हिमाचल से हरियाणा आ रहा बाघ और हाथियों का झुंड, वन विभाग ने की बड़ी तैयारी Wildlife Sanctuary

Wildlife Sanctuary: हरियाणा के यमुनानगर जिले में स्थित कलेसर सेंचुरी और नेशनल पार्क अब हाथियों और बाघों का स्थायी घर बन सकता है. वन विभाग की ओर से इन जंगली जानवरों के लिए दीर्घकालिक बसेरे की योजना पर काम शुरू हो चुका है. राजाजी नेशनल पार्क (देहरादून) से अक्सर यहां आने वाले हाथियों और बाघों की उपस्थिति अब स्थायी निवास की रूपरेखा तैयार कर रही है.

बार-बार लौट रहे हैं बाघ और हाथी, बन सकता है स्थायी ठिकाना

पिछले एक साल में कई बार देहरादून के राजाजी नेशनल पार्क से आए हाथियों के झुंड और बाघों को कलेसर सेंचुरी व नेशनल पार्क में देखा गया है.

  • ये जानवर सिंबलवाड़ा सेंचुरी (हिमाचल) होते हुए कलेसर पहुंचते हैं.
  • यहां वे 10 दिन से लेकर एक माह तक रुकते हैं और फिर लौट जाते हैं.
  • वन विभाग को इनकी CCTV फुटेज और फोटोज लगातार मिल रही हैं, जो यह दर्शाती हैं कि ये जानवर यहां के जलवायु, हरियाली और संसाधनों से अनुकूलित हो चुके हैं.

वन विभाग कर रहा मेहमानों जैसा स्वागत

  • कलेसर में आने वाले इन वन्य मेहमानों के लिए वन विभाग विशेष व्यवस्था करता है:
  • 15 से 20 किलोमीटर का इलाका इन जानवरों के लिए चिह्नित किया जाता है.
  • क्षेत्र में पानी की पर्याप्त व्यवस्था की जाती है.
  • स्मार्ट सीसीटीवी कैमरों से निगरानी रखी जाती है ताकि उनकी गतिविधियों पर नजर रखी जा सके.
  • अधिकारियों को हर पल की अपडेट भेजी जाती है.

जानिए कलेसर सेंचुरी और नेशनल पार्क की खासियत

  • कलेसर सेंचुरी और नेशनल पार्क उत्तर भारत के सबसे खूबसूरत वन क्षेत्रों में से एक हैं:
  • कलेसर सेंचुरी का विस्तार 13,000 हेक्टेयर में फैला है.
  • कलेसर नेशनल पार्क का क्षेत्रफल 11,500 हेक्टेयर है.
  • यहां पहले से ही हिरण, सांभर, तेंदुआ (Leopard) आदि जानवर स्थायी रूप से रह रहे हैं.
  • इन इलाकों की घनी हरियाली, जल स्रोतों की उपलब्धता, और न्यूनतम मानव दखल इस क्षेत्र को बाघों और हाथियों के लिए आदर्श निवास बनाते हैं.

क्यों जरूरी है स्थायी निवास की व्यवस्था?

वन विभाग का मानना है कि:

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  • लगातार आ रहे हाथी और बाघ यह दर्शाते हैं कि कलेसर उनके लिए जैविक रूप से उपयुक्त स्थान है.
  • इन जानवरों को स्थायी रूप से बसाने से न केवल वन्य जीवन संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि यह क्षेत्र पर्यटन के लिहाज से भी विकसित हो सकता है.
  • साथ ही, इससे इन जानवरों की अनावश्यक आवाजाही पर नियंत्रण भी होगा, जिससे मूलवासियों और वन्य प्रजातियों के बीच संतुलन बना रहेगा.

वन विभाग की आगे की रणनीति

कलेसर सेंचुरी और नेशनल पार्क में

  • वन्य जीवन संरक्षण, बाड़बंदी, जल स्रोतों का विकास, और निगरानी तंत्र को और मजबूत किया जाएगा.
  • वन्य प्राणियों के लिए सुरक्षित कॉरिडोर बनाए जाएंगे, जिससे उनकी आवागमन की जरूरत कम हो.
  • स्थानीय समुदाय को भी संरक्षण और पर्यटन योजनाओं में जोड़ने का प्लान है ताकि उन्हें भी आजीविका का विकल्प मिले.

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