Private School Violation: अमृतसर जिले में निजी स्कूलों की मनमानी थमने का नाम नहीं ले रही है. सरकारी नियमों की खुलेआम अवहेलना के बावजूद शिक्षा विभाग की निष्क्रियता ने न सिर्फ अभिभावकों को संकट में डाला है, बल्कि पूरे तंत्र की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं. आरटीआई कार्यकर्ता जय गोपाल लाली अब इस मामले को लेकर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करने जा रहे हैं.
शैक्षणिक सत्र की शुरुआत में ही नियमों का उल्लंघन
2025 के शैक्षणिक सत्र की शुरुआत में ही निजी स्कूलों ने सरकारी दिशानिर्देशों को दरकिनार कर मनमानी करनी शुरू कर दी. शिक्षा विभाग ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि स्कूलों को न तो वर्दी और स्टेशनरी बेचने की अनुमति है, और न ही अभिभावकों पर कोई आर्थिक दबाव डाला जा सकता है.
लेकिन जिले के कई सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड के स्कूलों ने न सिर्फ स्कूल परिसर में कापियां बेचीं, बल्कि विशेष दुकानों से वर्दी खरीदने का दबाव भी बनाया. इन दुकानों ने बाजार से कई गुना अधिक दाम वसूल कर अभिभावकों की जेब पर सीधा हमला किया.
RTI कार्यकर्ता ने दर्ज की गंभीर शिकायतें
जय गोपाल लाली ने इस मामले में सबसे पहले डिप्टी कमिश्नर को शिकायत दी, जिसमें स्पष्ट रूप से स्कूलों के नाम दर्ज किए गए और उनके द्वारा किए गए नियम उल्लंघनों की जानकारी दी गई.
लेकिन डिप्टी कमिश्नर ने यह शिकायत जिला शिक्षा अधिकारी (सैकेंडरी) को भेज दी, जिन्होंने इसे गंभीरता से लेने के बजाय अनदेखा कर दिया. बाद में डी.सी. ने दोबारा वही शिकायत भेजी, लेकिन अधिकारी की लापरवाही बनी रही.
- सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई जानकारी भी रही अधूरी
- जय गोपाल लाली ने सूचना के अधिकार (RTI) अधिनियम के तहत यह जानकारी मांगी थी कि:
- वर्ष 2025 में कितने स्कूलों का निरीक्षण किया गया
- किन स्कूलों में कमियां पाई गईं
और उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की गई
लेकिन शिक्षा विभाग की ओर से अधूरी और असंगत जानकारी दी गई, जो केवल कागजी खानापूर्ति साबित हुई. इससे साफ जाहिर होता है कि अधिकारी इस पूरे मामले को दबाना चाहते हैं.
अधिकारियों और निजी स्कूलों की मिलीभगत का आरोप
लाली का आरोप है कि जिला शिक्षा अधिकारी सैकेंडरी पूरी तरह से निजी स्कूलों के दबाव में काम कर रहे हैं. उनका व्यवहार ऐसा है जैसे वे स्कूलों के पक्ष में बोलने वाली कठपुतली बन चुके हैं.
अब तक किसी भी स्कूल के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई, जिससे यह आशंका और गहराती है कि प्रशासनिक स्तर पर गहरी मिलीभगत है.
मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री को भी दी गई शिकायत, फिर भी नहीं हुई कार्रवाई
लाली ने केवल स्थानीय अधिकारियों को ही नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री तक को सबूतों के साथ शिकायतें भेजी, लेकिन कहीं से भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया.
शिकायतों को वापस जिला शिक्षा अधिकारी सैकेंडरी के पास भेज दिया गया, जो पहले ही कार्रवाई से बचते रहे हैं.
हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे RTI कार्यकर्ता
अब जय गोपाल लाली ने तय किया है कि वे इस पूरे मामले को लेकर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल करेंगे. उनका उद्देश्य है कि अभिभावकों को न्याय दिलाया जाए, और निजी स्कूलों की मनमानी पर लगाम लगाई जाए.
उनका यह कदम अन्य जिलों के लिए भी उदाहरण बन सकता है, जहां शिक्षा विभाग की निष्क्रियता के कारण निजी स्कूल बेलगाम हो चुके हैं.
शिक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल
- इस पूरे घटनाक्रम ने शिक्षा व्यवस्था की पारदर्शिता और प्रशासन की जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.
- जब सरकार एक ओर शिक्षा के व्यापारीकरण को रोकने का दावा करती है, तो वहीं दूसरी ओर स्थानीय स्तर पर विभाग के अधिकारी निजी संस्थानों की शरण में दिखते हैं.
- यह देखना दिलचस्प होगा कि हाईकोर्ट इस याचिका पर क्या रुख अपनाता है, और क्या प्रशासनिक लापरवाही पर कोई सख्त कदम उठाया जाएगा.