IDBI Bank Privatization: सरकार एक बार फिर बड़े वित्तीय फैसले की ओर बढ़ रही है। इस बार मामला है IDBI बैंक के निजीकरण का, जिसे लेकर काफी समय से अटकलें लगाई जा रही थीं। अब खबर आ रही है कि सितंबर 2025 तक सरकार IDBI बैंक में अपनी हिस्सेदारी बेचने के लिए वित्तीय बोलियां आमंत्रित कर सकती है।
जहां इस खबर के बाद IDBI बैंक के शेयरों में 4% की तेजी देखने को मिली, वहीं बैंक खाताधारकों में हलचल मच गई कि उनका पैसा कहीं खतरे में तो नहीं?
बैंक के निजीकरण से घबराएं नहीं, खाता रहेगा सुरक्षित
सबसे पहले यह स्पष्ट कर दें कि IDBI बैंक के निजीकरण का आपकी जमा राशि या लोन पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
- आपकी सेविंग्स, फिक्स्ड डिपॉजिट और लोन अकाउंट जस के तस रहेंगे
- बैंक की नई मालिकाना स्थिति आपकी बैंकिंग सेवाओं में कोई बदलाव नहीं लाएगी
- आरबीआई और बैंकिंग रेगुलेटरी सिस्टम आपकी राशि की सुरक्षा की गारंटी देता है
- इसलिए खाताधारकों को किसी भी तरह की अफवाह से घबराने की जरूरत नहीं है।
कौन-सा सरकारी बैंक बिकने जा रहा है?
सरकार और एलआईसी की संयुक्त हिस्सेदारी वाला IDBI Bank इस बार निजीकरण की प्रक्रिया में सबसे आगे है।
- IDBI के शेयरों में सोमवार को 4% की उछाल आई और भाव 105 रुपये तक पहुंचे
- इसकी वजह बनी मीडिया रिपोर्ट्स, जिनमें दावा किया गया कि सरकार जल्द वित्तीय बोलियां मांगेगी
- यह कदम लंबे समय से अटकी विनिवेश प्रक्रिया में नई गति का संकेत माना जा रहा है
- फिलहाल बैंक की ओर से इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन तैयारी जोरशोर से जारी है।
IDBI बैंक में किसके पास कितनी हिस्सेदारी है?
फिलहाल IDBI Bank में सरकार और एलआईसी के पास कुल 95% हिस्सेदारी है।
- केंद्र सरकार के पास लगभग 45.48% हिस्सेदारी है
- भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) के पास 49.24% हिस्सेदारी है
- विनिवेश योजना के तहत इनमें से 60.72% हिस्सेदारी को बेचने की योजना बनाई गई है। यह काफी बड़ा हिस्सा है, जिससे सरकार को भारी राजस्व मिलने की संभावना है।
बोलियां कब तक आमंत्रित की जा सकती हैं?
सूत्रों के अनुसार:
- सितंबर 2025 तक वित्तीय बोलियां आमंत्रित की जा सकती हैं
- संभावित खरीदारों के साथ शेयर खरीद समझौता अंतिम चरण में है
- जल्द ही इस डील को मंत्रिस्तरीय पैनल से मंजूरी भी मिल सकती है
- यह प्रक्रिया कई बार टल चुकी है, लेकिन अब इसे निर्णायक रूप से आगे बढ़ाया जा रहा है।
सरकार का क्या है वित्तीय लक्ष्य?
केंद्रीय बजट 2025 में सरकार ने किसी विशेष विनिवेश लक्ष्य की घोषणा नहीं की थी।
इसके बजाय, विनिवेश और परिसंपत्ति मुद्रीकरण से होने वाली आय को ‘विविध पूंजी प्राप्तियों’ (Non-tax receipts) के अंतर्गत रखा गया
2025-26 के लिए इसका लक्ष्य रखा गया है: ₹47,000 करोड़
पिछले वित्तीय वर्ष में सरकार ने ₹30,000 करोड़ का विनिवेश किया था
अब उम्मीद है कि IDBI जैसे बड़े सौदे से सरकार के राजस्व में तेजी आएगी
IDBI Bank का हालिया प्रदर्शन कैसा रहा है?
- बाजार के नजरिए से IDBI Bank ने 2025 में शानदार प्रदर्शन किया है।
- अब तक इसके शेयरों में लगभग 35% की तेजी आई है
- जनवरी-मार्च 2025 तिमाही में बैंक का नेट प्रॉफिट ₹2,051 करोड़ रहा
- पिछले वर्ष की समान तिमाही में यह लाभ ₹1,628 करोड़ था, यानी सालाना 26% की बढ़त
- हालांकि, बैंक की नेट इंटरेस्ट इनकम (NII) घटकर ₹3,290 करोड़ रह गई, जो पिछले साल ₹3,688 करोड़ थी
- इन आंकड़ों से पता चलता है कि बैंक की वित्तीय स्थिति मजबूत बनी हुई है, जो खरीदारों के लिए आकर्षण का कारण बन सकती है।
IDBI की बिक्री से क्या मिलेगा सरकार को?
सरकार को उम्मीद है कि IDBI जैसे सौदों से राजस्व संग्रहण में तेजी आएगी
- यह पैसा देश के बुनियादी ढांचे, सामाजिक योजनाओं और वित्तीय घाटे को कम करने में उपयोग हो सकता है
- साथ ही यह निजीकरण और सरकारी क्षेत्र की दक्षता बढ़ाने की नीति का हिस्सा है
- निजीकरण से ग्राहकों को मिल सकते हैं क्या फायदे?
- हां, संभावित फायदे ये हो सकते हैं:
- बेहतर ग्राहक सेवा और तकनीकी सुविधाएं
- तेज प्रोसेसिंग, खासकर लोन, KYC, अकाउंट सेवाओं में
- प्रोफेशनल प्रबंधन, जो बैंक को ज्यादा प्रतिस्पर्धी बना सकता है
- हालांकि, बैंक की नीतियां किस हद तक बदलेंगी, यह नए मालिक पर निर्भर करेगा।