Certificate Fees Hike: हिमाचल प्रदेश सरकार ने पुलिस वेरिफिकेशन और चरित्र प्रमाणपत्र जैसे दस्तावेजों के लिए शुल्क में बड़ा बदलाव किया है. अब इन प्रमाणपत्रों के लिए लोगों को पहले की तुलना में तीन गुना अधिक राशि चुकानी पड़ेगी. 150 रुपये पुलिस वेरिफिकेशन शुल्क निर्धारित किया गया है, जो पहले केवल 50 रुपये था.
अब कुल खर्च करीब ₹200 तक पहुंचेगा
चरित्र प्रमाणपत्र बनवाने के लिए अब सिर्फ सरकारी शुल्क ही नहीं, बल्कि लोकमित्र केंद्र शुल्क, कलर प्रिंटिंग और अन्य लागतें मिलाकर करीब 200 रुपये खर्च करने होंगे. पहले यह प्रक्रिया लगभग 50 से 70 रुपये में पूरी हो जाती थी, लेकिन अब उपभोक्ताओं को यह जेब पर भारी पड़ेगा.
सरकारी नौकरी चाहने वाले युवाओं पर बढ़ेगा असर
इस नई व्यवस्था का सीधा प्रभाव उन युवाओं पर पड़ेगा, जो सरकारी नौकरियों में आवेदन करते समय पुलिस वेरिफिकेशन या चरित्र प्रमाणपत्र जमा करते हैं. ऐसे प्रमाणपत्र अब महंगे होने से छात्रों और बेरोजगारों की आर्थिक चुनौती और बढ़ सकती है.
डिजिटल सेवाओं को बढ़ावा देने के मकसद से लिया गया निर्णय
राज्य सरकार ने इस बदलाव को डिजिटल इंडिया मिशन के तहत ऑनलाइन सेवाओं को प्रभावी और टिकाऊ बनाने के प्रयास के रूप में प्रस्तुत किया है. अधिकारियों के अनुसार, इस शुल्क में बढ़ोतरी से ऑनलाइन सुविधा केंद्रों की कार्यकुशलता और सेवा गुणवत्ता बनाए रखने में मदद मिलेगी.
सेवा की गुणवत्ता और सुविधा में होगा सुधार?
कुछ लोग मानते हैं कि यह शुल्क वृद्धि जरूरी थी, क्योंकि इससे लोकमित्र केंद्रों में सेवा प्रदान करने वालों को उचित मुआवजा मिलेगा और सरकारी कागजी कार्यों की प्रक्रिया तेज हो सकेगी. लेकिन आम नागरिकों को यह वृद्धि अनावश्यक आर्थिक बोझ के रूप में महसूस हो सकती है.
जनता की प्रतिक्रिया होगी अहम
इस फैसले के सामाजिक और आर्थिक प्रभाव भविष्य में जनता की प्रतिक्रिया पर निर्भर करेंगे. यदि यह शुल्क वृद्धि बेहतर सेवाओं के रूप में लौटती है, तो लोग इसे स्वीकार कर सकते हैं, अन्यथा यह सरकार की आलोचना का कारण भी बन सकती है.
फीस बढ़ोतरी पर क्या कहती है सरकार?
राज्य सरकार का कहना है कि इस फैसले का उद्देश्य प्रक्रियाओं को पारदर्शी और तकनीकी रूप से सक्षम बनाना है. डिजिटल माध्यम से प्रमाणपत्र जारी करने से फर्जी दस्तावेजों पर रोक लगेगी और प्रमाणन प्रक्रिया की वैधता बढ़ेगी.