7 July Public Holiday: भारत सरकार ने 7 जुलाई 2025 (सोमवार) को पूरे देश में सार्वजनिक अवकाश (Public Holiday) का घोषणा किया है. हालांकि यह छुट्टी मुहर्रम के चांद के दिखने पर निर्भर करेगी. यदि 6 जुलाई को चांद नहीं दिखा, तो 7 जुलाई को सार्वजनिक अवकाश मनाया जाएगा. एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह दिन इस्लामी नववर्ष और मुहर्रम की शुरुआत का प्रतीक है.
चांद दिखने पर तय होगी छुट्टी की तारीख
फिलहाल 6 जुलाई को छुट्टी निर्धारित है, लेकिन यदि चांद 6 को नहीं दिखा, तो 7 जुलाई को सभी सरकारी संस्थान, बैंक, स्कूल और कई निजी कार्यालय बंद रहेंगे. ऐसे में लोगों को सलाह दी जा रही है कि अपने जरूरी काम 5 या 6 जुलाई तक निपटा लें.
क्या-क्या रहेगा बंद?
सार्वजनिक अवकाश के दिन देशभर में निम्नलिखित सेवाएं बंद रह सकती हैं:
- स्कूल और कॉलेज
- सरकारी कार्यालय और डाकघर
- बैंक और फाइनेंशियल इंस्टिट्यूट्स
कई निजी कंपनियों और संस्थानों में भी अवकाश रहेगा
इसका अर्थ है कि कोई चेक क्लियरेंस, लोन पेमेंट या सरकारी दस्तावेज़ी काम इस दिन संभव नहीं होगा. इसलिए, 6 जुलाई से पहले ही सभी जरूरी कार्य निपटा लेने की सलाह दी जा रही है.
क्या-क्या रहेगा चालू?
- हालांकि छुट्टी के दिन कुछ आवश्यक सेवाएं पूरी तरह संचालित रहेंगी, जिनमें शामिल हैं:
- सरकारी और निजी अस्पताल, फार्मेसियां और इमरजेंसी मेडिकल सर्विसेज
- पुलिस स्टेशन, फायर ब्रिगेड और 24×7 आपातकालीन सेवाएं
- रेलवे और हवाई सेवाएं सामान्य शेड्यूल पर चलेंगी, लेकिन टिकट काउंटर पर भीड़ ज्यादा हो सकती है, इसलिए ऑनलाइन बुकिंग की सलाह दी जाती है
- मेट्रो, बस, ऑटो, और टैक्सी सेवाएं अधिकांश शहरों में चालू रहेंगी, हालांकि कुछ स्थानों पर फ्रीक्वेंसी कम हो सकती है
- कुछ निजी संस्थानों में छुट्टी वैकल्पिक हो सकती है
किनको मिलेगी विशेष सुविधा?
मुस्लिम समुदाय, विशेषकर शिया मुस्लिमों के लिए मुहर्रम का दिन बेहद खास होता है. इस दिन इमाम हुसैन की शहादत की याद में मातमी जुलूस, धार्मिक आयोजन और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. इसके चलते कई कार्यालय मुस्लिम कर्मचारियों को विशेष अवकाश प्रदान करते हैं.
बच्चों और ऑफिस जाने वाले कर्मचारियों के लिए भी यह छुट्टी एक दिन की राहत लेकर आती है, जिससे वे आराम कर सकते हैं या परिवार के साथ समय बिता सकते हैं.
मुहर्रम का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
मुहर्रम इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना होता है और यह चार पवित्र महीनों में से एक माना जाता है. इस महीने का 10वां दिन ‘आशूरा’ के नाम से जाना जाता है, जो शिया मुस्लिम समुदाय के लिए विशेष महत्व रखता है.
इस दिन पैगंबर मोहम्मद के नाती इमाम हुसैन की 680 ईस्वी में कर्बला की जंग में शहादत को याद किया जाता है. इस अवसर पर लोग शोक व्यक्त करते हैं, परंपरागत मातम करते हैं और सामाजिक एकता का संदेश देते हैं.
छुट्टी की सामाजिक और मानवीय अहमियत
मुहर्रम सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि धर्मनिरपेक्ष भारत के सामाजिक ताने-बाने का भी प्रतीक है. यह छुट्टी धर्मों के प्रति सम्मान और सांस्कृतिक विविधता को संजोने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है. यही वजह है कि सरकार ने इसे सार्वजनिक अवकाश के रूप में मान्यता दी है.