Car Dealer Margin: जब भी आप किसी कार शोरूम से वाहन खरीदते हैं, तो उसके पीछे एक मजबूत प्राइसिंग स्ट्रक्चर और मार्जिन मॉडल काम करता है. जिस तरह दुकानदार एक सामान्य सामान पर अपना मुनाफा जोड़कर कीमत तय करता है, ठीक उसी तरह कार डीलर भी अपनी कमाई का हिस्सा कार की बिक्री कीमत में शामिल करता है.
क्या आपको पता है डीलर को कितनी बचत होती है?
बहुत से ग्राहक मानते हैं कि लाखों रुपये की कार पर डीलर को बड़ी रकम का मुनाफा होता होगा, लेकिन हकीकत इसके उलट है. फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (FADA) द्वारा करवाई गई एक स्टडी के अनुसार, भारत में कार डीलर को मिलने वाला औसत मुनाफा 5 फीसदी से भी कम होता है. यानी अगर कोई कार 10 लाख रुपये में बिक रही है, तो डीलर को उसमें से करीब 29,000 से लेकर 74,900 रुपये तक ही कमीशन मिलता है.
कंपनी और सेगमेंट के हिसाब से तय होता है मुनाफा
भारत में डीलर मार्जिन कार की कंपनी, मॉडल और सेगमेंट पर निर्भर करता है. रिपोर्ट्स के अनुसार:
- MG Motors और Maruti Suzuki डीलरों को सबसे ज्यादा कमीशन देती हैं.
- इन कंपनियों में डीलरों को 5% या उससे अधिक मार्जिन मिलता है.
- वहीं, कुछ विदेशी कंपनियां अपने डीलरों को 2.9% तक सीमित मार्जिन ही देती हैं.
- इसका मतलब है कि कार जिस कंपनी, सेगमेंट और निर्माण देश से आती है, उसी के आधार पर डीलर का प्रॉफिट मार्जिन तय होता है.
भारत में डीलर्स को क्यों कम मार्जिन मिलता है?
भारत की तुलना में अन्य देशों में कार डीलरों को ज्यादा मुनाफा मिलता है. कम मार्जिन के पीछे की वजहें हैं:
- भारत में कार कंपनियां डायरेक्ट-टू-कस्टमर मॉडल अपनाने लगी हैं.
- कंपनियां ऑनलाइन सेल्स को बढ़ावा दे रही हैं, जिससे शोरूम पर निर्भरता घट रही है.
- प्रतिस्पर्धा अधिक होने से कंपनियां मार्जिन को सीमित रखती हैं.
क्या सिर्फ बिक्री से होती है कमाई?
कार डीलर की कमाई का मुख्य स्रोत सिर्फ कार की बिक्री नहीं होता. अतिरिक्त कमाई होती है:
- इंश्योरेंस कमीशन
- एक्सेसरीज़ सेल्स
- फाइनेंस कंपनियों से रेफरल कमीशन
- सर्विसिंग और रिपेयर चार्जेज
- लेकिन इन सबकी आमदनी भी अब कम हो रही है क्योंकि ग्राहक अब थर्ड पार्टी इंश्योरेंस या ऑनलाइन एक्सेसरीज़ की ओर झुक रहे हैं.
ग्राहक से वसूले जाने वाले टैक्स का गणित
जब ग्राहक कोई कार खरीदता है, तो उसकी कीमत सिर्फ एक्स-शोरूम प्राइस नहीं होती, बल्कि उस पर कई तरह के टैक्स और सेस भी शामिल होते हैं:
- GST: अधिकतर कारों पर 28% जीएसटी लगता है.
- सेस: कार की इंजन क्षमता के आधार पर 1% से 22% तक सेस लगाया जाता है.
- रोड टैक्स: राज्य सरकार द्वारा तय होता है और 6% से 15% तक हो सकता है.
- उदाहरण के लिए, 1500cc से कम इंजन वाली कार पर कुल मिलाकर 45% तक टैक्स जुड़ सकता है.
क्या आपको कार खरीदने से पहले मार्जिन पता होना चाहिए?
अगर आप किसी डीलर से भारी डिस्काउंट या ऑफर की उम्मीद कर रहे हैं, तो आपको यह जानना जरूरी है कि डीलर को खुद कितनी सीमित कमाई हो रही है. कम मार्जिन के कारण डीलर बड़ी छूट देने में हिचकते हैं, हालांकि स्टॉक क्लियरेंस या फेस्टिव सीजन के दौरान कुछ कंपनियां एक्स्ट्रा इंसेंटिव देती हैं.