Punjab Bus Strike: पंजाब के रोडवेज कर्मचारियों ने एक बार फिर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. कर्मचारियों ने एलान किया है कि यदि उनकी लंबित मांगों का समाधान जल्द नहीं किया गया, तो 9 से 11 जुलाई तक तीन दिवसीय हड़ताल की जाएगी. इससे पहले बठिंडा PRTC डिपो पर सोमवार को गेट रैली का आयोजन किया गया, जिसमें यूनियन नेताओं ने सरकार के प्रति गहरा आक्रोश जाहिर किया.
तीन साल बाद भी नहीं हुई नियमित नियुक्ति
राज्य नेता कुलवंत सिंह मणेस ने कहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार ने अब तक एक भी ठेका कर्मचारी को नियमित नहीं किया है, जबकि वादा बहुत पहले किया गया था. मुख्यमंत्री ने 1 जुलाई 2023 को बैठक में यह कहा था कि एक कमेटी बनाकर एक महीने में समाधान किया जाएगा, लेकिन अब एक साल बीत चुका है और नतीजा शून्य है.
ठेकेदारों पर भारी भ्रष्टाचार के आरोप
नेताओं ने यह भी आरोप लगाए कि पिछले दो ठेकेदारों ने ईपीएफ, ईएसआई और सुरक्षा फंड से लगभग ₹12-13 करोड़ लूट लिए और भाग गए. अब तीसरे ठेकेदार को बिना किसी कानूनी समझौते के नियुक्त कर दिया गया है, जो न सिर्फ अवैध है, बल्कि कर्मचारियों के साथ हो रहा शोषण भी दर्शाता है.
डिपो प्रमुख ने सरकार को घेरा
डिपो अध्यक्ष रविंदर सिंह बराड़ ने कहा कि पनबस और PRTC के कर्मचारी लंबे समय से ठेका प्रथा के जरिए शोषण झेल रहे हैं. वेतन में भारी अंतर, सुविधा की कमी और अनिश्चित भविष्य ने कर्मचारियों को बार-बार संघर्ष के लिए मजबूर किया है.
सरकार ने नहीं चलाई एक भी नई बस
यूनियन नेताओं ने बताया कि आम आदमी पार्टी की सरकार ने आज तक एक भी नई बस की शुरुआत नहीं की है. इसी का फायदा उठाकर परिवहन माफिया अवैध रूप से सक्रिय हो गया है. इससे न सिर्फ सरकारी आय को नुकसान हो रहा है बल्कि जनता की सुविधा भी प्रभावित हो रही है.
कर्मचारियों की प्रमुख मांगें
हड़ताल से पहले कर्मचारियों ने सरकार के सामने कई अहम मांगें रखी हैं, जिनमें प्रमुख रूप से शामिल हैं:
- सभी ठेका कर्मचारियों को नियमित किया जाए
- ठेका प्रथा को तुरंत समाप्त किया जाए
- कर्मचारियों का समान वेतन सुनिश्चित किया जाए
- ब्लैक लिस्ट किए गए कर्मचारियों को बहाल किया जाए
- किलोमीटर स्कीम की बसें बंद की जाएं
- सरकारी बसों की संख्या बढ़ाकर 10,000 की जाए
यूनियन की चेतावनी
यूनियन ने यह साफ कर दिया है कि अगर सरकार ने 9 जुलाई से पहले कोई सकारात्मक पहल नहीं की, तो तीन दिवसीय राज्यव्यापी हड़ताल अनिवार्य होगी. इस हड़ताल से सामान्य जनजीवन भी प्रभावित हो सकता है, क्योंकि सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था ठप हो सकती है.
सरकार की चुप्पी बनी सवाल
अब तक सरकार की ओर से इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है. कर्मचारियों का कहना है कि जब तक उनकी आवाज को गंभीरता से नहीं सुना जाएगा, उनका संघर्ष जारी रहेगा.