इस जगह बनेगा भारत का सबसे लंबा पूल, असम-मेघालय को जोड़ेगा 19 किमी लंबा ब्रह्मपुत्र ब्रिज Longest Bridge

Longest Bridge: भारत में अब तक कई लंबे और भव्य पुल बनाए जा चुके हैं, लेकिन अब देश का सबसे लंबा जल पुल तैयार किया जा रहा है, जो ब्रह्मपुत्र नदी पर बनेगा. इस ऐतिहासिक संरचना का नाम है धुबरी-फुलबारी ब्रिज (Dhubri-Phulbari Bridge). यह पुल असम के धुबरी और मेघालय के फुलबारी को जोड़ेगा और देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र को बेहतर सड़क संपर्क से जोड़ने में अहम भूमिका निभाएगा.

पुल की कुल लंबाई 19 किलोमीटर होगी

इस पुल की कुल लंबाई लगभग 19 किलोमीटर होगी, जिससे यह भारत का सबसे लंबा नदी पर बना पुल बन जाएगा. इसके निर्माण से धुबरी और फुलबारी के बीच की दूरी बहुत कम हो जाएगी. फिलहाल, इस मार्ग को तय करने में नाव या सड़क के लंबे चक्कर लगाकर घंटों का समय लगता है, लेकिन पुल बनने के बाद यह सफर महज 25-30 मिनट में पूरा किया जा सकेगा.

छह लेन का होगा यह मेगा ब्रिज

धुबरी-फुलबारी ब्रिज को छह लेन के मानक पर तैयार किया जा रहा है, जिससे यह स्मार्ट इंफ्रास्ट्रक्चर का उदाहरण बनेगा. इस पुल के जरिए असम और मेघालय का पश्चिम बंगाल से सीधा संपर्क बन सकेगा, जिससे व्यापार, परिवहन और जनसंचार को नई रफ्तार मिलेगी.

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निर्माण कार्य दिसंबर 2021 में शुरू हुआ था

इस मेगा परियोजना का निर्माण कार्य दिसंबर 2021 में शुरू किया गया था. इसे सितंबर 2028 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. यदि कार्य निर्धारित समय पर पूरा हुआ, तो यह पूर्वोत्तर भारत की सबसे बड़ी इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्धि होगी.

भूटान और बांग्लादेश तक की यात्रा होगी आसान

धुबरी-फुलबारी ब्रिज के निर्माण से न केवल असम और मेघालय को लाभ होगा, बल्कि यह भूटान और बांग्लादेश तक की यात्रा को भी आसान बना देगा.

  • वर्तमान में इन देशों तक जाने के लिए लंबा सफर करना पड़ता है,
  • लेकिन पुल बन जाने के बाद दूरी और समय दोनों की बचत होगी.

दोनों राज्यों की कनेक्टिविटी होगी मजबूत

यह पुल असम और मेघालय के बीच सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक संबंधों को और गहरा करेगा.

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  • ट्रांसपोर्ट लागत में कमी आएगी,
  • शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के अवसर अधिक लोगों तक पहुंचेंगे,
  • और आर्थिक गतिविधियों में भी वृद्धि देखने को मिलेगी.

पूर्वोत्तर भारत के विकास में होगा मील का पत्थर

  • पूर्वोत्तर भारत की भौगोलिक बाधाएं लंबे समय से विकास में बाधा रही हैं. ऐसे में यह पुल बुनियादी ढांचे के विकास की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है.
  • इससे क्षेत्रीय असंतुलन को कम किया जा सकेगा,
  • और पूरे उत्तर-पूर्व को मुख्यधारा से जोड़ने में मदद मिलेगी.

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