Haryana Rain Alert: हरियाणा में प्री-मानसून की गतिविधियों ने एक बार फिर से मौसम का रुख बदल दिया है। भीषण गर्मी से परेशान लोगों को राहत मिली है और राज्यभर में मौसम सुहावना हो गया है। पशु और मनुष्य दोनों ही इस राहत भरे बदलाव से राहत महसूस कर रहे हैं।
मौसम विभाग का अनुमान
भारतीय मौसम विभाग (IMD) के मुताबिक, इस बार मानसून की रफ्तार काफी तेज है और यह अपने निर्धारित समय से पहले हरियाणा में प्रवेश कर सकता है।
आमतौर पर मानसून 8 जुलाई तक पूरे देश में पहुंचता है, लेकिन इस बार इसकी गति रिकॉर्ड स्तर पर तेज है। इसके संकेत साफ हैं कि इस बार बारिश का सीजन समय पर और संभावित रूप से अधिक सक्रिय रहेगा।
गर्मी और उमस से राहत
पिछले कई दिनों से हरियाणा के लोग गर्मी और उमस से बेहाल थे। घरों से बाहर निकलना भी मुश्किल हो गया था। अब बादल छाए हैं और हवाओं में नमी महसूस की जा रही है, जिससे गर्मी का असर कम हुआ है।
लोगों का कहना है कि मौसम के इस बदलाव ने चेहरों पर मुस्कान ला दी है। लंबे समय बाद सुबह और शाम ठंडी हवाएं महसूस की जा रही हैं, जिससे दिनचर्या में सुकून आया है।
28 जून तक पहुंच सकता है पूरा मानसून
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, हरियाणा में मानसून की पूर्ण एंट्री अब बस कुछ ही दिनों की दूरी पर है। अनुमान लगाया जा रहा है कि 28 जून तक मानसून प्रदेश में पूरी तरह प्रवेश कर जाएगा। यह खबर किसानों और आम लोगों दोनों के लिए सुकूनभरी है, क्योंकि इस बार समय पर मानसून का आना खेती के लिए वरदान साबित हो सकता है।
दोनों दिशाओं से हवाओं की टक्कर बढ़ाएगी बारिश की संभावना
विशेषज्ञों का कहना है कि अरब सागर और बंगाल की खाड़ी, दोनों ओर से आने वाली नमी भरी मानसूनी हवाएं हरियाणा की ओर बढ़ रही हैं। जब ये हवाएं हरियाणा में टकराएंगी, तो तेज और अच्छी बारिश की संभावना बनेगी।
यह स्थिति प्रदेश में सूखे की आशंका को कम कर सकती है और किसानों के लिए बेहद लाभदायक साबित हो सकती है।
उत्तर व पूर्वी हरियाणा में होगी पहले बारिश
मौसम विभाग के मुताबिक, राजस्थान और उत्तर प्रदेश की दिशा से हरियाणा में मानसून प्रवेश करेगा। विशेष रूप से राज्य के उत्तर और पूर्वी हिस्सों में मानसून पहले पहुंचेगा, क्योंकि वहां हवाओं का मिलन अधिक तीव्र होगा।
इन क्षेत्रों में तेज बारिश के साथ गरज-चमक भी देखी जा सकती है।
कृषि के लिए वरदान बन सकता है यह मानसून
समय पर और अच्छी बारिश होने से हरियाणा में धान, कपास, गन्ना और सब्जियों की बुवाई पर सकारात्मक असर पड़ सकता है।
पानी की कमी से जूझ रहे क्षेत्रों में भी सिंचाई की समस्या से राहत मिल सकती है। साथ ही, यह स्थिति जल संरक्षण अभियान को भी मजबूती दे सकती है।