First Class Admission Rule: हर साल लाखों माता-पिता अपने बच्चों के स्कूल एडमिशन को लेकर चिंतित रहते हैं – सही स्कूल, आवश्यक दस्तावेज और सबसे अहम – बच्चे की उम्र. खासकर कक्षा 1 में दाखिले को लेकर यह सवाल हमेशा उठता है कि सही उम्र क्या होनी चाहिए. अब सरकार ने इस पर स्पष्ट निर्देश जारी कर दिए हैं.
अब पहली कक्षा में दाखिले के लिए जरूरी होगी 6 वर्ष की उम्र
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) के तहत केंद्र सरकार ने निर्देश दिया है कि सभी स्कूलों में पहली कक्षा में एडमिशन के लिए बच्चे की न्यूनतम उम्र 6 वर्ष होनी चाहिए.
- पहले कई राज्यों में यह सीमा 5 या 5.5 वर्ष थी.
- अब सभी सरकारी, निजी और केंद्रीय विद्यालयों में यही नियम लागू होगा.
- यह बदलाव 2025 से अनिवार्य रूप से लागू हो जाएगा.
नियम बदलने की वजह
सरकार का मानना है कि कम उम्र में स्कूल भेजने से बच्चे मानसिक रूप से तैयार नहीं होते और यह उनके समग्र विकास को प्रभावित कर सकता है.
- 6 वर्ष की उम्र में बच्चे शारीरिक और मानसिक रूप से पढ़ाई के लिए बेहतर तैयार होते हैं.
- अंतरराष्ट्रीय शोध बताते हैं कि देर से स्कूलिंग शुरू करने वाले बच्चे अधिक आत्मविश्वासी होते हैं.
- फिनलैंड, जापान जैसे देशों में भी स्कूल की शुरुआत 6 या 7 साल की उम्र में होती है.
अब सभी स्कूलों को मानने होंगे एक जैसे नियम
- पहले स्कूल अपनी-अपनी उम्र सीमा तय करते थे, लेकिन अब:
- कोई भी स्कूल अपनी मनमर्जी से नियम नहीं बना सकेगा.
- केंद्र सरकार के नियमों के तहत सभी स्कूलों को एकसमान पालिसी अपनानी होगी.
माता-पिता को क्या करना चाहिए?
- यदि आपका बच्चा 2025 में पहली कक्षा में प्रवेश लेने जा रहा है, तो:
- सुनिश्चित करें कि बच्चे की उम्र कम से कम 6 वर्ष पूरी हो चुकी हो.
- बर्थ सर्टिफिकेट समय पर बनवा लें.
- Pre-school (नर्सरी, LKG, UKG) की सही योजना बनाएं.
- अगर बच्चा 6 साल से कम का है, तो एक साल और उसे pre-school में रखें.
समय पर जानकारी न होना बना परेशानी की वजह
आरव, जो 2024 में 5.5 साल का था, को उसके माता-पिता ने एक निजी स्कूल में पहली कक्षा में दाखिला दिला दिया. लेकिन नए नियम लागू होने पर स्कूल ने एडमिशन कैंसिल कर दिया और अब आरव को एक साल KG दोहराना पड़ रहा है. यदि समय पर जानकारी होती, तो यह समस्या टाली जा सकती थी.
सभी राज्यों पर लागू होगा नया नियम
यह नियम देशभर में लागू होगा. कुछ प्रमुख राज्यों की पुरानी और नई उम्र सीमाएं:
राज्य पुरानी उम्र सीमा नई उम्र सीमा (2025 से)
राज्य | पुरानी उम्र सीमा | नई उम्र सीमा (2025 से) |
---|---|---|
उत्तर प्रदेश | 5 वर्ष | 6 वर्ष |
महाराष्ट्र | 5.5 वर्ष | 6 वर्ष |
दिल्ली | 5 वर्ष | 6 वर्ष |
तमिलनाडु | 5.5 वर्ष | 6 वर्ष |
पंजाब | 5 वर्ष | 6 वर्ष |
गुजरात | 5 वर्ष | 6 वर्ष |
कर्नाटक | 5.5 वर्ष | 6 वर्ष |
बंगाल | 5 वर्ष | 6 वर्ष |
अगर बच्चा 6 साल का नहीं है तो क्या करें?
बच्चे को नर्सरी → LKG → UKG का पूरा चक्र जरूर करवाएं.
जल्दबाज़ी में एडमिशन कराना भविष्य में परेशानी का कारण बन सकता है.
सरकार के ECCE (Early Childhood Care and Education) गाइडलाइंस का पालन करें.
क्या बच्चे के करियर पर पड़ेगा असर?
- कई माता-पिता सोचते हैं कि बच्चा एक साल पीछे हो जाएगा, लेकिन असल में:
- बच्चा अधिक परिपक्व और आत्मविश्वासी होगा.
- वह पढ़ाई में बेहतर प्रदर्शन करेगा.
- सामाजिक और रचनात्मक गतिविधियों में अधिक भागीदारी करेगा.
व्यक्तिगत अनुभव
मेरी भतीजी निहारिका को हमने 6.5 साल की उम्र में कक्षा 1 में दाखिला दिलाया. उसने न केवल पढ़ाई में बल्कि खेल और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी बेहतरीन प्रदर्शन किया. इससे स्पष्ट है कि सही उम्र में स्कूलिंग शुरू करना सफलता की नींव है.