Colony demolition: फरीदाबाद के एनआईटी क्षेत्र स्थित नेहरू कॉलोनी में बड़ा प्रशासनिक कदम उठाया गया है. पुनर्वास विभाग की लगभग 60 एकड़ जमीन पर बने करीब 8,000 मकानों को 15 दिन के भीतर खाली करने के निर्देश दिए गए हैं.
यह नोटिस पुनर्वास विभाग के नायब तहसीलदार विजय सिंह द्वारा जारी किया गया है. उन्होंने साफ कहा कि यदि तय समय सीमा में कब्जा नहीं छोड़ा गया, तो 10 जुलाई से प्रशासन द्वारा सख्त कार्रवाई की जाएगी.
सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे को लेकर कार्रवाई तेज
जारी की गई सूचना में स्पष्ट किया गया है कि यह जमीन पुनर्वास विभाग की संपत्ति है, जिस पर वर्षों से अवैध रूप से निर्माण कर लिया गया है.
प्रशासन का कहना है कि यह कब्जा न केवल गैरकानूनी है, बल्कि इससे सरकारी योजनाओं और विकास कार्यों में भी बाधा उत्पन्न हो रही है.
सभी कब्जाधारियों को निर्देश दिया गया है कि वे तहसील कार्यालय में उपस्थित होकर अपना कब्जा स्वेच्छा से सरेंडर करें.
चेतावनी के बाद नहीं मानी बात
प्रशासन ने बताया कि इन कब्जाधारियों को पहले मौखिक रूप से कई बार चेताया जा चुका था, लेकिन किसी प्रकार की सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली.
अब प्रशासन कानूनी प्रक्रिया अपनाते हुए बेदखली की कार्रवाई के लिए तैयार है.
साफ तौर पर चेतावनी दी गई है कि यदि कोई विरोध करता है, तो पुलिस बल की सहायता से कार्रवाई की जाएगी.
विरोध में उतरे कॉलोनीवासी
शुक्रवार शाम को नेहरू कॉलोनी के सैकड़ों लोगों ने सैनिक कॉलोनी-मस्जिद चौक पर रोड जाम कर दिया.
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वे कई दशकों से यहां रह रहे हैं, और अब उन्हें बिना वैकल्पिक व्यवस्था के हटाना अमानवीय और असंवैधानिक है.
“अगर हमें हटाया गया तो हम बच्चे-बुजुर्गों सहित सड़कों पर आ जाएंगे”, ऐसा कहना था प्रदर्शन में शामिल लोगों का.
एक घंटे तक जाम
- प्रदर्शन के कारण सैनिक कॉलोनी-मस्जिद चौक पर लगभग एक घंटे तक यातायात पूरी तरह ठप रहा.
- वाहनों की लंबी कतारें लग गईं, जिससे आम यात्रियों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ा.
- पुलिस के हस्तक्षेप और समझाने के बाद प्रदर्शनकारियों को शांत किया गया, और उसके बाद ही यातायात व्यवस्था सामान्य हो पाई.
प्रशासन का तर्क
- नायब तहसीलदार विजय सिंह ने कहा कि सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा पूरी तरह गैरकानूनी है और इससे विकास योजनाओं को गंभीर नुकसान पहुंचता है.
- इसलिए प्रशासन अब इस भूमि को खाली कराने की दिशा में निर्णायक कदम उठा रहा है, ताकि भविष्य में ऐसी अतिक्रमण की घटनाओं को रोका जा सके.
सामाजिक और मानवीय पहलुओं की अनदेखी?
- हालांकि प्रशासन का रुख स्पष्ट है, लेकिन सवाल उठ रहा है कि क्या इतने बड़े स्तर पर लोगों को विस्थापित करना बिना पुनर्वास के उचित है?
- प्रदर्शनकारी लगातार पुनर्वास की मांग कर रहे हैं और कहते हैं कि जब तक उन्हें रहने के लिए वैकल्पिक स्थान नहीं दिया जाता, तब तक इस तरह की कार्रवाई को वे अन्यायपूर्ण मानते रहेंगे.