बिहार का सबसे बड़ा फ्लोटिंग सोलर प्लांट तैयार, मछली पालन के साथ सोलर पैनल से बनेगी बिजली Floating Solar Plant

Floating Solar Plant: बिहार का सबसे बड़ा तैरता हुआ बिजली घर अब लगभग तैयार हो चुका है. इसका निर्माण नवादा जिले के फुलवरिया जलाशय में किया जा रहा है. यह प्रोजेक्ट ‘रेस्को मोड’ (RESCO Mode) पर आधारित है, जिसका मतलब है कि निर्माण कार्य की पूरी लागत निजी एजेंसी उठा रही है और सरकार निर्धारित दर पर बिजली खरीदेगी. जुलाई 2025 से यहां से 10 मेगावाट बिजली उत्पादन शुरू होने की संभावना है.

राज्य में तीसरा लेकिन सबसे बड़ा प्रोजेक्ट

हालांकि यह बिहार का तीसरा फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट है, लेकिन उत्पादन क्षमता के लिहाज से यह सबसे बड़ा है. इससे पहले दरभंगा में 1.6 मेगावाट और सुपौल में 525 किलोवाट क्षमता के फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट बन चुके हैं. मगर नवादा का यह प्रोजेक्ट 10 मेगावाट के साथ सबसे आगे है.

‘नीचे मछली-ऊपर बिजली’ योजना से दोहरा फायदा

इस प्रोजेक्ट की सबसे खास बात है कि यह “नीचे मछली-ऊपर बिजली” योजना का हिस्सा है. इसमें जलाशय के पानी की सतह पर सोलर प्लेट तैरती हैं, जो बिजली का उत्पादन करती हैं, जबकि नीचे मछली पालन किया जाएगा. इससे ऊर्जा और आजीविका दोनों को बल मिलेगा.

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कैसे काम करता है फ्लोटिंग सोलर सिस्टम

फ्लोटिंग सोलर सिस्टम, जिसे फ्लोटोवोल्टाइक भी कहा जाता है, में सोलर मॉड्यूल पानी पर विशेष स्ट्रक्चर के जरिए तैरते रहते हैं. यह पैनल बिजली उत्पन्न करते हैं जो पानी के अंदर बिछी तारों के जरिए ट्रांसमिशन टावर तक पहुंचाई जाती है. इससे जलाशयों का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित होता है.

क्या है रेस्को मोड?

‘रेस्को मोड (Renewable Energy Service Company)’ एक ऐसा मॉडल है, जिसमें परियोजना की लागत निजी निर्माण एजेंसी उठाती है, और सरकार या संबंधित विभाग उत्पादित बिजली को तय दर पर खरीदता है. इस मामले में, कंपनी को प्रति यूनिट 3.87 रुपये की दर से भुगतान किया जाएगा.

कैमूर और अन्य जिलों में भी योजना का विस्तार

इस प्रोजेक्ट के बाद कैमूर जिले के दुर्गावती जलाशय में भी 10 मेगावाट का फ्लोटिंग सोलर प्लांट प्रस्तावित है. इसके अलावा, उत्तर और दक्षिण बिहार के अन्य क्षेत्रों में भी 2-2 मेगावाट क्षमता के फ्लोटिंग प्लांट के लिए सर्वे की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है.

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बिहार में जलाशयों का जबरदस्त उपयोग संभव

बिहार में लगभग 3300 जलाशय हैं. सरकार की योजना है कि इनमें से अधिकांश जलाशयों को ऊर्जा उत्पादन के लिए उपयोग में लाया जाए. यह न केवल राज्य को हरित ऊर्जा की दिशा में आगे बढ़ाएगा, बल्कि जल संसाधनों का बेहतर उपयोग भी सुनिश्चित करेगा.

रोजगार और पर्यावरण को मिलेगा फायदा

‘नीचे मछली-ऊपर बिजली’ योजना से राज्य में स्थानीय रोजगार के अवसर बढ़ेंगे. मछली पालन से ग्रामीणों को आय का स्रोत मिलेगा, जबकि स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन से पर्यावरण संरक्षण को बल मिलेगा. यह मॉडल हरित विकास और आत्मनिर्भर भारत के विजन को भी मजबूती देता है.

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