Bijli Bill Rate: गर्मियों के मौसम में जैसे ही बिजली की खपत बढ़ती है, वैसे ही उपभोक्ताओं की चिंता भी बढ़ जाती है. खासकर जब बिजली दरों में बदलाव की खबर सामने आए तो यह चिंता और भी गहरा जाती है.
हाल ही में हरियाणा सरकार द्वारा नई बिजली दरों का सर्कुलर जारी किया गया, जिसके बाद उपभोक्ताओं में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गई. हालांकि बिजली विभाग ने इस पर स्थिति स्पष्ट कर दी है.
300 यूनिट तक बिजली खपत वालों को राहत
एसडीओ एके गुप्ता ने स्पष्ट किया कि जिन उपभोक्ताओं की मासिक खपत 300 यूनिट तक है, उनके लिए किसी भी प्रकार की दरों में बदलाव नहीं किया गया है.
- 5 किलोवॉट तक लोड वाले उपभोक्ता, जो 300 यूनिट से कम बिजली इस्तेमाल करते हैं, उन्हें अतिरिक्त शुल्क नहीं देना होगा
- यह स्पष्ट किया गया है कि बिजली की यूनिट रेट पहले की तरह ही रहेंगी, कोई नई बढ़ोतरी नहीं है
300 से 500 यूनिट वालों पर लगेगा फिक्स चार्ज
- जिन उपभोक्ताओं की बिजली खपत 300 से 500 यूनिट के बीच है और लोड 5 किलोवॉट तक है, उन्हें अब से प्रति किलोवॉट 50 रुपए का फिक्स चार्ज देना होगा.
- यह बदलाव केवल उन्हीं पर लागू होगा जिनकी खपत 300 यूनिट से अधिक है
- यह चार्ज लोड के हिसाब से लगाया जाएगा, यूनिट रेट में कोई परिवर्तन नहीं
- जिनका लोड 5 किलोवॉट से ज्यादा है, उनकी जेब पर पड़ेगा भार
- जिन उपभोक्ताओं का कनेक्शन 5 किलोवॉट से ज्यादा है, उनके लिए फिक्स चार्ज 75 रुपए प्रति किलोवॉट कर दिया गया है.
- पहले यह चार्ज कम था, लेकिन खर्चे बढ़ने के कारण अब बिजली कंपनी ने दरें बढ़ाई हैं
- यह निर्णय उच्च खपत करने वाले ग्राहकों के लिए लिया गया है
- डीएसए कनेक्शन और भारी खपत पर 10% तक बढ़ोतरी
- डीएसए (Direct Supply Agreement) कनेक्शन रखने वाले उपभोक्ताओं को 10 प्रतिशत तक अधिक शुल्क चुकाना होगा.
- यह बढ़ोतरी उन पर लागू होगी जिनकी मासिक खपत 300 यूनिट से अधिक और द्वैमासिक खपत 600 यूनिट से ज्यादा है
- घरेलू उपयोग से अधिक बिजली खर्च करने वालों पर यह नियम लागू किया गया है
एलटी और एसटी उपभोक्ताओं को झटका
- एलटी (Low Tension) और एसटी (Special Tension) उपभोक्ताओं पर बिजली दरों में सीधा असर पड़ा है.
- एलटी में फिक्स चार्ज बढ़ाकर 210 रुपए प्रति किलोवॉट किया गया है
- वहीं एसटी में यह दर पहले 165 रुपए थी, जिसे अब 290 रुपए प्रति किलोवॉट कर दिया गया है
- यानी, यहां 15% तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है
पहले क्यों नहीं बढ़ी थीं बिजली दरें?
बिजली विभाग का तर्क है कि पिछले 8 सालों से बिजली की दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई थी, जबकि इस दौरान उत्पादन लागत और खरीद मूल्य लगातार बढ़ते रहे.
- सरकार को बिजली अब पहले से अधिक महंगे दामों पर खरीदनी पड़ रही है
- वहीं उपभोक्ताओं की बिजली खपत भी तेजी से बढ़ी है, जिससे सप्लाई और डिमांड में असंतुलन हुआ है
- ऐसे में आर्थिक संतुलन बनाए रखने के लिए यह बढ़ोतरी जरूरी हो गई थी
अफवाह से बचें, जानिए असल स्थिति
एसडीओ ने यह भी स्पष्ट किया कि सोशल मीडिया या स्थानीय स्तर पर फैलाई जा रही अफवाहें पूरी तरह गलत हैं.
- सिर्फ कुछ श्रेणी के उपभोक्ताओं पर ही अतिरिक्त शुल्क लागू होगा
- 300 यूनिट तक की खपत वालों को किसी प्रकार का असर नहीं पड़ेगा