हरियाणा में बनेगा सबसे बड़ा ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट, जानिए कब से होगा उत्पादन शुरू Green Hydrogen Plant

Green Hydrogen Plant: हरियाणा की टेक्सटाइल नगरी पानीपत अब देश की ऊर्जा क्रांति का केंद्र बनने जा रही है. यहां पर भारत का सबसे बड़ा ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट तैयार किया जा रहा है, जो देश की स्वच्छ ऊर्जा नीति को नया आयाम देगा. इस परियोजना का निर्माण सरकारी तेल कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC) द्वारा किया जा रहा है.

उत्पादन क्षमता होगी सालाना 10,000 टन

आईओसी के अनुसार, यह प्लांट सालाना 10 हजार टन ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन करेगा. इस परियोजना की लागत का निर्धारण अंतिम चरण में है. यह प्लांट फॉसिल फ्यूल आधारित हाइड्रोजन की जगह लेगा, जिससे देश में कार्बन उत्सर्जन में बड़ी गिरावट आएगी और स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा मिलेगा.

2027 के अंत तक शुरू हो जाएगा उत्पादन

कंपनी ने जानकारी दी है कि यह ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट 2027 के आखिरी महीने तक चालू कर दिया जाएगा. इसके बाद यह परियोजना भारत की सबसे बड़ी ग्रीन हाइड्रोजन परियोजना बनकर उभरेगी और IOC के इस क्षेत्र में प्रवेश को चिह्नित करेगी. इससे न केवल भारत को ऊर्जा सुरक्षा मिलेगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के लक्ष्य को भी मजबूती मिलेगी.

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ग्रीन हाइड्रोजन कैसे बनती है?

ग्रीन हाइड्रोजन गैस को तैयार करने के लिए सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा या जल विद्युत जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग किया जाता है. इस प्रक्रिया में पानी को इलेक्ट्रोलाइसिस की मदद से विभाजित किया जाता है और हाइड्रोजन प्राप्त होती है.
इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसके दहन से केवल पानी उत्पन्न होता है, जिससे यह पर्यावरण के लिए पूरी तरह सुरक्षित मानी जाती है.

उद्योगों में हाइड्रोजन की व्यापक उपयोगिता

हाइड्रोजन गैस का इस्तेमाल तेल रिफाइनरी, स्टील प्लांट, केमिकल उद्योग और भारी उद्योगों में बड़े पैमाने पर होता है. अभी तक जो हाइड्रोजन इस्तेमाल हो रही है, वह ज्यादातर जीवाश्म ईंधन से बनती है, जिससे प्रदूषण और ग्रीनहाउस गैसें निकलती हैं. लेकिन अब ग्रीन हाइड्रोजन का उपयोग करके इन समस्याओं से काफी हद तक निपटा जा सकेगा.

IOC का ‘नेट जीरो एमिशन’ लक्ष्य होगा और मजबूत

IOC ने यह भी कहा है कि यह परियोजना कंपनी के शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन (Net Zero Emission) के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक बड़ा मील का पत्थर होगी. यह पहल भारत को सतत ऊर्जा समाधान की ओर ले जाने में निर्णायक भूमिका निभाएगी और ग्रीन हाइड्रोजन रिफाइनरी में भारत की नेतृत्व क्षमता को भी मजबूत करेगी.

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