स्मार्ट मीटर ने उड़ाई लोगों की नींद, बिना रीडिंग के आ रहा है भारी बिल Smart Meter Complaint

Smart Meter Complaint: बिजली उपभोक्ताओं को गलत बिलिंग और रीडिंग की समस्याओं से छुटकारा दिलाने के उद्देश्य से लगाए जा रहे स्मार्ट मीटर अब खुद एक बड़ी परेशानी बनते जा रहे हैं. इन मीटरों से उपभोक्ताओं को उम्मीद थी कि सटीक बिल मिलेगा और सेवा में पारदर्शिता आएगी, लेकिन हकीकत इसके विपरीत साबित हो रही है.

स्मार्ट मीटर से अधिक बिल, शिकायतों का समाधान सिर्फ कागजों में

कई उपभोक्ताओं का कहना है कि स्मार्ट मीटर से रीडिंग से ज्यादा बिल आ रहा है और जब ऑनलाइन शिकायत दर्ज की जाती है तो बिजलीकर्मी मौके पर आए बिना ही समाधान दिखा देते हैं. इससे उपभोक्ता भ्रमित हो रहे हैं और छह-छह महीने तक बिल का भुगतान नहीं कर पा रहे हैं.

फर्जी समाधान

निराला नगर के निवासी अनुपम द्विवेदी ने बताया कि उन्होंने गलत बिल की शिकायत ऑनलाइन दर्ज कराई थी. लेकिन हैरानी की बात यह है कि कोई भी बिजली विभाग का कर्मचारी घर पर नहीं आया, फिर भी पोर्टल पर लिखा गया कि समस्या हल कर दी गई है.

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बढ़े बिल से उपभोक्ता परेशान, विभागीय प्रतिनिधि नहीं पहुंच रहे

राहुल चौराहा निवासी सेनजीत कसौधन ने बताया कि स्मार्ट मीटर लगने के बाद से बिल मोबाइल पर मैसेज के जरिए मिलता है, लेकिन वह रीडिंग से काफी अधिक होता है. उन्होंने कहा कि दिसंबर से अब तक कोई विभागीय कर्मी नहीं आया है जिससे बिल को सही करवा कर जमा करना संभव नहीं हो पा रहा.

विभाग को खुद नहीं पता उपभोक्ता का कितना बिल बना

विनोबापुरी निवासी प्रवीन तिवारी ने कहा कि उन्हें चार महीने पहले स्मार्ट मीटर लगाया गया था. तब से मोबाइल पर जो बिल आता है, वह गलत होता है. उन्होंने बताया कि शिकायत करने पर कोई ठोस जवाब नहीं मिलता और विभाग को भी उपभोक्ता की सही रीडिंग की जानकारी नहीं होती.

‘स्मार्ट मीटर का मकसद फेल हो गया’

नमक मंडी के व्यापारी और किराना व्यापार मंडल अध्यक्ष आलोक सागर ने कहा कि स्मार्ट मीटर का जो उद्देश्य था, वह पूरा नहीं हो पा रहा है. उन्होंने बताया कि यदि उपभोक्ता को समय रहते पता चले कि बिल कितना बना है, तो वह अपनी मासिक योजना बना सकता है. लेकिन इस तकनीक ने उलझन और बढ़ा दी है.

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4.56 लाख उपभोक्ताओं में से अब तक सिर्फ 14,500 को मिले स्मार्ट मीटर

बिजली विभाग ने मार्च 2026 तक स्मार्ट मीटर लगाने के लिए एक निजी कंपनी को जिम्मेदारी दी है. जिले के 4.56 लाख उपभोक्ताओं में से अब तक मात्र 14,500 उपभोक्ताओं के यहां ही मीटर लगाए जा सके हैं. इस धीमी प्रगति से योजना की गंभीरता पर सवाल उठ रहे हैं.

अधिकारियों का बयान

परीक्षण खंड के प्रभारी अधिशासी अभियंता अंजनी नंदन ने कहा कि स्मार्ट मीटर से ही बिल जनरेट होता है. अधिक बिल आने की शिकायतों पर उन्होंने कहा कि इनकी जांच कराई जाएगी. उन्होंने बताया कि सरकारी दफ्तरों में 450 में से 350 मीटर लगाए जा चुके हैं.

उपभोक्ताओं को चाहिए पारदर्शिता और जवाबदेही

स्मार्ट मीटर तकनीक का उद्देश्य था पारदर्शी बिलिंग और यूजर-फ्रेंडली सेवा, लेकिन फिलहाल उपभोक्ताओं को यह तकनीक भ्रम और परेशानी में डाल रही है. विशेषज्ञ मानते हैं कि बिना प्रभावी ग्राउंड सपोर्ट सिस्टम और जवाबदेही के कोई भी तकनीकी समाधान सफल नहीं हो सकता.

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