CNG Car Sales 2025: भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) को बढ़ावा देने की कोशिशों के बीच एक और सेगमेंट तेजी से उभर कर सामने आ रहा है—CNG कारें. साफ-सुथरे ईंधन विकल्प के रूप में कंप्रेस्ड नेचुरल गैस (CNG) ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया है. ईवी की तुलना में CNG कारें न सिर्फ किफायती हैं, बल्कि इन्हें चार्जिंग की चिंता (रेंज एंग्जायटी) से भी जूझना नहीं पड़ता. यही कारण है कि मारुति सुज़ुकी, टाटा मोटर्स, ह्यूंदै, टोयोटा और निसान जैसी कंपनियां अब इस सेगमेंट में तेजी से निवेश कर रही हैं.
2024 में CNG कारों की बिक्री में 35% की जबरदस्त बढ़त
वर्ष 2024 में CNG पैसेंजर गाड़ियों की बिक्री में सालाना आधार पर 35% की वृद्धि दर्ज की गई है. इसका सीधा अर्थ है कि भारतीय ग्राहक ईंधन लागत और पर्यावरणीय प्रभाव को देखते हुए CNG को एक भरोसेमंद विकल्प मान रहे हैं. इस सेगमेंट में सबसे आगे रही मारुति सुज़ुकी, जिसने 15 अलग-अलग CNG मॉडल्स के ज़रिए 5 लाख से ज्यादा यूनिट्स की बिक्री की और कुल मार्केट का 71.6% हिस्सा अपने नाम किया.
टाटा मोटर्स, ह्यूंदै और टोयोटा की पकड़ भी मजबूत
टाटा मोटर्स ने 1.15 लाख CNG गाड़ियां बेचकर 16.13% मार्केट शेयर पर कब्जा किया. वहीं, ह्यूंदै ने 71,811 और टोयोटा ने 15,815 CNG गाड़ियां ग्राहकों को बेचीं.
मार्केट हिस्सेदारी के हिसाब से देखें तो:
- टाटा की हिस्सेदारी में 77% का उछाल दर्ज हुआ.
- मारुति में 30%,
- ह्यूंदै में 16%
- और टोयोटा में 118% की जबरदस्त वृद्धि देखी गई.
ये आंकड़े इस बात के संकेत हैं कि CNG कारें अब केवल टैक्सी सेगमेंट तक सीमित नहीं. बल्कि आम घरेलू उपयोग के लिए भी पसंद की जा रही हैं.
FY25 में मारुति और टाटा की शानदार परफॉर्मेंस
वित्तीय वर्ष 2025 की शुरुआत में ही मारुति और टाटा ने CNG कारों की बिक्री में शानदार प्रदर्शन किया है. टाटा मोटर्स ने FY25 में अब तक 1.39 लाख CNG कारें बेची हैं, जो पिछले वर्ष की तुलना में 35% अधिक है. उनके लोकप्रिय ड्यूल-फ्यूल मॉडल जैसे टियागो, टिगोर, पंच और अल्ट्रोज की मांग में जबरदस्त उछाल आया है.
वहीं मारुति सुज़ुकी ने FY25 में 6.2 लाख CNG गाड़ियां बेची हैं, जो पिछले साल की तुलना में 28% की बढ़त है. दिलचस्प बात यह है कि हर तीन में से एक मारुति गाड़ी अब CNG पर चल रही है, जो कंपनी की रणनीति और ग्राहकों के भरोसे को दर्शाता है.
क्यों बढ़ रही है CNG गाड़ियों की मांग?
भारत का वाहन बाजार अब एक ट्रांज़िशन फेज में है. जहां उपभोक्ता एक साथ कई विकल्पों पर विचार कर रहे हैं.
CNG की लोकप्रियता के पीछे कई बड़े कारण हैं:
- पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतें
- EV की चुनौतियां, जैसे महंगी कीमत, चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी और रेंज की चिंता
- हाइब्रिड गाड़ियों की कीमतें ज्यादा और मॉडल सीमित
- CNG गाड़ियां सस्ती, रखरखाव में आसान और पर्यावरण के लिए बेहतर हैं
सरकार की ओर से CNG स्टेशन नेटवर्क को बढ़ाने के लिए की जा रही पहलें भी ग्राहकों का भरोसा बढ़ा रही हैं.
इलेक्ट्रिक गाड़ियों की रफ्तार धीमी क्यों?
जहां सरकार EV को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चला रही है, वहीं ग्राउंड लेवल पर अभी भी कई चुनौतियां बाकी हैं:
- EV की कीमतें अधिक हैं. जिससे वह हर ग्राहक की पहुंच में नहीं है.
- चार्जिंग स्टेशन सीमित हैं, खासकर छोटे शहरों और कस्बों में.
- रेंज एंग्जायटी यानी एक बार चार्ज करने के बाद कितना चलेगी गाड़ी, यह डर अभी भी बना हुआ है.
इसी वजह से लोग फिलहाल CNG को एक बेहतर विकल्प मान रहे हैं—जहां लागत कम है. भरोसा ज्यादा और इंफ्रास्ट्रक्चर पहले से मौजूद है.
सरकार की भूमिका और बाजार की दिशा
सरकार ने ‘हरित ईंधन’ (Green Fuel) को बढ़ावा देने के लिए CNG को भी नीति में शामिल किया है.
- CNG स्टेशन की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है
- केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर नए शहरों और हाईवे पर नेटवर्क का विस्तार कर रही हैं
- आने वाले वर्षों में CNG पर चलने वाले कमर्शियल और प्राइवेट वाहनों की संख्या में बड़ी वृद्धि का अनुमान है
यह बदलाव भारत के ऑटोमोबाइल क्षेत्र को स्थायित्व और पर्यावरणीय संतुलन की दिशा में ले जाने वाला है.