Petrol Pump Commission: हर दिन लाखों गाड़ियां देश की सड़कों पर दौड़ती हैं और हर ड्राइवर को पेट्रोल पंप पर जाना ही पड़ता है. जब आप गाड़ी में पेट्रोल या डीजल भरवाते हैं, तो यह सवाल कई बार जेहन में आता है – क्या पेट्रोल पंप वाला हर लीटर पर अच्छा मुनाफा कमाता है? या यह सिर्फ वॉल्यूम का खेल है? आज हम आपको इस आर्टिकल में बताने जा रहे है कि पेट्रोल पंप डीलर की कमाई, कमीशन और खर्चों का ब्रेकअप क्या होता है.
डीलर को कितना मिलता है कमीशन?
भारत में प्रमुख तेल विपणन कंपनियां जैसे IOC (इंडियन ऑयल), HPCL (हिंदुस्तान पेट्रोलियम) और BPCL (भारत पेट्रोलियम) समय-समय पर पेट्रोल पंप डीलर कमीशन रिवाइज करती हैं. दिल्ली की बात करें तो यहां डीलर को:
- पेट्रोल पर ₹3.85 से ₹4.25 प्रति लीटर
- डीजल पर ₹2.50 से ₹2.80 प्रति लीटर
कमीशन के रूप में मिलता है. यह दरें राज्य दर राज्य अलग-अलग हो सकती हैं, क्योंकि टैक्स स्ट्रक्चर और वितरण लागत भिन्न होती है.
₹100 के पेट्रोल में कहां-कहां जाता है पैसा?
अगर दिल्ली में पेट्रोल की कीमत ₹96.72 प्रति लीटर है, तो उसका खर्च का ब्रेकअप कुछ इस प्रकार होता है:
खर्च का हिस्सा अनुमानित राशि (₹)
- बेस प्राइस (OMC से डीलर को) ₹57.66
- केंद्र सरकार की एक्साइज ड्यूटी ₹19.90
- दिल्ली सरकार का VAT ₹15.39
- डीलर का कमीशन (औसतन) ₹3.77
- कुल बिक्री मूल्य ₹96.72
इसमें स्पष्ट है कि एक्साइज और VAT मिलाकर सरकार को ₹35.29 मिलते हैं, जबकि डीलर को सिर्फ कुछ रुपए ही बचते हैं.
पेट्रोल पंप की इनकम सिर्फ फ्यूल से नहीं होती
पेट्रोल पंप की मुख्य कमाई भले ही ईंधन बिक्री से हो, लेकिन साइड इनकम के कई स्रोत भी होते हैं, जो पंप मालिक की कमाई को सहारा देते हैं:
- टायर में एयर भरवाना
- इंजन ऑयल और लुब्रिकेंट की बिक्री
- FASTag रिचार्ज सर्विस
- मिनी रिटेल स्टोर या कियोस्क, एटीएम, वॉशिंग सर्विस आदि
- तेल कंपनियों से बोनस/इंसेंटिव (बिक्री टारगेट पूरा करने पर)
- UPI/क्रेडिट कार्ड पेमेंट से प्रोसेसिंग चार्ज में बचत
पेट्रोल पंप चलाना आसान नहीं, ये होते हैं खर्च
जितनी आमदनी होती है, उतनी ही खर्चों की लंबी लिस्ट भी पेट्रोल पंप मालिकों के सामने होती है. इनमें प्रमुख खर्च शामिल हैं:
- जनरेटर और बिजली का बिल (24×7 संचालन के लिए ज़रूरी)
- कर्मचारियों की सैलरी और पीएफ
- पंप और मशीनों का रख-रखाव (मेटेनेंस)
- लाइसेंस, टैक्स, सर्विस चार्ज
- सुरक्षा, स्टेशनरी और साफ-सफाई पर खर्च
इन खर्चों के कारण, डीलर की प्रति लीटर कमाई सीमित होती है और बड़े मुनाफे के लिए उन्हें अधिक मात्रा में बिक्री पर निर्भर रहना पड़ता है.
वॉल्यूम से आता है असली मुनाफा
पेट्रोल पंप का बिजनेस वॉल्यूम पर आधारित होता है. जितना ज़्यादा ईंधन बिकेगा, उतना ही कमीशन बढ़ेगा. यही वजह है कि कई पंप कम मार्जिन पर भी काम करने के लिए तैयार रहते हैं, क्योंकि उन्हें बड़े ऑर्डर और फ्लीट ग्राहकों से बड़ा मुनाफा मिल सकता है.
कब रिवाइज होता है डीलर कमीशन?
पेट्रोलियम कंपनियां समय-समय पर महंगाई, परिचालन लागत और डीलर यूनियनों की मांगों के आधार पर डीलर कमीशन में बदलाव करती हैं. हाल के वर्षों में बेसिक लागत बढ़ने के बावजूद कमीशन में सीमित बढ़ोतरी हुई है, जिससे कई डीलर मुनाफे को लेकर सवाल उठाते रहे हैं.