Loan New Rule: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने ग्राहकों को बड़ी राहत देते हुए प्री-पेमेंट चार्ज को लेकर नया नियम लागू कर दिया है. अब अगर कोई व्यक्ति या माइक्रो व स्मॉल एंटरप्राइज (MSE) समय से पहले लोन की राशि आंशिक या पूरी चुका देता है, तो उस पर कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लगेगा. यह नियम सभी रेगुलेटेड बैंकों और NBFCs पर लागू होगा.
किन लोन लेने वालों को मिलेगा फायदा?
यह सुविधा उन व्यक्तियों पर लागू होगी, जिन्होंने
- फ्लोटिंग रेट पर लोन लिया है
- नॉन-कॉमर्शियल उद्देश्य से लोन लिया है
- लोन चाहे एकल रूप से लिया हो या को-ऑब्लिगेंट के साथ लिया गया हो
- MSEs द्वारा लिए गए बिजनेस लोन भी इसमें शामिल हैं. ऐसे सभी लोन पर अब कोई प्री-पेमेंट पेनल्टी नहीं लगेगी.
किन संस्थानों को नहीं मिलेगा यह लाभ?
कुछ खास श्रेणियों को इस छूट से बाहर रखा गया है:
- स्मॉल फाइनेंस बैंक
- रीजनल रूरल बैंक
- लोकल एरिया बैंक
- टियर-4 अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक
- NBFC–अपर लेयर (NBFC-UL)
- ऑल इंडिया फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन
₹50 लाख तक के लोन पर अतिरिक्त राहत
अगर किसी व्यक्ति या MSE को उपरोक्त में से किसी संस्थान से ₹50 लाख तक का लोन मिला है, तो उस पर भी कोई प्री-पेमेंट चार्ज नहीं लगाया जाएगा.
इस श्रेणी में शामिल हैं:
- टियर-3 अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक
- स्टेट और सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक
- NBFC–मिड लेयर (NBFC-ML)
RBI ने क्यों लिया यह फैसला?
RBI के मुताबिक, जांच में सामने आया कि कई रेगुलेटेड इंस्टीट्यूशन अलग-अलग प्री-पेमेंट पॉलिसी अपना रहे थे. इससे
ग्राहकों में भ्रम और असमंजस की स्थिति बन रही थी
बैंक ग्राहक को दूसरे बैंक में सस्ते लोन पर स्विच न करने देने के लिए क्लॉज जोड़ते थे
यह ग्राहक हितों के खिलाफ था, इसलिए पारदर्शिता और प्रतियोगी बैंकिंग सेवा सुनिश्चित करने के लिए यह नियम लागू किया गया
अब लॉक-इन पीरियड भी नहीं रहेगा जरूरी
नए नियमों के अनुसार:
- लोन चाहे आंशिक रूप से चुकाया जाए या पूरा, उस पर कोई चार्ज नहीं लगेगा
- फंड का सोर्स मायने नहीं रखता, चाहे वह व्यक्ति की सेविंग हो या ट्रांसफर
- कोई भी लॉक-इन पीरियड अनिवार्य नहीं होगा
- फिक्स्ड टर्म लोन और ओवरड्राफ्ट पर नया नियम
फिक्स्ड टर्म लोन के मामले में
- यदि कोई चार्ज लगेगा, तो वह केवल प्री-पे की गई राशि के आधार पर लगेगा
ओवरड्राफ्ट या कैश क्रेडिट में - अगर ग्राहक समय से पहले लोन को समाप्त करने की सूचना देता है, तो कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा
की-फैक्ट स्टेटमेंट (KFS) में होगी पूरी डिटेल जरूरी
RBI ने निर्देश दिया है कि
- सभी नियमों और शुल्क की जानकारी लोन एक्सेप्टेंस लेटर, कॉन्ट्रैक्ट और KFS (Key Facts Statement) में दी जाए
- यदि KFS में कोई शुल्क पहले से मेंशन नहीं है, तो बाद में वसूला नहीं जा सकता
- इससे ग्राहकों को पारदर्शी जानकारी मिलेगी और वे बेहतर बैंकिंग निर्णय ले सकेंगे
1 जनवरी 2026 से लागू होगा यह नियम
यह नियम उन लोन पर लागू होगा जो:
- 1 जनवरी 2026 या उसके बाद मंजूर या रिन्यू किए गए हों
- इसका मतलब है कि अब बैंक और NBFC ग्राहकों को रोक नहीं पाएंगे यदि वे किसी सस्ते लोन विकल्प पर जाना चाहें
बैंकों का पुराना तरीका अब नहीं चलेगा
बैंक पहले ग्राहकों को सस्ते ब्याज दर वाले विकल्पों पर स्विच करने से रोकने के लिए
- प्री-पेमेंट पेनल्टी लगाते थे
- जिससे उन्हें पूरा ब्याज कमाने का मौका मिलता था
अब RBI ने यह रास्ता बंद कर दिया है - होम लोन बाजार में भी हलचल, ब्याज दरों में कटौती शुरू
- हाल ही में LIC Housing Finance ने होम लोन की ब्याज दर 0.50% घटाकर 7.50% कर दी है. इससे पहले
- SBI,
- यूनियन बैंक,
- और PNB जैसे बैंकों ने भी लोन रेट में कटौती की थी
RBI की रेपो रेट घटाकर 5.50% करने के बाद लोन सस्ता होना तय था