Employee Salary Hike: हरियाणा कौशल रोजगार निगम लिमिटेड (HKRNL) के तहत विभिन्न विभागों, बोर्ड-निगमों और स्वायत्त संस्थानों में कार्यरत करीब 1.20 लाख अनुबंधित कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर है. राज्य सरकार ने उनके वेतन में 5% की बढ़ोतरी का निर्णय लिया है, जो कि 1 जून 2025 से लागू मानी जाएगी.
मानव संसाधन विभाग ने जारी किए दिशा-निर्देश
मानव संसाधन विभाग द्वारा इस संबंध में आधिकारिक आदेश जारी कर दिए गए हैं. इस बढ़ोतरी के तहत कर्मचारियों के वेतन में 812 रुपये से लेकर 1205 रुपये तक का इजाफा होगा. यह श्रेणी और लेवल के अनुसार अलग-अलग होगा.
पिछले साल हुई थी 8% की बढ़ोतरी
गौरतलब है कि पिछले साल जुलाई 2024 में अनुबंधित कर्मचारियों के वेतन में 8 प्रतिशत की वृद्धि की गई थी. इस बार की वृद्धि को जिलावार श्रेणीबद्ध व्यवस्था के तहत लागू किया जाएगा, जिससे वेतन वितरण में पारदर्शिता बनी रहे.
कैसे तय होती है जिलों की श्रेणी
हरियाणा सरकार ने जिलों को तीन वेतन श्रेणियों में बांटा है:
- श्रेणी-1: गुरुग्राम, फरीदाबाद, पंचकूला, सोनीपत, दिल्ली, चंडीगढ़
- श्रेणी-2: पानीपत, झज्जर, पलवल, करनाल, अंबाला, हिसार, रोहतक, रेवाड़ी, कुरुक्षेत्र, कैथल, यमुनानगर, भिवानी, जींद
- श्रेणी-3: महेंद्रगढ़, फतेहाबाद, सिरसा, नूंह, चरखी दादरी
HKRN में कितने कर्मचारी किस लेवल में
HKRN के कुल कर्मचारियों की संख्या लगभग 1.20 लाख है, जो तीन स्तरों में विभाजित है:
- लेवल-1: 71,000 कर्मचारी
- लेवल-2: 27,000 कर्मचारी
- लेवल-3: 22,000 कर्मचारी
नया वेतनमान: जानें किसे कितना मिलेगा
श्रेणी-1 जिलों में
- लेवल-1: ₹19,900 → ₹20,895
- लेवल-2: ₹23,400 → ₹24,570
- लेवल-3: ₹24,100 → ₹25,305
श्रेणी-2 जिलों में
- लेवल-1: ₹17,550 → ₹18,427
- लेवल-2: ₹21,600 → ₹22,680
- लेवल-3: ₹21,700 → ₹22,785
श्रेणी-3 जिलों में
- लेवल-1: ₹16,250 → ₹17,062
- लेवल-2: ₹19,800 → ₹20,790
- लेवल-3: ₹20,450 → ₹21,472
1 जुलाई को बढ़े हुए वेतन के साथ मिलेगा भुगतान
सरकार ने स्पष्ट किया है कि 1 जुलाई 2025 को जो वेतन जारी होगा, उसमें जून महीने के लिए बढ़ा हुआ वेतन शामिल होगा. यह प्रत्यक्ष रूप से कर्मचारियों के खाते में जाएगा, जिससे उन्हें महंगाई के दौर में राहत मिलेगी.
वेतन बढ़ोतरी से कर्मचारियों में उत्साह
इस फैसले से राज्यभर के अनुबंधित कर्मचारियों में उत्साह का माहौल है. वे लंबे समय से वेतन बढ़ोतरी की मांग कर रहे थे. इससे पहले सरकार ने आउटसोर्सिंग नीतियों को लेकर कई बार समीक्षा की थी, और यह फैसला उसी का हिस्सा माना जा रहा है.
सरकार की ओर से क्या संकेत?
विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए संवेदनशील वर्गों को साधने की कोशिश कर रही है. अनुबंधित कर्मचारी लंबे समय से स्थायीकरण, वेतन वृद्धि और सामाजिक सुरक्षा की मांग कर रहे हैं, और यह फैसला उसी दिशा में एक कदम माना जा रहा है.