ट्रेन का इंजन कितनी देगा है माइलेज, सच्चाई जानकर तक नहीं होगा भरोसा Train Engine Mileage

Train Engine Mileage: ट्रेन का इंजन भारी-भरकम डिब्बों को खींचता है और हजारों यात्रियों को तेज रफ्तार से उनके गंतव्‍य तक पहुंचाता है. इसकी ताकत और रफ्तार को देखकर हर कोई प्रभावित होता है, लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि इतना दमदार इंजन 1 लीटर डीजल में कितनी दूरी तय करता है? आइए, आज इसी सवाल का जवाब विस्तार से जानते हैं.

क्या होती है ट्रेन की माइलेज की गणना?

जैसे हम कार, ट्रक, बस या दोपहिया वाहनों का माइलेज पेट्रोल या डीजल में तय दूरी से आंकते हैं, वैसे ही ट्रेन का भी एक अनुमानित माइलेज होता है. हालांकि, ट्रेन का माइलेज सामान्य वाहनों से अलग तरीके से कई कारकों पर निर्भर करता है – जैसे ट्रेन का रूट, कोचों की संख्या, ट्रेन की कैटेगरी (सवारी गाड़ी या एक्सप्रेस) और इंजन की क्षमता.

माइलेज पर सबसे ज्यादा असर डालते हैं कोच की संख्या

ट्रेन में लगे डिब्बों की संख्या ट्रेन के माइलेज को सबसे ज्यादा प्रभावित करती है. अगर कोच कम हैं, तो इंजन पर कम लोड पड़ता है और वह कम डीजल में ज्यादा दूरी तय कर सकता है. वहीं ज्यादा डिब्बों वाली ट्रेन को खींचने में ज्यादा ईंधन की खपत होती है.

यह भी पढ़े:
रविवार शाम को सोने चांदी में आई जबरदस्त गिरावट, जाने 22 और 24 कैरेट सोने की ताजा कीमत Sone Ka Rate

24 डिब्बों वाली ट्रेन का माइलेज कितना होता है?

कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, 24 से 25 डिब्बों वाली ट्रेन को 1 किलोमीटर की दूरी तय करने में करीब 6 लीटर डीजल की आवश्यकता होती है. यानी इस तरह की ट्रेनें 1 लीटर डीजल में महज 160-170 मीटर ही चल पाती हैं. यह सुनकर आपको जरूर आश्चर्य होगा, लेकिन यह सच है.

क्यों पैसेंजर गाड़ियों का माइलेज होता है कम?

सुपरफास्ट ट्रेनों की तुलना में पैसेंजर गाड़ियों में डीजल की खपत ज्यादा होती है. ऐसा इसलिए क्योंकि पैसेंजर ट्रेनें अधिक स्टेशनों पर रुकती हैं, जिससे इंजन को बार-बार रुकना और फिर से गति पकड़नी पड़ती है. इससे ईंधन की खपत बढ़ जाती है. अनुमान के अनुसार, एक सामान्य पैसेंजर गाड़ी को 1 किलोमीटर चलने में करीब 5 से 6 लीटर डीजल की जरूरत होती है.

एक्सप्रेस ट्रेन का माइलेज थोड़ा बेहतर

वहीं अगर बात करें 12 डिब्बों वाली एक्सप्रेस ट्रेन की, तो इसका माइलेज थोड़ा बेहतर होता है. इस ट्रेन को 1 किलोमीटर की दूरी तय करने के लिए करीब 4.5 लीटर डीजल की जरूरत होती है. इस अंतर के पीछे कारण है कि एक्सप्रेस ट्रेनें कम स्टॉप पर रुकती हैं और उनकी गति अधिक स्थिर होती है.

यह भी पढ़े:
सैनी सरकार का मजदूरों को तोहफा, 9 साल बाद बदलेंगी न्यूनतम मजदूरी दरें Haryana Labour Policy

इंजन पावर, ट्रैक की ऊंचाई और लोड भी हैं प्रभावी कारक

ट्रेन का माइलेज सिर्फ कोच की संख्या या रूट पर नहीं बल्कि इंजन की क्षमता, ऊंचाई पर चढ़ाई, ब्रेकिंग फ्रिक्वेंसी और लोडिंग पैटर्न पर भी निर्भर करता है. बार-बार ब्रेक लगाने, ऊंचाई वाले इलाकों से गुजरने और कम-ज्यादा भार खींचने से डीजल की खपत बढ़ जाती है.

Leave a Comment