School Holiday: महाराष्ट्र में 8 और 9 जुलाई 2025 को सभी स्कूलों को बंद रखने का फैसला किया गया है. यह फैसला शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन के चलते लिया गया है. इस दो दिवसीय बंद का असर पूरे राज्य में दिखाई देगा, क्योंकि हजारों शिक्षक मुंबई के आज़ाद मैदान में एक विशाल सभा के माध्यम से सरकार के खिलाफ अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करने जा रहे हैं.
प्रदर्शन का कारण
इस विरोध प्रदर्शन का मुख्य उद्देश्य लंबे समय से लंबित वित्तीय अनुदान और कर्मचारियों को मिलने वाले लाभों को लेकर सरकार पर दबाव बनाना है. सहायता प्राप्त और आंशिक रूप से सहायता प्राप्त स्कूलों में कार्यरत शिक्षक लगातार सरकार से वित्तीय सहायता बढ़ाने और वादे के अनुसार लाभ देने की मांग कर रहे हैं.
हालांकि, राज्य मंत्रिमंडल ने अक्टूबर 2024 में इन मांगों को मंजूरी दी थी, लेकिन अंतिम निर्णय के बाद भी वादा किया गया धन जारी नहीं किया गया, जिससे शिक्षकों में गहरी नाराज़गी और असंतोष फैल गया है.
75 दिनों के पुराने आंदोलन से उपजी नई चिंगारी
यह आंदोलन केवल एक तात्कालिक प्रतिक्रिया नहीं है, बल्कि अगस्त 2024 में शुरू हुए 75 दिनों के विरोध का अगला चरण है. उस समय भी शिक्षक राज्य सरकार की उपेक्षा और अधूरी घोषणाओं से निराश होकर सड़कों पर उतरे थे. सरकार द्वारा आश्वासन दिए जाने के बावजूद अनुदान की राशि अब तक जारी नहीं की गई, जिससे यह नया आंदोलन और उग्र रूप ले रहा है.
कौन कर रहा है आंदोलन का नेतृत्व?
इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व महाराष्ट्र राज्य प्रधानाध्यापक संघ, संयुक्त प्रधानाध्यापक संघ और अन्य शिक्षक संघों द्वारा किया जा रहा है. इन संघों का कहना है कि जब तक सरकार उनकी वित्तीय और सेवा संबंधी मांगों को पूरा नहीं करती, तब तक वे अपने संघर्ष को जारी रखेंगे.
प्रदर्शन की जगह
प्रदर्शनकारी शिक्षक और कर्मचारी 8 और 9 जुलाई को मुंबई के आज़ाद मैदान में एकत्र होंगे, जहां वे सामूहिक रूप से सरकार के खिलाफ आवाज़ बुलंद करेंगे. इस विशाल सभा में राज्य के कोने-कोने से शिक्षक पहुंचेंगे, जिससे यह प्रदर्शन एक राज्यव्यापी आंदोलन का रूप लेगा.
स्कूल बंद का सीधा असर छात्रों और अभिभावकों पर
इस विरोध प्रदर्शन के चलते दो दिनों के लिए सभी स्कूलों में पढ़ाई पूरी तरह से ठप रहेगी. यह स्थिति छात्रों की पढ़ाई पर असर डाल सकती है, विशेषकर उन छात्रों पर जो परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं या बोर्ड कक्षाओं में हैं.
अभिभावकों को सलाह दी गई है कि वे इन दो दिनों के लिए बच्चों के अध्ययन कार्यक्रम और वैकल्पिक गतिविधियों की योजना बना लें.
शिक्षकों की प्रमुख मांगें क्या हैं?
शिक्षक संगठनों द्वारा जो प्रमुख मांगे उठाई गई हैं, वे इस प्रकार हैं:
- सहायता प्राप्त स्कूलों के लिए लंबित अनुदान को तत्काल प्रभाव से जारी किया जाए.
- सरकार द्वारा वादा किए गए आर्थिक लाभ और भत्ते लागू किए जाएं.
- पूर्व में दिए गए सरकारी आश्वासनों को अमल में लाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं.
- शिक्षकों की सेवा स्थिति और अधिकारों को सुनिश्चित किया जाए.
यदि मांगें नहीं मानी गईं तो आंदोलन और तेज होगा
संघों ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने अब भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की, तो यह आंदोलन और भी व्यापक और उग्र रूप ले सकता है. उन्होंने साफ किया कि इस बार सिर्फ आश्वासन से काम नहीं चलेगा, उन्हें व्यवहारिक समाधान और धनराशि का हस्तांतरण चाहिए.
राज्य सरकार की प्रतिक्रिया का इंतजार
अब निगाहें राज्य सरकार पर टिकी हैं कि वह इस गंभीर स्थिति में क्या कदम उठाती है. क्या वह संशोधित प्रस्ताव लाएगी? क्या वादा किया गया फंड शिक्षकों तक पहुंचेगा? या फिर यह प्रदर्शन लंबे समय तक जारी रहेगा, यह अगले कुछ दिनों में स्पष्ट हो जाएगा.
अभिभावकों और छात्रों के लिए महत्वपूर्ण सुझाव
- छात्र दो दिनों की छुट्टी को व्यर्थ न जाने दें, बल्कि इसे पढ़ाई और रिवीजन के लिए प्रयोग करें.
- अभिभावक अपने बच्चों के स्कूल के पोर्टल या मैसेज सेवा पर नज़र रखें, ताकि किसी भी बदलाव की सूचना मिल सके.
- अगर कोई सवाल या भ्रम हो, तो सीधे स्कूल प्रबंधन से संपर्क करें.
- छात्रों को इन दो दिनों में ऑनलाइन स्टडी मटेरियल या रीकैप क्लासेज़ पर ध्यान देने की सलाह दी जाती है.