New Bus Stand: हरियाणा के सोनीपत जिले के लोगों के लिए राहत की खबर है. शहर के भीतर जाम की लगातार बढ़ती समस्या और यात्री सुविधाओं की कमी को देखते हुए सरकार ने शहर से बाहर एक नया बस अड्डा बनाने का निर्णय लिया है. यह बस अड्डा प्राइवेट-पब्लिक-पार्टनरशिप (PPP) मोड में विकसित किया जाएगा, जिसमें यात्रियों की ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए फूड कोर्ट, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, और अन्य आधुनिक सुविधाएं भी शामिल की जाएंगी.
सेक्टर-7 में नहीं बन सका टर्मिनल, अब जाट जोशी गांव में नया प्लान
इससे पहले बस अड्डे के लिए सेक्टर-7 की भूमि को चिह्नित किया गया था, लेकिन वहां की 4.06 एकड़ भूमि में से 1 एकड़ से अधिक हिस्से का उपयोग सड़क के लिए निर्धारित था. इस कारण वहां पर बस अड्डा बनाना व्यावहारिक नहीं रहा. अब प्रशासन की योजना जाट जोशी गांव में 9.5 एकड़ भूमि पर नया बस टर्मिनल विकसित करने की है.
पूरी परियोजना रिपोर्ट की तैयारी शुरू
नए बस टर्मिनल की परियोजना के लिए अब विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार की जा रही है. इसके लिए सरकार ने एक सलाहकार एजेंसी को नियुक्त किया है, जो इस रिपोर्ट को तैयार कर रही है. रिपोर्ट पूरी होने के बाद राज्य सरकार आगे की कार्रवाई करेगी और निर्माण कार्य को गति मिलेगी.
शहर के बीच बना पुराना अड्डा बन रहा ट्रैफिक का कारण
सोनीपत शहर के बीचों-बीच बना पुराना बस अड्डा अब शहरवासियों के लिए परेशानी का सबब बनता जा रहा है. यहां आए दिन यातायात जाम की समस्या देखी जाती है, जिससे ना सिर्फ आमजन बल्कि राहगीर और यात्री भी परेशान होते हैं. इस समस्या से निजात दिलाने के लिए नई जगह पर बस अड्डे का निर्माण आवश्यक हो गया है.
नए बस अड्डे से जुड़े संभावित लाभ
नया बस अड्डा बनने से यात्रियों को कई प्रकार की सुविधाएं मिलेंगी, जैसे –
- आधुनिक वेटिंग एरिया
- शुद्ध और सुलभ फूड कोर्ट
- व्यवस्थित टिकट काउंटर और सूचना केंद्र
- सुविधाजनक पार्किंग व्यवस्था
- शॉपिंग और खरीदारी के विकल्प
स्थानीय लोगों की उम्मीदें जुड़ी
स्थानीय लोगों का कहना है कि नए बस अड्डे का निर्माण जल्द शुरू होना चाहिए. इससे न केवल यात्री सुविधाएं बढ़ेंगी, बल्कि शहर के ट्रैफिक प्रेशर में भी कमी आएगी. जाट जोशी गांव की नई लोकेशन को लोग सुविधाजनक और दूरदर्शी निर्णय मान रहे हैं.
PPP मोड में होगा निर्माण, निवेशकों की भूमिका अहम
नए बस टर्मिनल का निर्माण PPP मॉडल पर किया जाएगा, जिसमें निजी क्षेत्र का निवेश और प्रबंधन शामिल होगा. इससे परियोजना को बेहतर तकनीकी और संचालनात्मक सुविधा मिलने की उम्मीद है. साथ ही, सरकार पर आर्थिक भार भी कम पड़ेगा और परियोजना समयबद्ध तरीके से पूरी हो सकेगी.