Bike Taxi New Rule: बाइक टैक्सी आज के समय में शहरों में तेजी से लोकप्रिय होने वाला यातायात साधन बन चुका है. यह न केवल सस्ता है, बल्कि तेज़ और ट्रैफिक से बचने में भी मददगार होता है. अकेले सफर कर रहे यात्रियों के लिए यह विकल्प आसानी और किफायत दोनों प्रदान करता है.
सिर्फ यात्री ही नहीं, बाइक टैक्सी चलाने वाले युवाओं के लिए भी यह कमाई का मजबूत जरिया बन गया है. लेकिन अब तक इसका भविष्य कानूनी उलझनों और नीतिगत अस्पष्टता के कारण अधर में लटका था. अब सरकार ने 1 जुलाई 2025 से लागू नई गाइडलाइंस के तहत इस विवाद को हमेशा के लिए सुलझा दिया है.
अब प्राइवेट बाइक भी बन सकेगी Bike Taxi
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय द्वारा जारी Motor Vehicle Aggregator Guidelines 2025 के तहत अब निजी मोटरसाइकलों को भी बाइक टैक्सी के रूप में चलाने की अनुमति दी जा सकती है. इसका मतलब है कि अब बाइक टैक्सी चलाने के लिए कमर्शियल नंबर की बाध्यता खत्म हो गई है.
अब अगर राज्य सरकार चाहें तो नॉन-ट्रांसपोर्ट व्हीकल (निजी मोटरसाइकल) को राइड-शेयरिंग ऐप्स पर इस्तेमाल करने की अनुमति दे सकती हैं.
गाइडलाइन के मुताबिक राज्य सरकारों को दी गई छूट
नई नीति के तहत यह तय किया गया है कि राज्य सरकारें अपने अनुसार यह तय करेंगी कि बाइक टैक्सी सर्विस के लिए एग्रीगेटर्स को कितनी बार, किस अवधि के लिए और किन शर्तों पर लाइसेंस देना है. यह लाइसेंस रोजाना, साप्ताहिक या पखवाड़े के आधार पर जारी किया जा सकता है.
इसके अलावा राज्य सरकारें चाहें तो एग्रीगेटर्स से शुल्क वसूल सकती हैं, लेकिन यह अनिवार्य नहीं बल्कि ऐच्छिक होगा. यानी फैसला पूरी तरह राज्य सरकार की मर्जी पर निर्भर करेगा.
राज्यों पर निर्भर करेगा Bike Taxi सर्विस का लागू होना
चूंकि यह फैसला राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में है, इसलिए इसका लाभ तभी मिलेगा जब राज्य सरकारें इसे लागू करेंगी. उदाहरण के लिए, कर्नाटक सरकार ने 16 जून से राज्य में बाइक टैक्सी सेवाएं बंद कर दी हैं. ऐसे में यह जरूरी है कि राज्य सरकारें नई नीति को स्वीकारें और लाइसेंस प्रणाली को लागू करें.
कंपनियों और ड्राइवरों ने किया फैसले का स्वागत
सरकार के इस फैसले से राइड बुकिंग कंपनियां जैसे Rapido और Uber ने खुशी जताई है. Rapido ने इसे विकसित भारत की दिशा में एक बड़ा कदम बताया और कहा कि इससे लाखों नई नौकरियों के अवसर पैदा होंगे.
गिग इकॉनमी को बेहतर बनाने में यह नीति मददगार साबित होगी. कंपनी ने यह भी कहा कि वे इस नीति को लागू करने में राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम करने को तैयार हैं.
वहीं, Uber ने भी इस कदम को डिजिटल इकॉनमी को मजबूत करने की दिशा में अहम पहल बताया है. उन्होंने समय पर गाइडलाइंस को लागू करने की मांग भी रखी है.
बाइक टैक्सी से जुड़े लोगों को मिलेगी स्थिरता
यह फैसला उन लाखों युवाओं के लिए राहत की खबर है जो अब तक निजी बाइक से टैक्सी सेवा देकर गैर-स्थायी रूप से कमाई कर रहे थे. अब उनके इस काम को कानूनी मान्यता मिल सकेगी, जिससे उन्हें भविष्य की सुरक्षा और स्थायित्व मिलेगा.
ट्रैफिक, प्रदूषण और लागत में आएगी कमी
सरकार का मानना है कि इस फैसले से शहरों में ट्रैफिक का दबाव घटेगा, प्रदूषण कम होगा और लोगों को किफायती यातायात विकल्प मिलेंगे.
इसके अलावा, लोकल डिलीवरी सिस्टम, पार्सल सर्विस और अंतिम मील कनेक्टिविटी को भी बढ़ावा मिलेगा. इससे छोटे कस्बों और मोहल्लों तक तेजी से सेवाएं पहुंचाई जा सकेंगी.