Rent Increase Rules: दिल्ली, मुंबई जैसे महानगरों में किराए पर रहने वाले लोगों की सबसे बड़ी चिंता होती है – मकान मालिक द्वारा अचानक किराया बढ़ा देना. ऐसे शहरों में पहले से ही रहने की लागत अधिक होती है और बिना किसी सूचना के किराया बढ़ाना आम आदमी की जेब पर सीधा असर डालता है. लेकिन राहत की बात यह है कि कानून में किराया बढ़ाने को लेकर स्पष्ट नियम तय किए गए हैं, जिन्हें हर किरायेदार को जानना चाहिए.
किराए के एग्रीमेंट में लिखी शर्तें अहम
जब आप किसी संपत्ति को किराए पर लेते हैं, तो Rent Agreement या लीज एग्रीमेंट सबसे जरूरी दस्तावेज होता है. अगर एग्रीमेंट 11 महीने या 1 साल के लिए तय है और उसमें किराया बढ़ाने की कोई शर्त नहीं लिखी गई, तो उस तय समय के भीतर मकान मालिक किराया नहीं बढ़ा सकता.
अगर एग्रीमेंट में यह शर्त मौजूद हो कि हर साल 10% की वृद्धि होगी, तभी वह मान्य मानी जाएगी. अन्यथा, बिना सहमति किराया बढ़ाना कानून के खिलाफ है.
हर राज्य का किराया नियंत्रण कानून अलग
भारत के हर राज्य में किराया नियंत्रण से जुड़े नियम अलग-अलग हैं. कई राज्यों में यह नियम है कि सालाना किराया वृद्धि 10% से अधिक नहीं हो सकती. इसके साथ ही, किराया बढ़ाने से पहले मकान मालिक को लिखित रूप में नोटिस देना अनिवार्य होता है.
बिना नोटिस किराया बढ़ाना Rent Control Act के तहत अवैध है. इसलिए किरायेदारों को यह जानकारी होनी चाहिए कि उनके राज्य में कौन-कौन से नियम लागू होते हैं.
महाराष्ट्र में किराया बढ़ाने की सीमा क्या है?
महाराष्ट्र में 31 मार्च, 2000 से महाराष्ट्र रेंट कंट्रोल एक्ट लागू है. इस कानून के तहत:
मकान मालिक सालाना अधिकतम 4% तक किराया बढ़ा सकता है.
यदि संपत्ति में सुधार, मरम्मत या नवीनीकरण के लिए कोई बड़ा काम किया गया है, तो 15% तक की लागत के आधार पर किराया बढ़ाया जा सकता है.
लेकिन यह भी तय सीमा के भीतर ही रहना चाहिए.
- दिल्ली में लागू है Delhi Rent Control Act
दिल्ली में वर्ष 2009 से Delhi Rent Control Act लागू है. इसके तहत: - यदि कोई किरायेदार लगातार किसी संपत्ति में रह रहा है, तो मकान मालिक सालाना अधिकतम 7% तक ही किराया बढ़ा सकता है.
- किराया बढ़ाने से पहले लिखित सूचना देना अनिवार्य है ताकि किरायेदार को निर्णय लेने का पर्याप्त समय मिल सके.
किरायेदारों को क्या कदम उठाने चाहिए?
- हमेशा किराए का एग्रीमेंट लिखित रूप में कराएं.
- एग्रीमेंट में किराया वृद्धि की शर्तें स्पष्ट रूप से दर्ज होनी चाहिए.
- बिना नोटिस और सहमति के किराया बढ़ाया जाए, तो कानूनी सलाह लें.
- राज्य सरकार की Rent Control Authority या Consumer Forum में शिकायत की जा सकती है.