वाद देने की कोशिश करते थे, जिससे ग्राहक को नकलीपन का अंदेशा न हो.

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स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा, सरकारी राजस्व को नुकसान

इस तरह की नकली शराब से स्वास्थ्य पर गंभीर दुष्प्रभाव हो सकते हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि इसमें मिलावट वाले केमिकल और असुरक्षित तत्व हो सकते हैं जो लिवर, किडनी और मस्तिष्क पर असर डाल सकते हैं. साथ ही यह गतिविधि सरकार को राजस्व का भी भारी नुकसान पहुंचाती है.

अंतरराज्यीय और अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों को किया जा रहा था निशाना

आबकारी विभाग के मुताबिक, ये बार न केवल स्थानीय रईसों बल्कि बाहरी राज्यों से आने वाले और विदेशी पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र हैं. इसी वजह से नकली शराब का नेटवर्क इन बारों में सक्रिय था, जिससे देश की छवि और पर्यटकों की सुरक्षा पर भी सवाल खड़े होते हैं.

सरकार और विभाग सख्त, आगे भी होंगी छापेमारी

जिला आबकारी अधिकारी ने स्पष्ट किया है कि इस तरह की कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी. सभी बार संचालकों को चेतावनी दी गई है कि लाइसेंस शर्तों का उल्लंघन न करें, वरना उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

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