Surajmukhi MSP: हरियाणा खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता विभाग द्वारा 1 जून 2025 से प्रदेश की मंडियों में सूरजमुखी की खरीद प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. यह खरीद भारत सरकार की PSS योजना के अंतर्गत की जा रही है, जिसके तहत 8883 मीट्रिक टन सूरजमुखी खरीदने की मंजूरी दी गई है.
किसानों के लिए फायदेमंद है सूरजमुखी की MSP पर बिक्री
विभाग के प्रवक्ता ने जानकारी दी कि इस वर्ष सूरजमुखी का बाजार भाव लगभग 6400-6500 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है, जबकि सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 7280 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया है. यानी सरकारी खरीद के माध्यम से किसानों को बाजार से अधिक मूल्य मिल रहा है.
इस साल कितनी पैदावार और कितनी जमीन पर बिजाई?
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, इस वर्ष हरियाणा में 44,062 मीट्रिक टन सूरजमुखी की पैदावार होने की संभावना है. इसके लिए किसानों ने लगभग 76,785 एकड़ क्षेत्र में सूरजमुखी की बिजाई की है.
‘मेरी फसल मेरा ब्यौरा’ पोर्टल पर 18166 किसानों ने सूरजमुखी फसल के लिए पंजीकरण कराया है, जिससे राज्य सरकार को फसल की सटीक जानकारी मिल पाई है.
इन 5 जिलों की 17 मंडियों में होगी सरकारी खरीद
राज्य सरकार ने सूरजमुखी खरीद के लिए 5 जिलों की 17 मंडियों का चयन किया है. यहां हैफेड (HAFED) और हरियाणा वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन (HWC) एजेंसियों के माध्यम से खरीद की जा रही है.
मंडियों की लिस्ट इस प्रकार है:
अम्बाला जिला –
- अम्बाला शहर (हैफेड)
- अम्बाला कैंट (हैफेड)
- शहज़ादपुर (हैफेड)
- साहा (हैफेड)
- बराड़ा (हैफेड)
- मुलाना (HWC)
- करनाल –
- करनाल मंडी (हैफेड)
- कुरुक्षेत्र जिला –
- इस्माईलाबाद (HWC)
- थानेसर (हैफेड)
- थोल (HWC)
- शाहबाद (हैफेड और HWC)
- लाडवा (हैफेड)
- बबैन (हैफेड)
- झांसा (HWC)
- पंचकूला –
- बरवाला (हैफेड)
- यमुनानगर –
- साढौरा (HWC)
कब तक चलेगी सूरजमुखी की खरीद प्रक्रिया?
इस वर्ष सूरजमुखी की सरकारी खरीद प्रक्रिया 30 जून 2025 तक चलेगी. किसानों को सलाह दी गई है कि वे निर्धारित मंडियों में अपनी फसल लेकर समय से पहुंचे और ‘मेरी फसल मेरा ब्यौरा’ पोर्टल पर पंजीकरण अवश्य कराएं, जिससे भुगतान और फसल सत्यापन में आसानी हो.
पिछले साल क्या रहा था खरीद का हाल?
पिछले वर्ष 2024-25 के दौरान सूरजमुखी की खरीद केवल हैफेड के माध्यम से की गई थी. इस बार दोनों एजेंसियों को शामिल कर सरकार ने प्रक्रिया को और सुचारु व व्यापक बनाया है, ताकि अधिकतम किसानों को लाभ मिल सके.