Cow Semen: राजस्थान सरकार अब पशुपालन को ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मजबूत स्तंभ बनाने के लिए एक बड़ा कदम उठाने जा रही है. केंद्र सरकार के सहयोग से एक नई योजना के तहत ब्राजील की प्रसिद्ध ‘गिर नस्ल’ के सांड के सीमन को सस्ती दरों पर उपलब्ध कराया जाएगा. यह कदम राज्य में दूध उत्पादन बढ़ाने और मवेशियों की गुणवत्ता सुधारने की दिशा में अहम माना जा रहा है.
गिर नस्ल
राज्य के देवस्थान और पशुपालन मंत्री जोराराम कुमत ने जानकारी दी कि गिर नस्ल की गायें प्रतिदिन 40 से 50 लीटर दूध देने की क्षमता रखती हैं. यह नस्ल वर्तमान में ब्राजील में विकसित की जा रही है और अब इसे राजस्थान में रियायती दरों पर पशुपालकों के लिए उपलब्ध कराया जाएगा.
सेक्स-सॉर्टेड सीमन से होगी केवल मादा संतानों की पैदाइश
इस योजना के तहत ‘सेक्स-सॉर्टेड सीमन’ तकनीक का उपयोग किया जाएगा, जिससे 90% तक मादा बछड़ों के जन्म की संभावना रहती है. इससे जहां दूध उत्पादन बढ़ेगा, वहीं बैलों की संख्या नियंत्रित करने में भी मदद मिलेगी, जो पशुपालकों के लिए एक बड़ी राहत है.
राज्य में पहले से मौजूद हैं 4,000 से अधिक गौशालाएं
राजस्थान में वर्तमान में 4,000 से अधिक गौशालाएं और नंदीशालाएं मौजूद हैं, जिन्हें राज्य सरकार आर्थिक सहायता प्रदान करती है. हालांकि, बढ़ती बैल आबादी एक बड़ी चुनौती बन गई है. इस नई योजना से इस समस्या का समाधान मिलने की उम्मीद है.
हर जिले में होंगे पशुधन मेले
राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि अब हर जिले में पशुधन मेले आयोजित किए जाएंगे. पहले जहां सिर्फ 7 मेलों का आयोजन होता था, अब यह संख्या बढ़ाकर 44 की जाएगी. इन मेलों के माध्यम से पशुपालकों को नस्ल सुधार, आधुनिक तकनीक और प्रशिक्षण की बेहतर जानकारी मिलेगी.
किसानों को होगा सीधा लाभ
गिर नस्ल की गायों के प्रचार-प्रसार से राज्य के पशुपालकों को सीधा लाभ मिलेगा. विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले किसान, जो दूध उत्पादन और डेयरी व्यापार से जुड़े हैं, उनकी आय में मूलभूत वृद्धि की संभावना है.
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का भी समर्थन
मंत्री कुमत ने बताया कि इस योजना को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का पूर्ण समर्थन प्राप्त है. सरकार की मंशा है कि प्रजनन, उत्पादकता और किसान सहयोग के ज़रिए राजस्थान की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती दी जाए.
फॉरवर्ड प्लानिंग से होगा लंबे समय तक फायदा
सरकार की योजना केवल तत्काल लाभ तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक दीर्घकालिक रणनीति है, जिसमें पशुपालन को उद्योग के रूप में विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है. इस परियोजना के पूर्ण लागू होने के बाद, राजस्थान में दूध उत्पादन, रोजगार सृजन और निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि संभव होगी.