Phone Spy Feature: आज के दौर में स्मार्टफोन केवल एक कम्युनिकेशन डिवाइस नहीं, बल्कि हमारी दैनिक जरूरतों का डिजिटल साथी बन चुका है. लेकिन कुछ देशों में यही डिवाइस निगरानी का हथियार बन चुका है. हाल ही में उत्तर कोरिया से तस्करी कर लाए गए एक स्मार्टफोन की जांच में सामने आई बातें न केवल चौंकाने वाली हैं, बल्कि यह भी बताती हैं कि टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल नियंत्रण और सेंसरशिप के लिए कैसे हो सकता है.
बीबीसी रिपोर्ट का चौंकाने वाला खुलासा
बीबीसी की एक ताज़ा रिपोर्ट में बताया गया है कि 2024 के अंत में उत्तर कोरिया से एक स्मार्टफोन अंडरग्राउंड नेटवर्क के जरिए बाहर लाया गया. इसके बाद जब तकनीकी विशेषज्ञों ने इसकी जांच की, तो पाया कि यह सामान्य फोन नहीं, बल्कि एक तरह का जासूसी उपकरण है. फोन में ऐसा सिस्टम था जो हर 5 मिनट में स्क्रीनशॉट लेता था, और उन्हें एक छुपे हुए फोल्डर में सेव करता था.
कस्टमाइज्ड एंड्रॉयड और विचारधारा पर नियंत्रण
विशेषज्ञों का कहना है कि उत्तर कोरिया में बिकने वाले लगभग सभी स्मार्टफोन में एंड्रॉयड का कस्टम वर्जन इंस्टॉल होता है. यह वर्जन सरकार द्वारा खासतौर पर इस तरह तैयार किया गया है कि वह यूज़र की गतिविधियों पर निगरानी, और सरकारी विचारधारा को नियंत्रित करने में मदद करता है. यानी फोन का इस्तेमाल स्वतंत्रता के लिए नहीं, बल्कि सरकारी नियंत्रण के लिए होता है.
इंटरनेट नहीं, केवल सरकारी इंट्रानेट
इन स्मार्टफोनों में बाहरी इंटरनेट की सुविधा पूरी तरह से ब्लॉक की गई है. ये डिवाइस केवल एक सरकारी इंट्रानेट सिस्टम से जुड़े होते हैं, जिसे ‘क्वांगम्योंग’ कहा जाता है.
- इस नेटवर्क में केवल वही कंटेंट प्रदर्शित होता है, जिसे सरकार की मंजूरी मिली हो.
- यह नेटवर्क आम इंटरनेट की तरह नहीं है, इसमें केवल सरकारी वेबसाइट्स, समाचार और सामग्री ही देखी जा सकती है.
शब्दों पर सेंसर
फोन में एक ऐसा इनबिल्ट शब्द सेंसर फीचर भी मौजूद है, जो टेक्स्ट टाइपिंग के दौरान सक्रिय हो जाता है. उदाहरण के तौर पर, यदि कोई यूज़र ‘ओप्पा’ जैसे शब्द टाइप करता है, तो
यह अपने आप ‘कॉमरेड’ में बदल जाता है,
और साथ ही एक वॉर्निंग मैसेज भी पॉप अप होता है जिसमें लिखा होता है कि इस शब्द का उपयोग केवल भाई-बहनों के लिए करें.
- 5 मिनट में एक बार स्क्रीनशॉट, यूज़र को नहीं जानकारी
- फोन में एक ऐसा फीचर है जो हर 5 मिनट में स्क्रीनशॉट लेता है और उन्हें एक हिडन फोल्डर में सेव करता है.
- ये स्क्रीनशॉट यूज़र नहीं देख सकते,
- लेकिन सरकारी एजेंसियां इन्हें एक्सेस कर सकती हैं.
इसका मतलब है कि फोन का इस्तेमाल करने वाला व्यक्ति चाहे जो करे, उसकी हर गतिविधि का रिकॉर्ड सरकार के पास होता है.
निजता या नियंत्रण? उत्तर कोरिया का डिजिटल चेहरा
इस फोन के फीचर्स यह दर्शाते हैं कि उत्तर कोरिया में टेक्नोलॉजी को जनता की सुविधा के लिए नहीं, बल्कि उन पर निगरानी रखने और नियंत्रण के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. हर क्लिक, हर टाइपिंग, और हर स्क्रीन पर सरकारी सेंसर की नज़र रहती है.