Widow Pension Scam: बरेली जिले में विधवा पेंशन योजना को लेकर बड़ा खुलासा सामने आया है. यहां 61 ऐसी महिलाएं वर्षों से पेंशन का लाभ ले रही थीं, जो विधवा नहीं हैं. कई मामले ऐसे हैं, जहां एक ही परिवार की जेठानी और देवरानी दोनों को योजना का लाभ मिला, जबकि दोनों के पति जीवित हैं. महिला कल्याण विभाग की लापरवाही और दलालों की मिलीभगत ने इस योजना को भ्रष्टाचार का केंद्र बना दिया है.
सत्यापन होते हुए भी कैसे चलता रहा फर्जीवाड़ा?
- हर साल पेंशन योजनाओं का सत्यापन अनिवार्य होता है, फिर भी छह वर्षों तक इन महिलाओं को विधवा बताकर पेंशन दी जाती रही.
- यह तब है जब भीमपुर गांव की परवीन और सुनीता जैसी महिलाएं सुहागिन हैं और फिर भी लाभ लेती रहीं.
- स्थानीय प्रशासन और महिला कल्याण विभाग की भूमिका पर अब गंभीर सवाल उठने लगे हैं.
- दलालों का नेटवर्क सक्रिय, ग्रामीण महिलाओं को बनाया निशाना
- भीमपुर गांव की परवीन ने बताया कि कुछ साल पहले आंवला से आए दलालों ने उनसे तीन हजार रुपये और दस्तावेज लिए थे.
- वादा किया गया कि उन्हें महामाया पेंशन मिलेगी.
पहली किस्त आते ही दलालों ने पैसे भी वसूल लिए.
अब जब ₹69,000 की आरसी (रिकवरी नोटिस) आई है, तो परवीन और सुनीता जैसे गरीब परिवार कर्ज में डूबने की कगार पर पहुंच गए हैं.
- अब तक 26 महिलाओं से की गई वसूली, 35 की जांच जारी
- जिला प्रोबेशन अधिकारी (DPO) मोनिका राणा ने बताया कि
- अब तक 46 अपात्र महिलाओं को आरसी जारी की गई है.
- इनमें से 26 महिलाओं से वसूली की जा चुकी है.
शेष 20 मामलों में कार्रवाई प्रगति पर है.
- हालांकि जब डीपीओ से पूरी जानकारी मांगी गई, तो उन्होंने निदेशालय की नाराजगी का हवाला देकर कुछ भी बताने से इनकार कर दिया.
- 2023 में भी खुला था फर्जीवाड़ा, 61 मामलों में रिकवरी का आंकड़ा ₹23.86 लाख पहुंचा
यह कोई पहला मामला नहीं है. - 2023 में भी आंवला तहसील से 34 महिलाओं को पेंशन फर्जी तरीके से लेते पकड़ा गया था.
- इस साल 27 और महिलाओं के नाम आरसी में शामिल हुए हैं.
- यानी कुल 61 अपात्र महिलाओं से ₹23.86 लाख की वसूली की प्रक्रिया जारी है.
- इनमें से कई से ₹14,000 से ₹69,000 तक की राशि वसूली जानी है.
- योजना की आड़ में चल रहा करोड़ों का गोरखधंधा
- सूत्रों की मानें तो यह फर्जीवाड़ा जिले भर में व्यापक स्तर पर फैला हुआ है.
- यह ₹23 लाख की रिकवरी तो महज शुरुआत है, असल में कई करोड़ रुपये अपात्रों को बांटे गए हैं.
- दलालों का एक पूरा नेटवर्क गरीब, अशिक्षित महिलाओं को भ्रमित कर उनका दस्तावेज इस्तेमाल कर पेंशन स्वीकृत करवा रहा है.
जवाबदेही से बचता दिख रहा विभाग
- हालात यह हैं कि विभाग खुद मामले को दबाने की कोशिश करता दिख रहा है.
- स्थानीय प्रधानों तक को जानकारी नहीं दी गई कि गांव की किस महिला को पेंशन मिल रही है.
- कई मामलों में पेंशन दूसरे ब्लॉक से स्वीकृत कराई गई, ताकि पकड़ में न आए.
- स्थानीय प्रशासन की नींद अब टूटी, कार्रवाई शुरू
- 15 मई को डीपीओ ने डीएम को पत्र लिखकर कार्रवाई की सिफारिश की थी.
- इसके बाद तहसीलदार आंवला को आदेश जारी हुए.
- लेकिन अब भी बड़ी संख्या में ऐसे मामले सामने आने बाकी हैं.
- जांच तेज हो गई है, और विभाग अब ब्लॉक स्तर से लाभार्थियों की सूची मिलान कर रहा है.