Repo Rate Down: MCLR दरों में 5 बेसिस पॉइंट की कटौती लागू (BOI MCLR Cut Effective from 1 July 2025) बैंक ऑफ इंडिया (BOI) ने 1 जुलाई 2025 से अपने सभी टेन्योर के लोन के लिए मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स-आधारित लेंडिंग रेट (MCLR) में 5 बेसिस पॉइंट की कटौती की घोषणा की है। इस कटौती से ग्राहकों को होम लोन, पर्सनल लोन और अन्य खुदरा ऋणों पर ब्याज दरों में राहत मिल सकती है।
RBLR में कोई बदलाव नहीं
बैंक ने यह भी स्पष्ट किया है कि रेपो-आधारित लेंडिंग रेट (RBLR) में कोई बदलाव नहीं किया गया है। MCLR दरें बैंकों की आंतरिक लागत और लिक्विडिटी के आधार पर तय की जाती हैं और इसका असर सीधे फ्लोटिंग रेट लोन लेने वाले ग्राहकों पर पड़ता है।
नई ब्याज दरें क्या होंगी?
- बैंक ऑफ इंडिया ने BSE और NSE को सौंपी गई नियामक रिपोर्ट में बताया कि अब रिटेल लोन के लिए फिक्स्ड रेट स्प्रेड (FRS) 1.50% होगा।
- 3 साल के MCLR के आधार पर फिक्स्ड रेट रिटेल लोन की ब्याज दर 10.65% तय की गई है।
- अंतिम लेंडिंग रेट पर क्रेडिट रिस्क प्रीमियम (CRP) के अनुसार बदलाव हो सकता है। यानी हर ग्राहक को उनकी क्रेडिट प्रोफाइल के अनुसार अलग-अलग दर मिल सकती है।
किन लोन कैटेगरी पर मिलेगा असर?
MCLR कटौती का प्रभाव मुख्य रूप से उन लोन कैटेगरी पर होगा, जिनकी ब्याज दरें MCLR से जुड़ी होती हैं। इसमें शामिल हैं:
- होम लोन
- पर्सनल लोन
- एजुकेशन लोन
- व्हीकल लोन
जबकि RBLR से जुड़े लोन, जैसे कुछ फिक्स्ड टेन्योर के लोन या विशेष रेपो लिंक्ड स्कीमों पर कोई असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि RBLR दर में कोई बदलाव नहीं हुआ है।
ब्याज दरों में कटौती क्यों हो रही है?
बैंकिंग सेक्टर में तरलता में वृद्धि, और फंडिंग कॉस्ट में गिरावट के कारण कई बैंकों ने हाल के महीनों में अपनी लेंडिंग दरों में कटौती की है। यह ट्रेंड भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की रेपो रेट में कटौती के बाद शुरू हुआ, जिसके तहत बैंकों को सस्ती दरों पर फंडिंग मिलने लगी।
BOI का यह कदम उसी प्रवृत्ति का हिस्सा है, जिससे ग्राहकों को कर्ज लेना और आसान व सस्ता हो सके।
ग्राहकों को क्या होगा सीधा फायदा?
EMI घट सकती है: जो ग्राहक पहले से MCLR लिंक्ड लोन लिए हुए हैं, उनकी मासिक किस्त (EMI) में कुछ कमी आ सकती है।
नए लोन सस्ते हो सकते हैं: जो लोग नया होम लोन या पर्सनल लोन लेने की सोच रहे हैं, उन्हें कम ब्याज दर पर लोन उपलब्ध हो सकता है।
लोन ट्रांसफर पर भी फायदा: दूसरे बैंकों से BOI में लोन ट्रांसफर करने पर ग्राहकों को बेहतर दर मिल सकती है।
क्रेडिट स्कोर पर भी निर्भर करेगा ब्याज
BOI ने यह भी स्पष्ट किया है कि फाइनल लेंडिंग रेट, यानी जो ब्याज दर ग्राहक को दी जाएगी, वह क्रेडिट रिस्क प्रीमियम (CRP) के आधार पर अलग-अलग हो सकती है।
मतलब, जिन ग्राहकों का क्रेडिट स्कोर बेहतर होगा, उन्हें बैंक की ओर से बेहतर ब्याज दर मिल सकती है, जबकि कम क्रेडिट स्कोर वालों को थोड़ी अधिक दर पर लोन मिल सकता है।
RBLR क्या है और इसमें बदलाव क्यों नहीं?
रेपो-आधारित लेंडिंग रेट (RBLR) को भारतीय रिजर्व बैंक की रेपो रेट के आधार पर तय किया जाता है। चूंकि RBI की रेपो रेट में हाल में कोई बदलाव नहीं हुआ है, इसलिए BOI ने RBLR को यथावत बनाए रखा है।
क्या अन्य बैंक भी दरें घटाएंगे?
बैंकिंग विशेषज्ञों के अनुसार, आने वाले समय में अन्य बैंक भी BOI की तर्ज पर अपनी MCLR दरों में कटौती कर सकते हैं, खासकर अगर RBI आगे रेपो रेट में और कटौती करता है।